
मध्य प्रदेश का देवास शहर अपने नाम की ही तरह देवी की नगरी कहलाता है। यहाँ एक विशाल पहाड़ी पर स्थित है देवास माता टेकरी, जिसे माँ चामुंडा और माँ तुलजा भवानी का पावन धाम माना जाता है। यह स्थान केवल धार्मिक महत्व ही नहीं रखता, बल्कि यहाँ की ऊँचाई से शहर का मनोरम दृश्य, अद्भुत शांति और भक्तिमय वातावरण हर आगंतुक को दिव्यता का अनुभव कराता है।
यहाँ दो प्रमुख शक्तियाँ विराजमान हैं – माँ चामुंडा (छोटी माता) और माँ तुलजा भवानी (बड़ी माता)। इन्हें बहनों का रूप माना जाता है और इसीलिए यह स्थान भक्तों के लिए अनूठा है।
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इतिहास और पौराणिक मान्यताएँ (History and mythology)

देवास टेकरी का इतिहास सैकड़ों वर्षों पुराना है। कहा जाता है कि जब माँ सती का शरीर भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र पर विखंडित हुआ था, तब उनके रक्त की कुछ बूंदें यहाँ गिरीं। इसी कारण इसे रक्तपीठ भी कहा जाता है।
मान्यता है कि यहाँ माँ तुलजा भवानी और माँ चामुंडा दोनों बहनों के रूप में विराजमान हुईं। स्थानीय कथाओं में यह भी कहा गया है कि प्राचीन समय में साधु-संत और राजा यहाँ तपस्या करने आते थे।
मराठा शासन काल में इस मंदिर का विशेष महत्व बढ़ा और यहाँ कई धार्मिक अनुष्ठान नियमित रूप से प्रारंभ हुए। माना जाता है कि देवास के शासकों ने टेकरी मंदिर के जीर्णोद्धार में अहम भूमिका निभाई थी।
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वास्तुकला और संरचना (Architecture and structure)

देवास टेकरी लगभग 300 फीट ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। ऊपर तक जाने के लिए श्रद्धालुओं के लिए तीन विकल्प हैं – सीढ़ियाँ, ढलान मार्ग और आधुनिक सुविधा के रूप में रोपवे (केबल कार)।
ऊपर पहुँचने पर एक परिक्रमा पथ है जो माँ चामुंडा मंदिर से माँ तुलजा भवानी मंदिर तक ले जाता है। दोनों मंदिर चट्टानी संरचनाओं पर बने हैं और उनकी मूर्तियाँ प्राचीन शैली की हैं।
इसके अतिरिक्त यहाँ छोटे-छोटे मंदिर भी बने हैं जैसे कालिका माता मंदिर, हनुमान मंदिर, भैरव बाबा मंदिर और अन्नपूर्णा माता मंदिर। मंदिर की दीवारों और मूर्तियों में प्राचीन शिल्पकला की झलक स्पष्ट दिखाई देती है।
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विशिष्टताएँ (Specifications)
यहाँ एक ही स्थान पर माँ चामुंडा और माँ तुलजा भवानी की स्थापना इसे अनूठा बनाती है। इसे रक्तपीठ माना जाता है, जिससे इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
देवास नाम की उत्पत्ति “देवी वासिनी” से हुई है, जिसका अर्थ है देवी का निवास।
यह टेकरी शहर के बीच स्थित है और यहाँ से पूरा देवास शहर दिखता है।
यहाँ भक्त दंडवत प्रणाम करते हुए या घुटनों पर चढ़कर माता तक पहुँचते हैं। यह भक्ति की अनोखी परंपरा है।
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मंदिर के अंदर: देवी-देवता और पूजा विधियाँ (Inside the Temple: Deities and Worship Methods)
मुख्य मंदिर में माँ चामुंडा और माँ तुलजा भवानी की मूर्तियाँ विराजमान हैं। भक्त प्रतिदिन दीपक जलाते हैं, नारियल और चुनरी चढ़ाते हैं और माता की आरती में सम्मिलित होते हैं।
इसके अलावा कालिका माता, भैरव बाबा और हनुमान जी के मंदिर भी विशेष आस्था का केंद्र हैं। आरती का समय सुबह और शाम होता है। खासकर संध्या आरती के समय वातावरण मंत्रोच्चार, शंख और घंटियों की ध्वनि से गूंज उठता है।
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त्योहार और विशेष कार्यक्रम (Festivals and special events)
देवास माता टेकरी में सबसे भव्य आयोजन नवरात्रि (चैत्र और शारदीय) के दौरान होता है। इन नौ दिनों में लाखों श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
सुबह-शाम विशेष पूजा और आरती होती है।
माता के भजनों और कीर्तनों की गूंज वातावरण को पवित्र बना देती है।
रात्रि जागरण और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
दीपावली, रामनवमी और अन्य पर्वों पर भी यहाँ विशेष उत्सव मनाया जाता है।
आसपास के दर्शनीय स्थल (Nearby places of interest)
मीठा तालाब – शांत और प्राकृतिक सुंदरता का स्थान।
पवार छतरियाँ – मराठा शासन की स्मृति में बनी ऐतिहासिक छतरियाँ।
श्री सिद्धि विनायक गणेश मंदिर (नागदा) – भक्तों के लिए विशेष महत्व का स्थान।
महाकालेश्वर मंदिर (बिलावली) – पास का प्राचीन शिव मंदिर।
मंदिर खुलने और बंद होने का समय (Temple opening and closing times)
मंदिर प्रतिदिन सुबह लगभग 5:00 – 6:00 बजे खुलता है और रात में 7:00 – 8:00 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है।
नवरात्रि और विशेष अवसरों पर समय बढ़ा भी दिया जाता है।
मंदिर तक कैसे पहुँचें (How to reach the temple)
निकटतम हवाई अड्डा इंदौर (देवी अहिल्या बाई होलकर एयरपोर्ट) है, जो देवास से लगभग 40–50 किमी दूर है।
देवास का अपना रेलवे स्टेशन है। यहाँ से टेकरी तक ऑटो और टैक्सी आसानी से मिल जाते हैं।
सड़क मार्ग से इंदौर और भोपाल दोनों से देवास पहुँचना सरल है।
मंदिर पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ, ढलान मार्ग और रोपवे तीनों विकल्प मौजूद हैं।
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कब जाएँ (When to go)
सुबह जल्दी (6 से 9 बजे तक) – शांत वातावरण और भीड़ कम रहती है।
नवरात्रि के दौरान – यह समय सबसे उत्सवपूर्ण और धार्मिक दृष्टि से विशेष है।
बरसात के बाद – टेकरी और आसपास का दृश्य हरियाली से भर जाता है।
शरद ऋतु – मौसम सुहावना होता है और यात्रा आनंददायक बनती है।
मंदिर का पूरा पता (Full address of the temple)
माँ चामुंडा और तुलजा भवानी मंदिर (देवास टेकरी)
टेकरी क्षेत्र, इतावा, देवास, मध्य प्रदेश – 455001
माँ तुलजा भवानी मंदिर, आगर-मालवा (Maa Tulja Bhavani Mandir, Agar-Malwa)
ट्रैवल गाइड (1 दिन की यात्रा योजना) Travel Guide (1 Day Trip Plan)
सुबह – इंदौर या भोपाल से जल्दी निकलें और देवास शहर पहुँचें। टेकरी पर चढ़कर माँ चामुंडा और तुलजा भवानी के दर्शन करें।
दोपहर – मंदिर परिसर में थोड़ी देर विश्राम करें और आसपास के छोटे मंदिर देखें।
शाम – मीठा तालाब और पवार छतरियाँ घूमें। संध्या आरती में शामिल होकर दिव्य वातावरण का आनंद लें।
रात – यदि चाहें तो देवास शहर में रुककर अगले दिन इंदौर या उज्जैन जैसे नज़दीकी धार्मिक स्थलों की यात्रा भी कर सकते हैं।
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