“बजरंग की कैंची” एक अत्यंत प्रभावशाली तांत्रिक एवं रहस्यमयी स्तोत्र है, जो हनुमान जी की कृपा प्राप्ति और तांत्रिक बाधाओं के निवारण हेतु प्रयोग किया जाता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है जो अभिचार, भूत-प्रेत बाधा, नज़र दोष या नकारात्मक शक्तियों से प्रभावित हैं।
इस स्तोत्र में हनुमान जी को रक्षक, विघ्नहर्ता और बाधा विनाशक रूप में पुकारा गया है। इसमें “कैंची” शब्द प्रतीकात्मक रूप से सभी प्रकार की बुरी शक्तियों, मंत्रों, टोटकों, और काले जादू को काटने के लिए प्रयुक्त होता है। यह पाठ एक प्रकार की सुरक्षा कवच की भाँति कार्य करता है जो साधक को मानसिक, आत्मिक व भौतिक रूप से सुरक्षित करता है।
विशेष बात यह है कि यह पाठ न केवल सुरक्षा देता है, बल्कि अभिमंत्रित नींबू, जल या लवंग के माध्यम से अन्य व्यक्तियों या स्थानों की भी रक्षा की जा सकती है। अतः “बजरंग की कैंची” स्तोत्र केवल एक पाठ नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली साधना प्रक्रिया है जो श्रद्धा, नियम और आस्था से किए जाने पर अत्यंत प्रभावी सिद्ध होती है।
बजरंग की कैची (Bajrang Ki Kainchi)
फजले बिस्मिल्ला रहमान,
अटल खुरजी तेज खुरान।
घड़ी-घड़ी में निकलै बान।
लालो लाल कमान, राखवाले की जबान।
खाक माता खाक पिता।
त्रिलोकी की मिसैली। राजा – प्रजा पड़ै मोहिनी।
जल देखै, थल कतरै।
राजा इन्द्र की आसन कतरै।
तलवार की धार कतरै।
आकाश पाताल, वायु – मण्डल को कतरै।
तेंतीस कोटि देवी-देवताओं को कतरै।
शिव – शंकर को कतरै।
भीमसेन की गदा कतरै।
अर्जुन को बाण कतरै।
कृष्ण को सुदर्शन कतरै।
सोला हंसा को कतरै।
पेट में के बावरे को कतरै।
दौलतपुर के डोमा को कतरै।
ब्राह्मण के ब्रहम-राक्षस को कतरै।
धोबी के जिन को कतरै।
भंगी के जिन को कतरै।
रमाने के जिन को कतरै।
मसान के जिन को कतरै।
मेरे नरसिंह से कतरै।
गुरु के नरसिंह से कतरै।
बौलातन चुड़ैल को कतरै।
जहाँ खुरी नौ खण्ड, बारह बंगाले की विद्या जा पहुँचे।
अञ्जनी के पूत हनुमान !
तोहे एक लाख अस्सी हजार
पीर-पैगम्बरों की दुहाई, दुहाई, दुहाई।
लाभ:
इस साधना द्वारा अभिमंत्रित नींबू को किसी स्थान पर लटकाने से वहाँ किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्ति, तंत्र प्रभाव, भूत-प्रेत, या बुरी नजर नहीं टिकती। दुकान या व्यापारिक स्थल में इसे स्थापित करने से व्यवसाय में सकारात्मक वृद्धि होती है।
यदि कोई व्यक्ति भूत-प्रेत बाधा से पीड़ित है, तो उसके नाम से यह मंत्र पढ़कर जल को अभिमंत्रित करें और उसे 3, 5 या 7 बार उस पर छिड़कें। इसके बाद उसी मंत्र से अभिमंत्रित लवंग (लौंग) उस व्यक्ति को खिलाने से उसकी नकारात्मक विद्या या प्रभाव शीघ्र समाप्त हो जाता है।
पाठ विधि:
सर्वप्रथम हनुमान जी का विधिपूर्वक पूजन करें। इसके पश्चात प्रतिदिन 108 बार “बजरंग की कैंची” स्तोत्र का पाठ करें। यह क्रम निरंतर 21 दिनों तक पालन करें। 21वें दिन विशेष पूजन में हनुमान जी को सिंदूर, नया लंगोट, सवा सेर रोट (विशेष रोटी), एवं एक नारियल श्रद्धापूर्वक अर्पित करें।
महत्वपूर्ण सूचना:
यह लेख केवल धार्मिक व आध्यात्मिक जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। यदि कोई व्यक्ति इस पाठ, उपाय या साधना को अपनाता है और उससे लाभ या हानि होती है, तो उसकी पूर्ण जिम्मेदारी स्वयं साधक की होगी। किसी भी साधना या तांत्रिक प्रयोग को करने से पहले किसी योग्य, अनुभवी और सिद्ध गुरु का मार्गदर्शन अवश्य प्राप्त करें। बिना मार्गदर्शन के साधना करना शारीरिक, मानसिक या आध्यात्मिक रूप से हानिकारक हो सकता है। यदि आपको किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्या है, तो पहले किसी योग्य चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।
























































