
“मूल” शब्द का अर्थ होता है — जड़, मूल आधार, या किसी शुरुआत की जड़।
वैदिक ज्योतिष में मूल नक्षत्र (Moola Nakshatra) 27 नक्षत्रों में 19वां नक्षत्र है, जो धनु राशि (Sagittarius) में 0°00′ से 13°20′ तक फैला हुआ है।
इसका प्रतीक जड़ों का गुच्छा या हाथी का अंकुश है — जो गहराई, नियंत्रण और जड़ों तक पहुँचने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
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नक्षत्र का स्वामी, देवता और विशेषताएँ (Nakshatra’s Lord, Deity and Characteristics)
- स्वामी ग्रह – केतु (Ketu)
- देवता – देवी निरृति (Nirriti), जो “विनाश के बाद सृजन” का प्रतीक हैं।
- गुण (गण) – राक्षस गण (Rakshasa Gana)
- राशि स्वामी – बृहस्पति (Jupiter)
- चिह्न (Symbol) – जड़ें, हाथी का अंकुश
- वृक्ष – साल का पेड़
- अक्षर – ये, यो, भा, भी
केतु ग्रह आत्मिक शक्ति, रहस्य, पूर्व जन्म के कर्म और मुक्ति का कारक है। इसलिए इस नक्षत्र में जन्मे लोग गहरी सोच, रहस्यमय स्वभाव और सत्य की खोज में रुचि रखते हैं।
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मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चों का स्वभाव (Nature of children born in Moola Nakshatra)
ऐसे बच्चे गहराई से सोचने वाले, जिज्ञासु और आत्मनिर्भर होते हैं।
इनका जीवन कई बार परिवर्तन और चुनौतियों से भरा रहता है, परंतु ये उन चुनौतियों को जीतने की क्षमता रखते हैं।
इनमें नेतृत्व गुण, अध्ययन में गहरी रुचि और अपने विचारों पर दृढ़ता देखने को मिलती है।
ये बच्चे सामान्य से भिन्न सोच रखते हैं, इसलिए कई बार इन्हें “अलग” या “विशेष” माना जाता है।
क्या मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चे माता-पिता के लिए अशुभ होते हैं? (Are children born in Moola Nakshatra inauspicious for their parents?)
प्राचीन मान्यता
पुराने समय में कहा जाता था कि
“मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चे माता या पिता के लिए अशुभ होते हैं, विशेषकर पिता के लिए।”
इस धारणा का कारण यह था कि मूल नक्षत्र गण्डांत क्षेत्र में आता है — यानी दो राशियों (वृश्चिक और धनु) के संधिकाल पर।
यह स्थान ऊर्जा के तीव्र परिवर्तन का सूचक है, इसलिए पुराने ज्योतिषाचार्य इसे परिवार में बदलाव या संकट का संकेत मानते थे।
लेकिन ध्यान रहे — यह केवल परिवर्तन का संकेत था, न कि अशुभता का प्रमाण।
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आधुनिक और वैदिक दृष्टि से सच्चाई (Truth from the modern and Vedic perspective)
मूल नक्षत्र के स्वामी केतु हैं — जो मोक्ष, परिवर्तन और कर्म-परिवर्तन के ग्रह हैं।
इसलिए ऐसे बच्चों का जन्म कई बार परिवार की कर्म-श्रृंखला को बदलने वाला माना जाता है।
इनका जीवन परिवार में नया अध्याय खोलने या नई दिशा देने का संकेत होता है।
निरृति देवी “विनाश” की देवी ज़रूर हैं, पर उनका अर्थ है — पुराने बुरे कर्मों का अंत और नए सृजन की शुरुआत।
इसलिए यह कहना गलत है कि ऐसे बच्चे माता-पिता के लिए दुर्भाग्य लाते हैं।
वास्तव में, वे कर्म सुधार और जीवन परिवर्तन के वाहक होते हैं।
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कब दिख सकते हैं नकारात्मक प्रभाव (When can negative effects be seen?)
यदि बच्चे की कुंडली में गण्डांत दोष, केतु या शनि की अशुभ स्थिति, या लग्न का कमजोर होना हो,
तो शुरुआती वर्षों में परिवार को थोड़ी कठिनाइयाँ महसूस हो सकती हैं।
लेकिन यह प्रभाव स्थायी नहीं होता।
“मूल शांति पूजा” या “नक्षत्र शांति संस्कार” करने से यह प्रभाव पूर्णतः संतुलित हो जाता है।
मूल नक्षत्र के सकारात्मक गुण (Positive Traits of Moola Nakshatra)
- आत्मनिर्भरता और दृढ़ निश्चय
- सत्य की खोज और गहराई से सोचने की प्रवृत्ति
- कठिनाइयों को झेलकर आगे बढ़ने की क्षमता
- रहस्य, अध्यात्म, विज्ञान या शोध कार्यों में सफलता
- कर्मशीलता और मानसिक शक्ति
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माता-पिता को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए (What parents should keep in mind)
- डर या भ्रम में न रहें – यह नक्षत्र कोई अभिशाप नहीं, बल्कि एक कर्म-परिवर्तन का अवसर है।
- शांति पूजा अवश्य कराएं – जन्म के 27वें दिन या पहले वर्ष के भीतर “मूल नक्षत्र शांति” कराना शुभ माना गया है।
- धार्मिक व सकारात्मक माहौल बनाएँ – बच्चे को आध्यात्मिक, शांत और प्रेमपूर्ण वातावरण में पालें।
- जिद्दी स्वभाव को दिशा दें – ऐसे बच्चे अक्सर दृढ़ विचारों वाले होते हैं, इन्हें सही दिशा दें तो अद्भुत कार्य करते हैं।
- स्वास्थ्य पर ध्यान रखें – जांघ, कमर या पैरों से संबंधित स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
शांति उपाय (Remedies)
- मूल नक्षत्र शांति पूजा कराना (विशेषकर विष्णु या शिव की उपासना के साथ)
- केतु ग्रह की शांति हेतु “केतु बीज मंत्र” का जप – ॐ कें केतवे नमः (प्रतिदिन 108 बार)
- शनिवार को दान करना – काला तिल, उड़द, या कंबल दान शुभ होता है।
- साल के पेड़ या किसी जड़ वाले वृक्ष की सेवा – यह इस नक्षत्र से जुड़ा प्रतीकात्मक उपाय है।
- गाय, कुत्ते या पक्षियों को भोजन कराना – नकारात्मक ऊर्जा को शांत करता है।
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निष्कर्ष (Conclusion)
मूल नक्षत्र में जन्म लेना अशुभ नहीं, बल्कि परिवर्तन, आत्मशक्ति और कर्म-शुद्धि का प्रतीक है।
ऐसे बच्चे परिवार में नई सोच, नई दिशा और आध्यात्मिकता लाते हैं।
इसलिए, डरने की नहीं – समझने की ज़रूरत है।
मूल नक्षत्र वाले बच्चे “विनाश” नहीं, बल्कि “पुनर्जन्म” और “नई शुरुआत” के दूत होते हैं।