सर्वदोष नाशक श्रीनवग्रहेश्वरी लक्ष्मी स्तोत्र एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो नवग्रहों की नकारात्मक प्रभावों से रक्षा करता है और जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लाने में मदद करता है।
- इसे श्री लक्ष्मीजी की आराधना के लिए रचा गया है।
- इस स्तोत्र का पाठ करने से सभी ग्रहों की दशा सुधरती है और दु:ख, बाधा और आर्थिक समस्याएँ दूर होती हैं।
- यह स्तोत्र सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने और संपत्ति, मान-सम्मान, और मानसिक शांति पाने के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
सर्वदोष नाशक श्रीनवग्रहेश्वरी लक्ष्मी स्तोत्र (Sarvadosh Nashak Shri Navagraheshwari Lakshmi Stotra)
सूर्य लक्ष्मी (स्वर्ण लक्ष्मी)
स्वर्णाभां प्रभया समुल्लसितां देवानुतां योगविद्याविशिष्टाम्।
ह्रौं दीप्तिमार्गे रविमण्डलस्थां नमाम्यहं स्वर्णलक्ष्मीमन्याम्॥
सूर्यलक्ष्मी नमस्तुभ्यं ज्वालामालिन्यरूपिणि।
रक्तवर्णे शुभे देवी गृहवास्तु दोषनाशं कुरुष्व मे॥१
हिन्दी अर्थ:
मैं स्वर्ण-प्रभा से चमकती, योग और विद्या से युक्त, देवताओं द्वारा पूजित,
सूर्यमंडल में स्थित “स्वर्णलक्ष्मी” को नमस्कार करता हूँ।
हे सूर्यलक्ष्मी! आप अग्नि-ज्वालाओं की माला से शोभायमान,
रक्तवर्णा एवं शुभरूपा हैं — कृपया मेरे गृह एवं वास्तु दोषों का नाश करें।
चन्द्र लक्ष्मी (शशिलक्ष्मी)
श्वेतांशुकान्तिं हिमशीतलाङ्गीं सोमप्रभां शान्तिपरां मनोज्ञाम्।
ह्रीं मध्यमार्गे हिमरश्मिनीलां नमाम्यहं शशिलक्ष्मीमन्याम्॥
चन्द्रलक्ष्मि नमस्तुभ्यं शीतांशुप्रियरूपिणि।
श्वेतवर्णे सुधामूर्ते सौम दोषं निवारय॥२
हिन्दी अर्थ:
मैं हिमशीतल अंगों वाली, सोम के समान कान्तिमती,
शान्तिदायिनी और मनोहर चन्द्रलक्ष्मी को नमस्कार करता हूँ।
हे चन्द्रलक्ष्मी! आप श्वेतवर्णा, अमृतस्वरूपा, शीतल ज्योति की प्रिय मूर्ति हैं —
कृपया चन्द्रदोष एवं मानसिक पीड़ा का निवारण करें।
मङ्गल लक्ष्मी (रक्त लक्ष्मी)
रक्तप्रभां रक्तवस्त्रां त्रिनेत्रां सौम्याग्र्यशक्तिं रणसिद्धिहेतुम्।
क्रों दीप्यमानां मङ्गले प्रतिष्ठां नमाम्यहं रक्तलक्ष्मीमन्याम्॥
मंगल लक्ष्मि रक्ताङ्गे रणमर्दिनी।
मङ्गलदोषनाशाय त्वां नत्वा शरणं गतः॥३
हिन्दी अर्थ:
मैं रक्तवर्ण से दीप्त, त्रिनेत्रा, युद्ध में विजयदायिनी,
मंगलग्रह में स्थित शक्तिरूपा रक्तलक्ष्मी को नमस्कार करता हूँ।
हे रणमर्दिनी मंगललक्ष्मी! कृपया मेरे मङ्गल दोषों का नाश करें,
मैं आपकी शरण में आया हूँ।
बुध लक्ष्मी (सौम्य लक्ष्मी)
हरितप्रभां हरिमेचकवस्त्रां कलावतीं वाक्सुधाधारवक्त्रीम्।
ह्रीं ज्ञानसिद्धिं बुधगेहवसां नमाम्यहं सौम्यलक्ष्मीमन्याम्॥
बुधलक्ष्मि नमस्तुभ्यं सौम्यवाक्प्रदायिनि।
मूर्ख्यदोषं हरेद्देहि बुधदोषं विनाशय॥४
हिन्दी अर्थ:
मैं हरित-प्रभा से शोभायमान, हरित-वस्त्रधारिणी,
मीठी वाणी की धारायुक्त, कलामयी बुधलक्ष्मी को प्रणाम करता हूँ।
हे सौम्य लक्ष्मी! कृपया मेरी वाणी को मधुर करें,
मूर्खता और बुधदोष को हर लें।
गुरु लक्ष्मी (बृहस्पति लक्ष्मी)
पीताम्बरां पुण्यरूपां वराङ्गीं वेदानुतां धर्मसङ्ग्रहशीलाम्।
ह्रूं बृहस्पतेर्गेहगतां प्रसन्नां नमाम्यहं गुरु लक्ष्मीमन्याम्॥
गुरुलक्ष्मि नमस्तुभ्यं पीतवर्णधरे शुभे।
ब्रह्मदोषं समुत्पन्नं नाशयाशु कृपानिधे॥५
हिन्दी अर्थ:
मैं पीताम्बरा, पुण्यमयी, सुंदर शरीर वाली,
वेदों द्वारा पूजित एवं धर्म की संग्राहिका गुरु लक्ष्मी को नमस्कार करता हूँ।
हे पीतवर्णधारी शुभ लक्ष्मी! कृपा करके ब्रह्मदोष और गुरु-दोष को शीघ्र नष्ट करें।
शुक्र लक्ष्मी (कामलक्ष्मी)
शुभ्रां चमत्कारशक्तिं मनोज्ञां कान्त्युत्कटां दानशीलवतीम्।
श्रीं शुक्रगृहस्थां रमणीं भगीं तां नमाम्यहं कामलक्ष्मीमन्याम्॥
शुक्रलक्ष्मि नमस्तुभ्यं रतिकान्तमनोहरि।
कवितादोषयुक्तं मां कुरु सौभाग्यभागिनम्॥६
हिन्दी अर्थ:
मैं शुभ्रवर्णा, अद्भुत शक्ति वाली, आकर्षक सौंदर्यमयी,
दानशील, शुक्रगृह निवासिनी कामलक्ष्मी को नमस्कार करता हूँ।
हे रतिकान्त सुंदरि! कृपया काव्य या वाणी दोष से मुझे मुक्त कर सौभाग्य प्रदान करें।
शनि लक्ष्मी (नील लक्ष्मी)
नीलाम्बरां नीलतनुं स्थिराङ्गीं धैर्यप्रदां कर्मपाशविनाशाम्।
शं मन्दसौम्यां शनिगेहवसां नमाम्यहं नीललक्ष्मीमन्याम्॥
शनिलक्ष्मि नमस्तुभ्यं कालकूटसमप्रभे।
शनिदोषं विनाशाय त्वं वन्दे घोररूपिणीम्॥७
हिन्दी अर्थ:
मैं नीलवर्णा, नील वस्त्रधारिणी, स्थिर स्वभाववाली,
धैर्यदायिनी और कर्मबंधन नाशिनी शनिलक्ष्मी को प्रणाम करता हूँ।
हे शनिदेवी! आप कालकूट विष सम तेजस्विनी हैं,
कृपया शनिदोष को नष्ट करें — मैं आपको बारम्बार वन्दन करता हूँ।
राहु लक्ष्मी (मोह लक्ष्मी)
कालाभ्रकान्तिं रजनीविलासां छायाग्रहीं तामसशक्तिरूपाम्।
भ्रां राहुगृहस्थां भ्रमनाशनां तां नमाम्यहं मोहलक्ष्मीमन्याम्॥
राहुलक्ष्मि नमस्तुभ्यं छायागहनमूर्तये।
राहुदोषं निवार्य त्वं देहि शान्तिं मयि स्थिराम्॥८
हिन्दी अर्थ:
मैं काल बादल जैसी छाया वाली, रात्रिस्वरूपा,
तामसिक शक्ति स्वरूपा मोहलक्ष्मी को नमस्कार करता हूँ।
हे राहुलक्ष्मी! आप छाया की गहन मूर्ति हैं,
कृपा कर राहु दोष का निवारण कर स्थिर शांति प्रदान करें।
केतु लक्ष्मी (चित्स्वरूपा लक्ष्मी)
ध्वजाकराकारवपुं स्फुरन्तीं दिव्यप्रभां ध्याननिष्ठारम्याम्।
फट् केतुगेहे कुशलप्रदां तां नमाम्यहं चित्स्वरूपां लक्षण्याम्॥
केतुलक्ष्मि नमस्तुभ्यं धूम्रवर्णधरे शुभे।
केतुदोषं विनाशाय त्वां नमामि पुनः पुनः॥९
हिन्दी अर्थ:
मैं ध्वज के आकार की छाया वाली,
दिव्य ज्योति से दीप्त, ध्यानमग्न सुंदर चित्तस्वरूपा केतुलक्ष्मी को नमन करता हूँ।
हे धूम्रवर्णा शुभदेवी! कृपा कर केतु दोषों का विनाश करें — मैं बार-बार नमन करता हूँ।
ब्रह्म लक्ष्मी (त्रिगुणमयी)
विश्वोज्ज्वलां ब्रह्मपदस्थितां तां त्रिगुणमयीं देवशक्तिस्वरूपाम्।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः स्वर्णचक्रे विराजितां नमाम्यहं ब्रह्मलक्ष्मीमन्याम्॥१०
हिन्दी अर्थ:
मैं सम्पूर्ण विश्व को प्रकाशित करने वाली, ब्रह्मपद में स्थित,
सत्व-रज-तम से परे त्रिगुणमयी, देवशक्ति स्वरूपा ब्रह्मलक्ष्मी को नमस्कार करता हूँ।
आप सम्पूर्ण ग्रहदोषों से परे परमलक्ष्मी हैं।
ग्रहाधिष्ठात्री लक्ष्मी त्वं ग्रहदोषविनाशिनी।
नवग्रहेषु सम्यक्ता त्वमेव स्फुरसि सदा॥११
हिन्दी अर्थ:
हे लक्ष्मी! आप समस्त ग्रहों की अधिष्ठात्री देवी हैं,
आप ही समस्त ग्रह-दोषों का विनाश करने वाली शक्ति हैं।
आप नवग्रहों में समान रूप से सदा प्रकाशित होती रहती हैं।
नक्षत्रेश्वररूपे त्वं तारालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।
कुंडलीदोषशाम्यर्थं कृपां कुरु महेश्वरि॥१२
हिन्दी अर्थ:
हे तारालक्ष्मी! आपको नक्षत्रों की अधीश्वरी के रूप में नमन है।
हे महेश्वरी! मेरी जन्मकुंडली में जो दोष हैं,
उनके शमन के लिए मुझ पर कृपा कीजिए।
जातकदोषसङ्घातं शमयस्व महालक्ष्मि।
शान्तिदात्री त्वमेव स्याः सौभाग्यं कुरु मे सदा॥१३
हिन्दी अर्थ:
हे महालक्ष्मी! मेरी जन्मपत्रिका में जो अनेक दोषसमूह हैं,
उन सबको शांत कीजिए।
आप ही शांति और सौभाग्य देने वाली देवी हैं — कृपा कर सदा मुझे सौभाग्यशाली बनाएं।
बृहस्पतिग्रहे लक्ष्मि ज्ञानदा योगदायिनी।
गुरुचण्डालयोगं त्वं भञ्जयाशु नमोऽस्तु ते॥१४
हिन्दी अर्थ:
हे लक्ष्मी! बृहस्पति ग्रह में आप ज्ञान और योग प्रदान करने वाली देवी हैं।
यदि किसी की कुंडली में गुरु-चाण्डाल योग हो, तो कृपा कर आप उसे शीघ्र नष्ट करें।
आपको बारंबार नमन है।
चन्द्रमङ्गलयोगं त्वं कल्याणमयं कुरु।
राहुकालं च शमय त्वां नमामि महालक्ष्मि॥१५
हिन्दी अर्थ:
हे महालक्ष्मी! यदि चन्द्र-मंगल योग हो, तो कृपा कर उसे शुभ और कल्याणकारी बनाइए।
राहुकाल की अशुभता का भी नाश कीजिए।
मैं आपको बार-बार नमस्कार करता हूँ।
कुजदोषं शनिदोषं कालसर्पादिकं च यत्।
ग्रहदोषं समस्तं मे हरस्व त्वं कृपानिधे॥१६
हिन्दी अर्थ:
हे कृपा की खान लक्ष्मी!
कृपया कुजदोष, शनिदोष, कालसर्प योग और अन्य सभी प्रकार के ग्रहदोषों को मेरा जीवन से हर लें।
नीचस्थग्रहपीडा या वक्रस्थित्युपपन्निका।
सर्वं नाशय मे लक्ष्मि नवग्रहेश्वरस्वरूपिणि॥१७
हिन्दी अर्थ:
हे नवग्रहेश्वरस्वरूपा लक्ष्मी!
जो ग्रह नीचस्थ (अवस्थागत अशुभ) हों या वक्री चाल से कष्ट दे रहे हों,
उन सभी ग्रहपीड़ाओं को नष्ट कर दीजिए।
ग्रहचक्रविनाशिन्यै नमोऽस्तु नवमूर्तये।
ग्रहगह्वरमध्ये त्वं दीपवत् स्फुरसि सदा॥१८
हिन्दी अर्थ:
हे नवमूर्ति लक्ष्मी! आपको नमस्कार है, जो समस्त ग्रहचक्रों की अशुभता को विनष्ट करने वाली हैं।
आप अंधकारपूर्ण ग्रहगह्वरों (ग्रह-छायाओं) के मध्य दीपक की तरह सदा प्रकाशमान रहती हैं।
मेषराशिप्रभेशानि त्वं लक्ष्मि तेजस्विनी सदा।
मम राशौ ग्रहान् युक्तान् कुरु सत्त्वगुणान्वितान्॥१९
हिन्दी अर्थ:
हे तेजस्विनी लक्ष्मी! आप सभी राशियों की अधीश्वरी हैं, जैसे मेष आदि राशि।
कृपा कर मेरी जन्मराशि में स्थित ग्रहों को सत्त्वगुणयुक्त (शुभ और कल्याणकारी) बना दीजिए।
कर्कवृश्चिकमीनाद्याः राशिलग्नादयो यदा।
दोषयुक्तास्तदा मातः क्षमस्व कृपया सदा॥२०
हिन्दी अर्थ:
हे माता! यदि कर्क, वृश्चिक, मीन आदि राशियों या लग्नों में कोई दोष उपस्थित हो,
तो कृपया उन्हें क्षमा कर सदा कृपा बनाए रखें।
दशाफलविपर्यासं निवारय जगन्मये।
द्वादशभावसंस्थानां शान्तिं कुरु नमोऽस्तु ते॥२१
हिन्दी अर्थ:
हे जगन्मयी लक्ष्मी! जीवन में ग्रह दशाओं के कारण जो विपरीत फल मिलते हैं, उन्हें दूर कीजिए।
बारह भावों (लग्न से द्वादश भाव तक) में स्थित ग्रहों को शान्तिपूर्ण बनाइए।
मूलनक्षत्रजन्मस्य ग्रहपीडा भयानका।
तां निवार्य त्वमेव त्वं संजीविन्यपि रूपिणी॥२२
हिन्दी अर्थ:
जो व्यक्ति मूल नक्षत्र में जन्मा हो, उसे गहन ग्रह पीड़ा होती है।
हे लक्ष्मी! आप संजीवनी स्वरूपिणी हैं — कृपा कर इस भयानक पीड़ा का निवारण करें।
अशुभयोगयुक्तानां ग्रहाणां दोषकर्मणाम्।
फलदात्री त्वमेव स्याः शुभदां कुरु मे श्रियम्॥२३
हिन्दी अर्थ:
जो ग्रह अशुभ योगों से युक्त हों और पापकर्म का फल दे रहे हों,
उनकी स्थिति में भी आप ही शुभ फलदात्री बनें।
मुझे समृद्धि और सौभाग्य प्रदान कीजिए।
कुलकुण्डलिनीशक्ते नवग्रहशक्ति संस्थिते।
आध्यात्मिकपीडाशान्त्यै त्वामभ्यर्चयाम्यहम्॥२४
हिन्दी अर्थ:
हे कुलकुण्डलिनीशक्ति! आप नवग्रहों में विद्यमान दिव्यशक्ति हैं।
आध्यात्मिक पीड़ाओं की शान्ति हेतु मैं आपको श्रद्धापूर्वक पूजता हूँ।
ग्रहपीडासहस्राणि येन नाशं गतानि च।
तां त्वां नवग्रहेश्वरी लक्ष्मीं शरणं प्रपद्ये सदा॥२५
हिन्दी अर्थ:
जिसके द्वारा हजारों ग्रहपीड़ाएँ समाप्त हो गईं,
ऐसी नवग्रहेश्वरी लक्ष्मी की मैं सदा शरण लेता हूँ।
मन्त्रतन्त्रातियोगेन यं स्तवं पठते नरः।
ग्रहशान्तिः कृता तेन यशः कीर्तिर्विवर्धते॥२६
हिन्दी अर्थ:
जो भी व्यक्ति इस स्तोत्र को मन्त्र, तन्त्र और श्रद्धा सहित पढ़ता है,
उसकी ग्रहशान्ति हो जाती है और उसका यश तथा कीर्ति बढ़ती है।
सर्वव्याधिविनाशाय धनधान्यविवृद्धये।
पठेत् स्तोत्रं समग्रं च नवग्रहं प्रसादयेत्॥२७
हिन्दी अर्थ:
जो इस सम्पूर्ण स्तोत्र का पाठ करता है —
वह समस्त रोगों से मुक्त होता है, धन-धान्य की वृद्धि पाता है, और नवग्रहों को प्रसन्न करता है।
कुंडलीदोषयुक्तानां योगक्षेमं प्रदायिनि।
त्वं एव नवग्रहेशानि लक्ष्मी स्वर्णमयी सदा॥२८
हिन्दी अर्थ:
हे स्वर्णमयी लक्ष्मी! आप नवग्रहों की अधीश्वरी हैं।
कुंडली में दोष होने पर भी आप योग (प्राप्ति) और क्षेम (सुरक्षा) प्रदान करने वाली हैं।
मन्त्रैः स्तोत्रैः यज्ञवाचैः ये स्तुवन्ति त्वया सदा।
ग्रहबाधा न जायन्ते नैव नक्षत्रदोषकाः॥२९
हिन्दी अर्थ:
जो लोग आपको मन्त्र, स्तोत्र और यज्ञ से सदा स्तुत करते हैं,
उन्हें ग्रहबाधाएं और नक्षत्र-दोष कभी नहीं सताते।
श्रीहरि इच्छा समुत्पन्ना नवग्रहेश्वरी शुभे।
विष्णुसंयोगयुक्ता त्वं जीवन्यपि महामते॥३०
हिन्दी अर्थ:
हे शुभे! आप श्रीहरि की इच्छा से उत्पन्न हुईं,
नवग्रहों की अधीश्वरी हैं, और विष्णु के साथ संयुक्त रहकर जीवनदायिनी महामती देवी हैं।
ग्रहेश्वरीं महाशक्तिं नवग्रहपीडा़ विनाशिनीम्।
स्तोत्रराजं पठेद् भक्त्या सर्वमङ्गलमाप्नुयात्॥३१
हिन्दी अर्थ:
जो इस स्तोत्रराज का भक्तिपूर्वक पाठ करता है,
उसे ग्रहाधिपति महाशक्ति, नवग्रहपीड़ा़ विनाशिनी लक्ष्मी की कृपा से सर्वमंगल की प्राप्ति होती है।
इति स्तवं मम लोके नवग्रहलक्ष्मिकारणम्।
जप्यं सर्वग्रहारिष्टशान्तये भक्तिसंयुतम्॥३२
हिन्दी अर्थ:
यह स्तोत्र नवग्रह लक्ष्मी की कृपा को प्राप्त करने हेतु मेरे द्वारा रचा गया है।
यह समस्त ग्रहदोषों और अमंगलों की शान्ति हेतु जपनीय है —
श्रद्धा और भक्ति के साथ इसका पाठ करें।
Labh (Benefits / लाभ)
- सर्वदोष नाशन – सभी ग्रह दोष, दोषपूर्ण योग और कुंडली की अशुभ परिस्थितियों से मुक्ति।
- संपत्ति और समृद्धि – धन, वैभव और व्यापार में लाभ।
- मान-सम्मान और प्रतिष्ठा – समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
- स्वास्थ्य लाभ – मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार।
- शांति और सुरक्षा – घर और जीवन में नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा।
- संकट मोचन – जीवन में आने वाली परेशानियों और बाधाओं को दूर करना।
Vidhi (Worship / विधि)
- स्थान और समय
- सुबह या शुक्रवार का समय उत्तम माना जाता है।
- पूजा स्थल स्वच्छ और शांत होना चाहिए।
- आवश्यक सामग्री
- दीपक (Deepak)
- धूप और अगरबत्ती
- लाल या पीला पुष्प
- सफेद चावल, फल, और मिश्री
- पूजा विधि
- सबसे पहले शुद्ध मन और स्वच्छ शरीर से बैठें।
- ध्यान और मंत्र उच्चारण से देवी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएँ।
- सर्वदोष नाशक श्रीनवग्रहेश्वरी लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें।
- पाठ के बाद देवी को फूल और फल अर्पित करें।
- अंत में सभी के लिए शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें।





















































