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श्री नरसिम्हा पंचामरुथा स्तोत्रं (Sri Narasimha Panchamrutha Stotram)

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“श्री नृसिंह पंचामृत स्तोत्र” एक दिव्य स्तोत्र है, जिसकी रचना स्वयं भगवान श्रीराम ने अहोबिल क्षेत्र में भगवान नृसिंह की स्तुति करते समय की थी। यह स्तोत्र भगवान विष्णु के उग्र और रक्षक स्वरूप श्री नृसिंह भगवान की महिमा का सार है, जिसे “पंचामृत” अर्थात पाँच अमृततुल्य श्लोकों के रूप में वर्णित किया गया है। Read More

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श्री दशावतार स्तोत्रम् (Shri Dasavatara Stotra)

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श्री जयदेव कृत श्री दसावतार स्तोत्र भगवान विष्णु के दस महान अवतारों की स्तुति करता है। यह स्तोत्र न केवल दिव्य काव्य है, बल्कि हर श्लोक में धर्म, शक्ति और दैवीय कार्यों का वर्णन है जो भगवान ने समय-समय पर अधर्म के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए किए। यह स्तोत्र गीत-गोविंद नामक प्रसिद्ध Read More

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श्री दधि वामन स्तोत्रं (Sri Dadhi Vamana Stotram)

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श्री दधि वामन स्तोत्रम् एक अद्भुत स्तुति है जो भगवान विष्णु के वामन अवतार को समर्पित है। वामन भगवान विष्णु का पाँचवाँ अवतार माने जाते हैं, जो त्रेता युग में दैत्यराज बलि के अहंकार को शांत करने हेतु ब्रह्मचारी बालक के रूप में अवतरित हुए थे। यह स्तोत्र विशेष रूप से दधि (दही) और अन्न Read More

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श्री दत्तात्रेय स्तोत्र (Shri Dattatreya Stotra)

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भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश — त्रिदेवों के संयुक्त अवतार के रूप में पूजा जाता है। “दत्तात्रेय” नाम दो शब्दों से मिलकर बना है — “दत्त” अर्थात् दिया हुआ और “आत्रेय” अर्थात् महर्षि अत्रि के पुत्र। भगवान दत्तात्रेय का जन्म महर्षि अत्रि और देवी अनुसूया के तप से हुआ था। उनके तीन मुख Read More

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श्री दत्तात्रेय अपराध क्षमापन स्तोत्र (Shri Dattatreya Apradh Kshamapan Stotra)

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भगवान दत्तात्रेय त्रिदेव — ब्रह्मा, विष्णु और शिव — के संयुक्त अवतार हैं। वे ज्ञान, योग, भक्ति और तप की मूर्ति माने जाते हैं। “दत्तात्रेय” नाम दो भागों से बना है: “दत्त” यानी जिन्होंने स्वयं को समर्पित कर दिया, और “आत्रेय” यानी अत्रि ऋषि के पुत्र। उनका स्वरूप तीन मुख और छह भुजाओं वाला होता Read More

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श्री त्रिपुरिसुन्दारी वेदसारा स्तोत्रं (Sri Tripurasundari Vedasara Stotram)

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श्री त्रिपुरसुंदरी वेदसार स्तोत्रम् एक अत्यंत पावन और प्रभावशाली स्तोत्र है, जो आदिशक्ति माँ त्रिपुरसुंदरी की महिमा का सार प्रस्तुत करता है। यह स्तोत्र वेदों के सार को समेटे हुए, शक्ति की परम रूपा श्री ललिता त्रिपुरसुंदरी के विभिन्न दिव्य स्वरूपों, गुणों और लीलाओं का गुणगान करता है। माँ त्रिपुरसुंदरी को त्रिलोकसुंदरी, श्रीविद्या स्वरूपिणी, राजराजेश्वरी, Read More

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श्री त्रिपुर सुंदरी स्तोत्रम् (Shri Tripura Sundari Stotram)

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त्रिपुरसुंदरी देवी को सौंदर्य, शक्ति और करुणा की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। उन्हें “षोडशी” यानी सोलह वर्ष की अलौकिक कन्या भी कहा जाता है। त्रिपुरा का अर्थ होता है – तीन लोक या तीन नगर, और सुंदरि का अर्थ है – अति सुंदर नारी। इस तरह त्रिपुरसुंदरी का अर्थ हुआ – तीनों लोकों की Read More

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श्री गणेशा पंच्रात्नाम स्तोत्रं (Sri Ganesha Pancharatnam Stotram)

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“श्री गणेश पञ्चरत्नं स्तोत्रम्” एक अत्यंत प्रभावशाली और सुंदर स्तुति है जिसे आदिगुरु श्री आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। इस स्तोत्र में भगवान गणेश के दिव्य स्वरूप, गुणों और कृपा का गान पाँच श्लोकों (इसलिए नाम “पञ्चरत्न” – पाँच रत्न) के माध्यम से किया गया है। प्रत्येक श्लोक में भगवान गणेश के विभिन्न Read More

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श्री गणेशा द्वादाशानमा स्तोत्रं (Shri Ganesha Dvadashanama Stotram)

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“श्रीगणेश द्वादश नाम स्तोत्रम्” एक अत्यंत पावन और प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसमें भगवान गणेश के बारह दिव्य नामों का उल्लेख किया गया है। इस स्तोत्र का पाठ करने से साधक को श्रीगणेश जी की कृपा प्राप्त होती है और उसके जीवन के समस्त विघ्न-बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों Read More

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श्री गणेशा अवतार स्तोत्रं (Shri Ganesha Avatara Stotram)

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“श्री गणेश अवतार स्तोत्रम्” एक अद्भुत और गूढ़ स्तोत्र है जो भगवान श्री गणेश जी के विभिन्न अवतारों का वर्णन करता है। इसे “आङ्गिरस ऋषि” द्वारा कहा गया है और इसमें गणपति के आठ प्रमुख अवतारों — जैसे वक्रतुण्ड, एकदन्त, महोदर, गजानन, लम्बोदर, विकट, विघ्नराज और धूम्रवर्ण — की महिमा का विस्तार से वर्णन किया Read More