संकट नाशन गणेश स्तोत्र भगवान गणेश को समर्पित एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसका नियमित पाठ जीवन की सभी बाधाओं, कष्टों और समस्याओं से मुक्ति दिलाता है। यह स्तोत्र नारद मुनि द्वारा बताया गया है और इसमें भगवान गणेश के बारह नामों का वर्णन किया गया है। इन नामों का स्मरण करने से भक्त को आयु, विद्या, धन, संतान, सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भगवान गणेश को किसी भी कार्य की शुरुआत से पहले पूजा जाता है। वे विघ्नों को दूर करने वाले, बुद्धि और सौभाग्य देने वाले देवता हैं। इस स्तोत्र का पाठ व्यक्ति के जीवन में स्थिरता, समृद्धि और शांति लाता है।
संकट नाशन गणेश स्तोत्र
नारद उवाच –
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुः कामार्थसिद्धये ॥ 1 ॥
प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् ।
तृतीयं कृष्णपिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ॥ 2 ॥
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ॥ 3 ॥
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ॥ 4 ॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं परम् ॥ 5 ॥
विद्यार्थी लभते विद्या धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥ 6 ॥
जपेत् गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलम् लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः ॥ 7 ॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत् ।
तस्य विद्या भवेत् सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥ 8 ॥
॥ इति संकट नाशन गणेश स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥
संकट नाशन गणेश स्तोत्र (हिंदी अनुवाद) (Sankat Nashan Ganesh Stotra (Hindi Translation))
नारद बोले –
मैं सिर झुकाकर देवी गौरी के पुत्र भगवान विनायक की वंदना करता हूँ।
जो भक्तों के हृदय में सदा निवास करते हैं, उन्हें नित्य स्मरण करने से आयु, कामना और अर्थ की सिद्धि होती है। ॥1॥
पहला नाम है वक्रतुण्ड (टेढ़े सूंड वाले),
दूसरा है एकदन्त (एक दाँत वाले),
तीसरा है कृष्णपिंगाक्ष (गहरे भूरे रंग की आँखों वाले),
चौथा है गजवक्त्र (हाथीमुख वाले)। ॥2॥
पाँचवां नाम है लम्बोदर (बड़े पेट वाले),
छठा है विकट (भयानक रूप वाले),
सातवां है विघ्नराजेन्द्र (विघ्नों के राजा),
आठवां है धूम्रवर्ण (धुएँ के समान रंग वाले)। ॥3॥
नौवां नाम है भालचन्द्र (मस्तक पर चन्द्र धारण करने वाले),
दसवां है विनायक (नेता या अग्रणी),
ग्यारहवां है गणपति (गणों के स्वामी),
बारहवां है गजानन (हाथीमुख वाले)। ॥4॥
जो व्यक्ति इन बारह नामों का तीनों संध्याओं (प्रातः, मध्यान्ह, संध्या) में पाठ करता है,
उसे किसी विघ्न का भय नहीं होता और उसे सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। ॥5॥
विद्या की इच्छा रखने वाला विद्यार्थी विद्या प्राप्त करता है,
धन की कामना रखने वाला धन प्राप्त करता है,
संतान की इच्छा रखने वाला संतान प्राप्त करता है,
और मोक्ष चाहने वाला गति (मोक्ष) को प्राप्त करता है। ॥6॥
जो व्यक्ति इस गणपति स्तोत्र का छह महीने तक नियमित जप करता है,
वह निश्चित रूप से फल को प्राप्त करता है,
और एक वर्ष में पूर्ण सिद्धि प्राप्त करता है — इसमें कोई संदेह नहीं है। ॥7॥
जो कोई इस स्तोत्र को लिखकर आठ ब्राह्मणों को अर्पित करता है,
वह सभी प्रकार की विद्या को प्राप्त करता है — यह श्री गणेश के प्रसाद से होता है। ॥8॥
॥ इस प्रकार संकट नाशन गणेश स्तोत्र समाप्त हुआ ॥
संकट नाशन गणेश स्तोत्र के लाभ (Benefits of Sankat Nashan Ganesh Stotra):
- जीवन की सभी प्रकार की बाधाएँ और संकट समाप्त होते हैं।
- विद्यार्थी को विद्या, नौकरी चाहने वाले को रोजगार और व्यापारियों को सफलता प्राप्त होती है।
- घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- मोक्ष की इच्छा रखने वालों को आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।
- मानसिक तनाव, भय और भ्रम समाप्त होते हैं।
- भगवान गणेश की कृपा से शुभ कार्यों में सफलता मिलती है।
यह स्तोत्र कौन पढ़ सकता है (Who can read this hymn):
- जो व्यक्ति जीवन में सफलता और स्थिरता चाहता है।
- जिन्हें कार्यों में बार-बार रुकावटें आती हैं।
- विद्यार्थी, व्यापारी, नौकरीपेशा या गृहस्थ — सभी इस स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।
- जो भगवान गणेश की कृपा से जीवन को सरल और शुभ बनाना चाहते हैं।
पाठ विधि (Method):
- सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक, धूप, दूर्वा, लाल पुष्प, मोदक और लड्डू अर्पित करें।
- शांत मन से यह स्तोत्र पढ़ें या जप करें।
- यदि संभव हो, तो बुधवार या चतुर्थी के दिन प्रारंभ करें।