
जब कार्तिक मास की चांदनी अपनी पूर्णता को छूने लगती है और गंगा किनारे दीपों की पंक्तियाँ जगमगाने लगती हैं, तभी आता है एक अद्भुत दिन — बैकुंठ चतुर्दशी। यह वह तिथि है जब स्वर्ग और शिवलोक के द्वार एक साथ खुलते हैं, और विष्णु तथा शिव — दो महाशक्तियाँ — एक-दूसरे की आराधना में Read More





























