
हिंदू धर्म के अनगिनत चित्रों और मूर्तियों में आपने देखा होगा कि माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के चरण दबा रही होती हैं। यह दृश्य जितना सुंदर लगता है, उतना ही रहस्यमयी भी है। क्या आपने कभी सोचा है कि धन और समृद्धि की देवी स्वयं अपने पति के चरण क्यों दबाती हैं? इसके पीछे छिपा है ग्रहों का रहस्य, संतुलन की शक्ति और एक पौराणिक कथा, जो अद्भुत है।
ग्रहों के प्रभाव को कम करने का रहस्य
पौराणिक मान्यता के अनुसार, स्त्रियों के हाथों में देवगुरु बृहस्पति का निवास होता है, जबकि पुरुषों के चरणों में दैत्यगुरु शुक्राचार्य का वास माना गया है। जब कोई स्त्री किसी पुरुष के चरण स्पर्श करती है, तब यह देवगुरु और दैत्यगुरु का संगम होता है। यह संगम धन, सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा को जन्म देता है।
माता लक्ष्मी, जो स्वयं धन की अधिष्ठात्री देवी हैं, भगवान विष्णु के चरण दबाकर यह सुनिश्चित करती हैं कि “ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव समाप्त हो जाए और संसार में समृद्धि का प्रवाह बना रहे।” उनका यह कार्य केवल सेवा नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय संतुलन का प्रतीक है।
अलक्ष्मी से रक्षा का रहस्यमयी कारण

किंवदंती है कि माता लक्ष्मी की एक बहन भी थीं — अलक्ष्मी, जो दरिद्रता, कलह और अभाव की प्रतीक मानी जाती हैं। कहा जाता है कि जहाँ अलक्ष्मी जाती हैं, वहाँ विवाद, दुख और दरिद्रता अपना घर बना लेते हैं। इसी कारण माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के चरणों में रहकर अपने पति की दिव्य आभा के चारों ओर ऊर्जा का कवच बनाती हैं, ताकि अलक्ष्मी पास न आ सके।
इस प्रकार वे अपने स्पर्श और प्रेम से न केवल विष्णु भगवान की सेवा करती हैं, बल्कि अलक्ष्मी के नकारात्मक प्रभावों से रक्षा भी करती हैं।
आध्यात्मिक दृष्टि से रहस्य
यदि हम इस दृश्य को आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो यह सेवा और समर्पण की चरम अभिव्यक्ति है। माता लक्ष्मी का यह रूप हमें यह सिखाता है कि “जब अहंकार समाप्त होता है, तभी सौभाग्य और प्रेम का प्रवाह आरंभ होता है।”
चरण दबाना केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि ऊर्जा का आदान-प्रदान भी है। देवी के कोमल हाथों से प्रसारित होने वाली ब्रह्म ऊर्जा भगवान विष्णु के चरणों से जुड़कर सृष्टि में स्थिरता और संतुलन बनाए रखती है।
इस कथा से मिलने वाली सीख
यह कथा हमें सिखाती है कि जीवन में संतुलन, सेवा और विनम्रता सबसे बड़ा सौंदर्य है। माता लक्ष्मी की भांति यदि हम भी प्रेम और श्रद्धा से कर्म करें, तो न केवल हमारे जीवन में धन और सुख आएगा, बल्कि मन की शांति और समृद्धि भी सदा बनी रहेगी।
निष्कर्ष
माता लक्ष्मी द्वारा भगवान विष्णु के चरण दबाने का दृश्य केवल भक्ति या नारी के समर्पण का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह एक गूढ़ ब्रह्मांडीय रहस्य है — जहाँ ग्रहों का संतुलन, ऊर्जा का प्रवाह और प्रेम का संयोग साथ-साथ चलता है। यही कारण है कि यह दृश्य आज भी हर भक्त के हृदय में भक्ति और सौभाग्य का प्रतीक बनकर चमकता है।













































