कटनी जिले की रीठी तहसील में स्थित ग्राम बांधा इमलाज में एक ऐसा मंदिर है, जिसे “लघु वृंदावन” कहा जाता है। यह मंदिर केवल स्थापत्य या नक्काशी का सुंदर नमूना ही नहीं है, बल्कि भक्तों की आस्था और भक्ति का केंद्र भी है। यहाँ ऐसी कई रोचक कथाएँ प्रचलित हैं, जैसे मंदिर निर्माण के बाद लगातार सात दिन तक बारिश होना और तीन दिन तक कान्हा की मुरली की धुन सुनाई देना — ये बातें भक्तों के मन में आज भी जीवित हैं।
इतिहास (History)

माना जाता है कि सन 1915 में पंडित गोरेलाल पाठक नामक मालगुजार ने इस मंदिर की आधारशिला रखी। दुर्भाग्यवश, वे शीघ्र ही स्वर्गवासी हो गए। इसके बाद उनकी पत्नी भगौता देवी और पूना देवी ने मंदिर निर्माण कार्य को आगे बढ़ाया। निर्माण में लगभग 9 से 11 वर्ष लगे और 1924 में इसका कार्य पूर्ण हुआ। कहा जाता है कि 1926 में मंदिर की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई।
इस मंदिर के निर्माण में लगभग ₹15,000 की लागत आई और गोरेलाल पाठक की 11 वर्षों की मालगुजारी (अनाज) इस निर्माण में उपयोग की गई। एक और रोचक तथ्य यह है कि निर्माण में उपयोग किए गए पत्थर ग्राम सैदा से लाए गए थे और बिलहरी के प्रसिद्ध शिल्पकार बादल खान ने नक्काशी की थी।
मंदिर निर्माण के दो वर्ष बाद जब सात दिन लगातार वर्षा हुई और तीन दिन तक बांसुरी की मधुर ध्वनि सुनाई दी, तो लोगों ने इसे ईश्वरीय संकेत माना और मंदिर को “लघु वृंदावन” का नाम दिया।
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मंदिर की विशेषताएँ (Features of the temple)
यह मंदिर अपनी सुंदर नक्काशी और पत्थर की कलाकारी के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर की गई बारीक कारीगरी मन मोह लेती है। कहा जाता है कि इसमें सैंड स्टोन का उपयोग किया गया है। मंदिर का शांत वातावरण और प्राकृतिक परिवेश इसे और भी पवित्र और आकर्षक बनाता है।
मंदिर से जुड़ी लोककथाएँ और चमत्कार इसे भक्तों के लिए आस्था का अनमोल केंद्र बनाते हैं। यहाँ आने वाले श्रद्धालु इसे वास्तविक वृंदावन का रूप मानते हैं।
देवी-देवता और पूजा विधान (Gods and Goddesses and Worship Rituals)

मंदिर में मुख्य रूप से श्री राधा-कृष्ण की भव्य मूर्तियाँ विराजमान हैं। मंदिर के दूसरे कक्ष में मां गायत्री की प्रतिमा भी स्थापित है। यहाँ नियमित रूप से सुबह और शाम की आरती, भजन, कीर्तन और पूजन होते हैं। विशेष अवसरों पर हवन, भंडारा और धार्मिक प्रवचन भी आयोजित किए जाते हैं।
एक मुस्लिम कारीगर ने की इस मंदिर की अद्भुत नक्काशी (A Muslim Artisan Crafted the Exquisite Carvings of This Temple)
रीठी तहसील के बांधा इमलाज गांव में स्थित राधा-कृष्ण मंदिर को स्थानीय लोग “लघु वृंदावन धाम” के नाम से जानते हैं। यह मंदिर अपनी अनोखी कारीगरी और ऐतिहासिक महत्व के कारण पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि मंदिर के हर पत्थर पर की गई सुंदर नक्काशी एक मुस्लिम कारीगर बादल खान ने अपने हाथों से की थी।
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मंदिर में होने वाले उत्सव (Festivals at the temple)
इस मंदिर में वर्षभर कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
- जन्माष्टमी यहाँ का सबसे प्रमुख उत्सव है, जब मंदिर को सुंदर फूलों और रोशनी से सजाया जाता है।
- राधा अष्टमी, नवरात्रि, शिवरात्रि, राम नवमी, होली और अन्नकूट जैसे पर्वों पर भी विशेष आयोजन होते हैं।
- हर पूर्णिमा को भव्य महाआरती होती है और भक्त दूर-दूर से इसमें भाग लेने आते हैं।
मंदिर की समय-सारणी (Temple Timings)
मंदिर सुबह से शाम तक खुला रहता है। आरती का समय आमतौर पर सुबह 7 बजे और शाम 7 बजे होता है। हालांकि, त्यौहारों या विशेष अवसरों पर समय में परिवर्तन हो सकता है।
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मंदिर का पता (Temple Address)
श्री राधा कृष्ण मंदिर, लघु वृंदावन धाम
ग्राम बांधा-इमलाज, तहसील रीठी, जिला कटनी, मध्य प्रदेश
यह मंदिर बिलहरी क्षेत्र से लगभग 10 से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
कैसे पहुँचे (How to reach)
कटनी शहर से सड़क मार्ग द्वारा रीठी होते हुए बांधा इमलाज पहुँचा जा सकता है। यहाँ तक पहुंचने के लिए स्थानीय बस या टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है। निकटतम रेलवे स्टेशन कटनी जंक्शन है, जहाँ से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है।
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कब जाएँ (When to go)
मंदिर दर्शन के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। जन्माष्टमी और राधा अष्टमी के समय यहाँ का माहौल अत्यंत भव्य और दिव्य होता है। इस दौरान हजारों श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने आते हैं।
आसपास के दर्शनीय स्थल (Nearby places of interest)
मंदिर के आसपास बिलहरी क्षेत्र के कई छोटे धार्मिक स्थल और प्राकृतिक दृश्य देखने योग्य हैं। कटनी जिले में स्थित अन्य आकर्षक स्थल जैसे जगदंबा मंदिर, बुढ़ी माई मंदिर और स्थानीय झरने भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।
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बांधा इमलाज मंदिर की तस्वीरें (Images of Bandha Imlaj Temple)
निष्कर्ष (Conclusion)
बांधा इमलाज मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि श्रद्धा, प्रेम और कला का प्रतीक है। यहाँ आने वाला हर व्यक्ति अपने मन में शांति, भक्ति और सौंदर्य का अनुभव करता है। इसके स्थापत्य, इतिहास और धार्मिक महत्त्व को जानकर यह निश्चित कहा जा सकता है कि बांधा इमलाज वास्तव में “लघु वृंदावन” के नाम पर खरा उतरता है।