
नर्मदा नदी के पवित्र तट पर बसा छोटा सा कस्बा नेमावर, जिला देवास (मध्य प्रदेश)‚ अपनी आध्यात्मिक आभा और प्राचीन मंदिरों के कारण श्रद्धालुओं के लिए एक अनमोल धरोहर है। इस कस्बे का मुख्य आकर्षण है सिद्धेश्वर मंदिर — जिसे स्थानीय लोग सिद्धनाथ मंदिर के नाम से भी जानते हैं।
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और अपनी अद्भुत पत्थर की नक्काशी, प्राचीन इतिहास और नर्मदा के किनारे की प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का वातावरण इतना शांत और रहस्यमयी है कि हर आगंतुक को आत्मिक ऊर्जा का अनुभव होता है।
महाकालेश्वर मंदिर — बिलावली (देवास)
इतिहास (History)
सिद्धेश्वर मंदिर का निर्माण लगभग 10वीं से 11वीं शताब्दी ईस्वी के बीच माना जाता है। यह मंदिर परमार वंश के शासनकाल में निर्मित हुआ था। उस युग की स्थापत्य शैली और कलाकारी का यह एक शानदार उदाहरण है।
किंवदंती के अनुसार, यह मंदिर द्वापर युग में कौरवों द्वारा बनाया गया था, और कहा जाता है कि यह प्रारंभ में पूर्वमुखी था, लेकिन पांडवों में से भीम ने इसे पश्चिममुखी कर दिया।
मंदिर की दीवारों पर मिले शिलालेख संवत 1253 और 1281 (1196–1224 ई.) के हैं, जिससे इसकी ऐतिहासिक प्रामाणिकता सिद्ध होती है।
यह मंदिर कई आक्रमणों के बाद भी अक्षुण्ण रहा और आज भी पूजा-अर्चना यहाँ निरंतर जारी है।
पुष्पगिरी तीर्थ दिगंबर जैन मंदिर
वास्तुकला (Architecture)

सिद्धेश्वर मंदिर नागर शैली में निर्मित है। इसका आधार सितारा आकार (Stellate plan) और सप्त रथ (Sapta-ratha) स्वरूप में है। मंदिर में मंडप, अंतराल और गर्भगृह प्रमुख भाग हैं।
मुख्य पत्थर के रूप में पीले और गुलाबी बलुआ पत्थर का उपयोग हुआ है — यह दर्शाता है कि मंदिर के कुछ भाग बाद में जोड़े गए थे।
मंदिर की दीवारों पर शिव परिवार, देवी-देवता, नर्तक-नर्तकियों और मिथुन जोड़ों की अद्भुत मूर्तियाँ उकेरी गई हैं।
शिखर नौ स्तरों में बना है और प्रत्येक दिशा में छोटे-छोटे उप-शिखर दिखाई देते हैं।
भीतर का मंडप स्तंभों, गोलाकार छत और जटिल नक्काशी से भरा है, जो देखने वालों को चकित कर देता है।
देवी-देवता (Deities)

मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव का शिवलिंग स्थापित है।
शिवलिंग अर्घ्यपट्ट पर स्थित है और इसके चारों ओर देवी-देवताओं की सुन्दर मूर्तियाँ हैं।
मुख्य मूर्तियों में —
- उत्तर दिशा में चामुंडा देवी
- पश्चिम दिशा में नटराज (शिव का नृत्य रूप)
- दक्षिण दिशा में अंधकासुर वध करते हुए शिव (त्रिपुरांतक रूप)
मुख्य द्वार के सामने नंदी मंडप भी बना है, जिसमें नंदी महाराज की विशाल मूर्ति विराजमान है।
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दर्शननीय भाग (Attractions Inside Temple)
मंदिर के अंदर हर कोना कला और आस्था से भरा है।
- मंडप (Sabha-Mandapa) – विशाल सभागृह जिसमें स्तंभों पर सूक्ष्म नक्काशी की गई है।
- मुख-मंडप (Entrance Porches) – तीन दिशाओं से प्रवेश द्वार हैं — पूर्व, पश्चिम और दक्षिण।
- अंतराल (Antarala) – मंडप और गर्भगृह को जोड़ने वाला भाग, जिसमें कमलाकार छत है।
- गर्भगृह (Sanctum) – यहाँ शिवलिंग स्थापित है।
- नंदी मंडप (Nandi Pavilion) – मंदिर के सामने विशाल नंदी विराजमान हैं।
मंदिर के उत्तर भाग में एक अधूरा मंदिर भी है, जो यहाँ के प्राचीन स्थापत्य प्रयोगों का प्रतीक है।
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मंदिर की विशेषताएँ (Special Features)
- यह मंदिर भूजंग शैली (Bhumija Style) का उत्कृष्ट उदाहरण है।
- मंदिर का मुख पश्चिम दिशा की ओर है — जो दुर्लभ है।
- मंदिर की नक्काशी में शिव, शक्ति, गणेश, अष्टदिकपाल और अनेक लोक-दृश्य अंकित हैं।
- यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा राष्ट्रीय धरोहर के रूप में संरक्षित है।
- लोकमान्यता है कि जब शिवलिंग पर जल अर्पित किया जाता है, तो “ॐ” जैसी ध्वनि सुनाई देती है।
- मंदिर के पास रेत पर सुबह-सुबह अद्भुत पदचिह्न दिखाई देते हैं — जिन्हें लोग पवित्र मानते हैं।
पूजा, आरती और भजन (Puja, Aarti & Bhajan)
मंदिर में प्रतिदिन दो बार आरती होती है —
- प्रातःकालीन आरती (सुबह लगभग 6:00 बजे)
- सायंकालीन आरती (शाम लगभग 7:00 बजे)
महाशिवरात्रि, मकर संक्रांति और नर्मदा जयंती के अवसर पर विशेष भजन-कीर्तन और जलाभिषेक का आयोजन किया जाता है।
इन दिनों मंदिर में हजारों श्रद्धालु पहुँचते हैं।
नर्मदा तट पर स्नान करने के बाद भक्त शिवलिंग पर जल और बिल्वपत्र चढ़ाकर पूजा करते हैं।
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मंदिर के त्योहार और कार्यक्रम (Festivals & Events)
- महाशिवरात्रि – मंदिर में सबसे बड़ा उत्सव, जिसमें अखंड भजन, रुद्राभिषेक और विशाल मेला लगता है।
- मकर संक्रांति और नर्मदा जयंती – नदी में स्नान कर श्रद्धालु विशेष पूजा करते हैं।
- श्रावण मास – पूरे महीने मंदिर में रोज़ाना भव्य सजावट और शिव-भक्तों की भीड़ रहती है।
- सोमवार विशेष पूजा – हर सोमवार को शिवलिंग पर दुग्धाभिषेक और मंत्रोच्चार होता है।
मंदिर के पास घूमने योग्य स्थान (Nearby Places to Visit)
- अधूरा सूर्य मंदिर (Unfinished Sun Temple) – उत्तर दिशा में स्थित यह प्राचीन अधूरा मंदिर स्थापत्य कला का अनूठा उदाहरण है।
- नाभि कुंड (Nabhi Kund) – मान्यता है कि यह नर्मदा नदी का मध्य-बिंदु (नाभि-स्थान) है।
- सूर्य कुंड (Surya Kund) – नदी के बीचोंबीच स्थित यह कुंड सूर्य देव को समर्पित है।
- रिद्धनाथ मंदिर (Riddhanath Temple) – नर्मदा पार स्थित एक और प्राचीन शिव मंदिर।
- जैन मंदिर (Jain Temples) – नेमावर कस्बे में कई छोटे-बड़े जैन तीर्थ स्थल भी हैं।
देवास माता टेकरी मंदिर – आस्था, इतिहास और अद्भुत चमत्कार का संगम
मंदिर का समय (Temple Timings)
- सुबह: 6:00 बजे से 12:00 बजे तक
- शाम: 4:00 बजे से 8:00 बजे तक
(त्योहारों के समय यह बढ़ाया जा सकता है)
कैसे पहुँचे (How to Reach)
- सड़क मार्ग से: नेमावर मध्य प्रदेश के देवास जिले में स्थित है और इंदौर, भोपाल, हरदा तथा हंडिया से बस और टैक्सी द्वारा पहुँचा जा सकता है।
- रेल मार्ग से: निकटतम रेलवे स्टेशन हरदा (लगभग 35 किमी) और होशंगाबाद है।
- हवाई मार्ग से: निकटतम हवाई अड्डा इंदौर (देवी अहिल्याबाई होल्कर एयरपोर्ट) है, जो लगभग 130 किमी दूर है।
मंदिर जाने का सही समय (Best Time to Visit)
- यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है।
- सुबह या शाम का समय मंदिर दर्शन और नर्मदा दर्शन दोनों के लिए मनमोहक होता है।
- महाशिवरात्रि और श्रावण मास के दौरान वातावरण अत्यंत भक्ति-मय होता है, लेकिन भीड़ अधिक रहती है।
मंदिर का पता (Temple Address)
सिद्धेश्वर (सिद्धनाथ) मंदिर, नेमावर
तहसील: खातेगांव, जिला: देवास, मध्य प्रदेश – 455339
सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, देवास की तस्वीरें (Images of Siddheshwar Mahadev Temple, Dewas)
निष्कर्ष (Conclusion)
सिद्धेश्वर मंदिर, नेमावर — एक ऐसा स्थान है जहाँ इतिहास, अध्यात्म और कला एक साथ साँस लेते हैं।
शिवभक्तों के लिए यह न केवल पूजा का स्थल है बल्कि आत्म-अनुभूति का केंद्र भी है।
नर्मदा के किनारे बसा यह दिव्य धाम हर आगंतुक को शांति, शक्ति और श्रद्धा से भर देता है।





















































