
मध्य प्रदेश के कटनी ज़िले में रीठी से कुछ दूरी पर स्थित नंदचाँद शिव मंदिर (मृताङ्गेश्वर महादेव) श्रद्धा और इतिहास दोनों का अद्भुत संगम है। यह मंदिर केवल पूजा–अर्चना का स्थल ही नहीं, बल्कि भारत की प्राचीन कला और स्थापत्य का जीवंत प्रमाण भी है। यहाँ पहुँचते ही वातावरण की शांति, चारों ओर हरियाली और प्राचीन मंदिरों के भग्नांश मन को किसी पुराने युग में ले जाते हैं।
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इतिहास (History)

नंदचाँद क्षेत्र का इतिहास लगभग 5वीं से 8वीं शताब्दी तक जाता है। इस काल में यहाँ कई मंदिरों का निर्माण हुआ था, जो शैव, वैष्णव और शक्त उपासना के केंद्र थे।
- गुप्तकाल और उसके बाद के शासकों ने इस क्षेत्र को धार्मिक दृष्टि से समृद्ध बनाया।
- कलचुरी राजाओं के काल में भी मंदिर निर्माण का कार्य जारी रहा।
- आक्रमणों और समय की मार से अधिकांश मंदिर खंडित हो गए और उनके अवशेष चारों ओर बिखर गए।
- 19वीं शताब्दी में अंग्रेज़ सर्वेक्षक एलेक्ज़ेंडर कनिंघम ने इस क्षेत्र का सर्वेक्षण करते हुए उल्लेख किया कि यहाँ कम से कम आठ प्राचीन मंदिरों के अवशेष मौजूद हैं।
वर्तमान में जो नंदचाँद शिव मंदिर दिखाई देता है, वह इन भग्नांशों को जोड़कर पुनर्निर्मित किया गया है। यही कारण है कि इसकी दीवारें, दरवाज़े और शिखर अलग–अलग कालखंडों की शैली का मिश्रण प्रतीत होते हैं।
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वास्तुकला (Architecture)

नंदचाँद शिव मंदिर वास्तुकला और शिल्पकला का अनोखा उदाहरण है।
- गर्भगृह – मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है, जिसे मृताङ्गेश्वर महादेव के नाम से पूजा जाता है।
- गुंबद/शिखर – ऊपर का भाग मराठा शैली का है, जिसमें नालियों (flutings) का प्रयोग किया गया है।
- चारों ओर से प्रवेश – मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इसमें चारों दिशाओं से प्रवेश किया जा सकता है।
- द्वार–शिल्प – प्रत्येक द्वार पर अलग–अलग देवी–देवताओं की आकृतियाँ बनी हुई हैं। कहीं गरुड़, कहीं नटराज, कहीं गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियाँ हैं।
- द्वारपाल और नदी–देवियाँ – दरवाज़ों के किनारों पर द्वारपाल और नदी–देवियों की आकृतियाँ उकेरी गई हैं।
- परिसर में बिखरे शिल्पखंड – मंदिर परिसर में आपको विष्णु के दशावतार, दुर्गा महिषासुरमर्दिनी, सप्तमात्रिकाएँ और उमा–महेश्वर की प्रतिमाएँ दिखाई देती हैं।
- कला की विशेषता – यहाँ की मूर्तियों में अलंकरण कम है, लेकिन देवताओं का स्वरूप अत्यंत प्रभावशाली है। यह शैली उत्तर–गुप्त और प्रारंभिक मध्यकालीन कला की विशेषता है।
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गर्भगृह और अन्य देवता (Sanctum and other deities)
- मुख्य देवता – भगवान शिव (मृताङ्गेश्वर शिवलिंग)।
- अन्य स्थापित स्वरूप – परिसर में दुर्गा, विष्णु, गणेश, सप्तमात्रिका और अन्य देवी–देवताओं की खंडित प्रतिमाएँ देखी जा सकती हैं।
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मंदिर में त्योहार और आयोजन (Festivals and events at the temple)
नंदचाँद शिव मंदिर ग्रामीण परंपरा के अनुसार जीवित शिव–पीठ है। यहाँ प्रमुख आयोजन इस प्रकार होते हैं –
- महाशिवरात्रि – इस दिन विशेष पूजा, रात्रि जागरण और भजन–कीर्तन होते हैं।
- सावन माह – पूरे महीने श्रद्धालु जलाभिषेक और पूजा के लिए यहाँ आते हैं।
- सोमवार – हर सोमवार को भक्त विशेष रूप से यहाँ शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अर्पित करते हैं।
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मंदिर के खुलने–बंद होने का समय (Temple opening/closing time)
यहाँ दर्शन का समय सामान्यतः सुबह सूर्योदय से शाम सूर्यास्त तक रहता है।
- सुबह आरती – लगभग सूर्योदय के समय।
- शाम आरती – सूर्यास्त के समय।
(यात्रा से पहले स्थानीय पुजारी या ग्रामीणों से सही समय की पुष्टि करना उचित होगा।)
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मंदिर तक कैसे पहुँचे (How to reach the temple)
- कटनी से – कटनी से रीठी होकर स्थानीय मार्ग से नंदचाँद पहुँचा जा सकता है।
- रीठी से – रीठी से मंदिर की दूरी लगभग 20–22 किमी है।
- रेलवे – नज़दीकी स्टेशन रीठी रेलवे स्टेशन है, जबकि बड़ा जंक्शन कटनी है।
- सड़क मार्ग – कटनी और रीठी से निजी वाहन या टैक्सी से पहुँचना सबसे आसान है।
कब जाएँ (When to go)
- अक्टूबर से मार्च – मौसम सुहावना रहता है और यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त समय है।
- सावन और महाशिवरात्रि – आस्था और धार्मिक उत्सव देखने के इच्छुक लोगों के लिए यह समय विशेष है।
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आसपास घूमने योग्य स्थल (Places to visit nearby)
- संकटमोचन हनुमान मंदिर, मुहांस (रीठी) – आस्था का लोकप्रिय केंद्र।
- बिलहरी–कामाकंडला किला परिसर – कलचुरी काल के प्राचीन शैव मंदिर और विष्णु–वराह मंदिर के अवशेष।
- कटनी शहर – यहाँ कई मंदिर और सांस्कृतिक स्थल देखने योग्य हैं।
पता (Address and Google map)
नंदचाँद शिव मंदिर (मृताङ्गेश्वर महादेव)
गाँव – नंदचाँद, बोरी के पास
तहसील – शहनगर
ज़िला – पन्ना (मध्य प्रदेश)
पिनकोड – 488442
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नंदचाँद शिव मंदिर, रीठी, कटनी की तस्वीरें (Images of Nandchand Shiva Temple, Rithi, Katni)
नंदचाँद शिव मंदिर के पास घूमने योग्य स्थान (Places to visit near Nandchand Shiva Temple)
1. सुरम्य पार्क, कटाये घाट
कटनी का यह पार्क परिवार और बच्चों के लिए एक बेहतरीन जगह है। यहाँ हरियाली, झील का सुंदर नज़ारा और शांत वातावरण पर्यटकों को आकर्षित करता है।
2. नीलकंठेश्वर भक्ति धाम, सलैया पडखुरी, विजय राघवगढ़
यह धाम भगवान शिव को समर्पित है। विशाल शिवलिंग और भव्य मंदिर की वास्तुकला श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है।
3. जागृति पार्क, माधव नगर, कटनी
मनोरंजन और सैर-सपाटे के लिए प्रसिद्ध यह पार्क स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है। बच्चों के लिए खेल-खिलौनों की सुविधा भी उपलब्ध है।
4. बड़ेरा चतुर्युग धाम
यह धार्मिक स्थल अपनी आस्था और ऐतिहासिक महत्व के कारण जाना जाता है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु चारों युगों की झलक और धार्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं।
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5. विजय राघवगढ़ किला
कटनी से कुछ दूरी पर स्थित यह किला प्राचीन काल के गौरव और शौर्य की गाथा सुनाता है। किले की दीवारें, स्थापत्य और इतिहास पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
6. मां वैष्णव देवी धाम, गाँव सुंगरहा
कटनी जिले का यह धाम माता वैष्णो देवी को समर्पित है। यहाँ भक्तगण बड़ी श्रद्धा से आते हैं और माता के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
7. विष्णु वराह मंदिर, करनपुर
यह मंदिर भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है। इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है और यहाँ की मूर्तिकला प्राचीन भारतीय कला का सुंदर उदाहरण है।
8. रूपनाथ धाम
यहाँ भगवान शिव का प्राचीन मंदिर और प्राकृतिक झरना स्थित है। यह स्थान धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम है।
9. कमाकंडला किला, बिलहरी, कटनी
यह किला कटनी का एक ऐतिहासिक आकर्षण है। प्राचीन स्थापत्य और इतिहास के शौकीनों के लिए यह एक रोचक जगह है।
10. मैहर (मां शारदा मंदिर)
कटनी से लगभग 65 किमी दूर स्थित यह शक्तिपीठ मां शारदा देवी को समर्पित है। श्रद्धालु यहाँ बड़ी आस्था से आते हैं।
11. मां जल्पा देवी, कटनी
कटनी की प्रसिद्ध देवी मंदिरों में से एक, मां जल्पा देवी का यह धाम भक्तों के लिए अत्यंत श्रद्धा का केंद्र है।
12. लक्ष्मी नारायण मंदिर, कटनी
यह मंदिर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित है। यहाँ की भव्य मूर्तियाँ और धार्मिक वातावरण मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं।
13. लक्ष्मी नारायण मंदिर, कटनी
भगवान शिव का यह भव्य धाम धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ भक्तों की भीड़ विशेषकर श्रावण मास में रहती है।
14. बड़वानी धाम (कटनी के पास)
यहाँ का धार्मिक वातावरण और मंदिर श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं।