
भारत की तांत्रिक परंपरा में “चौंसठ योगिनियाँ” (64 Yoginis) का नाम लेते ही रहस्य, शक्ति और अध्यात्म का संगम झलक उठता है। ये योगिनियाँ माँ आदिशक्ति के भिन्न-भिन्न स्वरूप हैं, जो ब्रह्मांड के पंच तत्वों — अग्नि, जल, वायु, आकाश और पृथ्वी — में व्याप्त हैं। इन्हें “शक्ति का वृत्त” कहा गया है, क्योंकि ये अनादि, अनंत और सर्वव्यापी हैं।
भारत में इनके मंदिर विशेष रूप से मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में पाए जाते हैं, जो प्राचीन गोलाकार वास्तुकला में बने हैं। प्रत्येक मंदिर में 64 योगिनियों की मूर्तियाँ माँ शक्ति के अनगिनत रूपों की साक्षी हैं।
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चौंसठ योगिनियों की उपासना का महत्व

64 योगिनियों की साधना तंत्रशास्त्र में अत्यंत गोपनीय मानी जाती है।
यह साधक को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों जगतों पर अधिकार देती है।
इनकी कृपा से व्यक्ति को —
- परम शक्ति का अनुभव होता है।
- भय और बाधाओं से मुक्ति,
- आरोग्य,
- आकर्षण शक्ति,
- आत्मसाक्षात्कार और
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भारत में इन योगिनियों के प्रसिद्ध मंदिर हैं —
- भेड़ाघाट (जबलपुर, मध्यप्रदेश)
- हिरापुर (ओडिशा)
- मितावली (मुरैना)
- रानिपुर झरोखा (उत्तर प्रदेश)
ये सभी मंदिर गोलाकार होते हैं, जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा के चक्र (मंडल) का प्रतीक हैं।
64 योगिनियों के नाम और उनके मंत्र
- बहुरूप योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री काली नित्य सिद्धमाता स्वाहा।
- तारा योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कपलिनी नागलक्ष्मी स्वाहा।
- नर्मदा योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुला देवी स्वर्णदेहा स्वाहा।
- यमुना योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुरुकुल्ला रसनाथा स्वाहा।
- शांति योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विरोधिनी विलासिनी स्वाहा।
- वारुणी योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विप्रचित्ता रक्तप्रिया स्वाहा।
- क्षेमंकरी योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री उग्र रक्त भोग रूपा स्वाहा।
- ऐन्द्री योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री उग्रप्रभा शुक्रनाथा स्वाहा।
- वाराही योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री दीपा मुक्तिः रक्ता देहा स्वाहा।
- रणवीरा योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नीला भुक्ति रक्त स्पर्शा स्वाहा।
- वानरमुखी योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री घना महा जगदम्बा स्वाहा।
- वैष्णवी योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री बलाका काम सेविता स्वाहा।
- कालरात्रि योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मातृ देवी आत्मविद्या स्वाहा।
- वैद्यरूपा योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मुद्रा पूर्णा रजतकृपा स्वाहा।
- चर्चिका योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मिता तंत्र कौला दीक्षा स्वाहा।
- बेतली योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री महाकाली सिद्धेश्वरी स्वाहा।
- छिन्नमस्तिका योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कामेश्वरी सर्वशक्ति स्वाहा।
- वृषवाहन योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भगमालिनी तारिणी स्वाहा।
- ज्वाला कामिनी योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नित्यकलींना तंत्रार्पिता स्वाहा।
- घटवार योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भैरुण्ड तत्त्व उत्तमा स्वाहा।
- कराकाली योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वह्निवासिनी शासिनि स्वाहा।
- सरस्वती योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री महवज्रेश्वरी रक्त देवी स्वाहा।
- बिरूपा योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री शिवदूती आदि शक्ति स्वाहा।
- कौवेरी योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री त्वरिता ऊर्ध्वरेतादा स्वाहा।
- भलुका योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुलसुंदरी कामिनी स्वाहा।
- नारसिंही योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नीलपताका सिद्धिदा स्वाहा।
- बिरजा योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नित्य जनन स्वरूपिणी स्वाहा।
- विकतांगा योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विजया देवी वसुदा स्वाहा।
- महालक्ष्मी योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री सर्वमङ्गला तन्त्रदा स्वाहा।
- कौमारी योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ज्वालामालिनी नागिनी स्वाहा।
- महामाया योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री चित्रा देवी रक्तपुजा स्वाहा।
- रति योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ललिता कन्या शुक्रदा स्वाहा।
- करकरी योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री डाकिनी मदसालिनी स्वाहा।
- सर्पश्या योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री राकिनी पापराशिनी स्वाहा।
- यक्षिणी योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री लाकिनी सर्वतन्त्रेसी स्वाहा।
- विनायकी योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री काकिनी नागनार्तिकी स्वाहा।
- विंध्यवासिनी योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री शाकिनी मित्ररूपिणी स्वाहा।
- वीरकुमारी योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री हाकिनी मनोहारिणी स्वाहा।
- माहेश्वरी योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री तारा योग रक्ता पूर्णा स्वाहा।
- अम्बिका योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री षोडशी लतिका देवी स्वाहा।
- कामिनी योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भुवनेश्वरी मंत्रिणी स्वाहा।
- घटाबरी योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री छिन्नमस्ता योनिवेगा स्वाहा।
- स्तुति योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भैरवी सत्य सुकरिणी स्वाहा।
- काली योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री धूमावती कुण्डलिनी स्वाहा।
- उमा योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री बगलामुखी गुरु मूर्ति स्वाहा।
- नारायणी योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मातंगी कांटा युवती स्वाहा।
- समुद्र योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कमला शुक्ल संस्थिता स्वाहा।
- ब्रह्मिणी योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री प्रकृति ब्रह्मेन्द्री देवी स्वाहा।
- ज्वालामुखी योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री गायत्री नित्यचित्रिणी स्वाहा।
- आग्नेयी योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मोहिनी माता योगिनी स्वाहा।
- अदिति योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री सरस्वती स्वर्गदेवी स्वाहा।
- चन्द्रकान्ति योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री अन्नपूर्णी शिवसंगी स्वाहा।
- वायुवेगा योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नारसिंही वामदेवी स्वाहा।
- चामुण्डा योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री गंगा योनि स्वरूपिणी स्वाहा।
- मूरति योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री अपराजिता समाप्तिदा स्वाहा।
- गंगा योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री चामुंडा परि अंगनाथा स्वाहा।
- धूमावती योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वाराही सत्येकाकिनी स्वाहा।
- गांधार योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कौमारी क्रिया शक्तिनि स्वाहा।
- सर्वमंगला योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री इन्द्राणी मुक्ति नियन्त्रिणी स्वाहा।
- अजिता योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ब्रह्माणी आनन्दा मूर्ती स्वाहा।
- सूर्यपुत्री योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वैष्णवी सत्य रूपिणी स्वाहा।
- वायु वीणा योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री माहेश्वरी पराशक्ति स्वाहा।
- अघोर योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री लक्ष्मी मनोरमायोनि स्वाहा।
- भद्रकाली योगिनी — ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री दुर्गा सच्चिदानंद स्वाहा।
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चौंसठ योगिनी साधना का रहस्य
जो साधक 64 योगिनियों के नाम और मंत्रों का श्रद्धा से जप करता है, वह काल, भय, मोह और अज्ञान से परे होकर दिव्य ज्ञान को प्राप्त करता है। यह साधना केवल शुद्ध मन, गुरु दीक्षा और निष्ठा से संभव है। योगिनियाँ केवल उसी पर कृपा करती हैं जो मन, वाणी और कर्म से पवित्र होता है।
निष्कर्ष
चौंसठ योगिनियाँ केवल देवी के रूप नहीं हैं, बल्कि समस्त ब्रह्मांडीय शक्तियों की प्रतीक हैं। इनका ध्यान, नामस्मरण या परिक्रमा व्यक्ति के जीवन में संतुलन, साहस, सौभाग्य और आत्मबोध लाती है।
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