
विध्यांचल की पहाड़ियों की गोद में बसा है एक ऐसा शिवालय, जहाँ प्रकृति की शांति और पौराणिक कथाओं की गूँज मिलती है — यह है पंचदेहरिया महादेव मंदिर। ऐसा कहा जाता है कि इसी स्थान पर पांडवों ने अपने अज्ञातवास के समय यात्रा की थी, आकर एक विशाल शिवलिंग की स्थापना की थी और पांच देवी-देवताओं की मूर्तियाँ रखी थीं। लाल पत्थर की एक अनन्त शक्ति से तराशी गई यह संरचना आज भी भक्तों के लिए विश्वास और भक्ति का स्रोत है।
चौसठ योगिनी माता मंदिर — आगर की रहस्यमयी देवी
इतिहास (History)

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यह मंदिर पांडवों के समय का है। अज्ञातवास के दौरान पांडव और माता कुंती ने यहाँ विश्राम किया था। भीम ने एक विशाल शिवलिंग स्थापित किया था, और उसके बाद आसपास चार और देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ स्थापित की गईं। इस तरह पाँच देवों की स्थापना हुई — इसलिए नाम हुआ “पंचदेहरिया” (यानि पाँच देवों वाला स्थान)। पूरा मंदिर एक ही लाल रंग के पत्थर से निर्मित है। शिखर या शीर्ष भाग भी उसी पत्थर का है। मंदिर के निकट कुछ गुफाएँ हैं जो पांडवों के रहने-ठहरने की कथाओं से जुड़ी हुई हैं। सावन के महीने और महाशिवरात्रि जैसे अवसरों पर यहाँ विशेष पर्व और मेले होते हैं।
माँ तुलजा भवानी मंदिर, आगर-मालवा (Maa Tulja Bhavani Mandir, Agar-Malwa)
वास्तुकला (Vastukala / Architecture)
एकल पत्थर निर्माण — पूरे मंदिर की दीवारें, गर्भगृह और शिखर एक ही लाल पत्थर से तराशी गई हैं, जिससे पूरा मंदिर सामंजस्यपूर्ण लगता है। शिखर उसी पत्थर का है जिसमें संपूर्ण संरचना बनी है। यह दर्शाता है कि निर्माण में पत्थर की गुणवत्ता और उनकी खुदाई-कला बेहतरीन रही होगी। मंदिर पहाड़ की ढलान पर स्थित है (विध्यांचल पर्वत श्रृंखला) — प्राकृतिक पृष्ठभूमि और जंगलों-पहाड़ियों की गोद में होने के कारण सौंदर्य एवं आकर्षण बढ़ता है। आसपास की गुफाएँ, प्राकृतिक शिला संरचनाएँ पूजा-स्थल को और भी रहस्यमयी बनाती हैं।
मंशापूर्ण गणपति छिपिया गोशारी (आगर)
विशेषताएँ (Special Features / Visestayen)
मंदिर का शिवलिंग भगवान महाकाल के स्वरूप जैसा कहा जाता है। एक लोकश्रुति है कि शिवलिंग समय के साथ कुछ वृद्धि होती प्रतीत होती है। यहाँ साधु-संत तपस्या करते हैं, भक्ति-गीत, भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। मंदिर की देखभाल और प्रबंधन आसपास के लगभग 30 गाँवों की एक समिति द्वारा किया जाता है। प्राकृतिक सौंदर्य, पहाड़ों की ठंडक और दूर-दराज से आने वाले भक्तों के लिए शांति का वातावरण इस स्थान को और विशेष बनाता है।
देवी-देवता (Mandir ke under Devi Devta)
मंदिर में मुख्य देवता शिव (महाकाल स्वरूप में शिवलिंग) हैं। इसके अलावा चार अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ हैं जिन्हें पांडवों की स्थापना माना जाता है।
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पूजा-अर्चना एवं भजन-कीर्तन (Aartiyan, Bhajans etc.)

यहाँ सामान्य दैनिक पूजा और आरती होती है (सुबह-शाम)। सुंदरकांड पाठ, भजन-कीर्तन विशेष आयोजन अक्सर होते हैं, विशेष रूप से सावन के सोमवरों और महाशिवरात्रि के अवसर पर। महाशिवरात्रि पर एक दिवसीय मेला लगता है, जहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
त्योहार और कार्यक्रम (Festivals, Karyakram)
महाशिवरात्रि पर विशेष पूजा और मेला लगता है। सावन मास में सोमवारों और अन्य विशेष दिनों में शिव पूजा-अभिषेक होता है। भक्त जल, बेलपत्र आदि अर्पित करते हैं। श्रावण मास में कावड़ यात्रा और जलाभिषेक की परंपरा भी है। भजन-कीर्तन, साधु-संतों का प्रवचन एवं तपस्या शिविर भी समय-समय पर होते रहते हैं।
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मंदिर खुलने-बंद होने का समय (Timings)
सटीक समय की जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन सामान्यतः मंदिर सुबह लगभग 6-7 बजे खुलता होगा और शाम को 7-8 बजे तक बंद हो जाता है। बेहतर होगा कि आप स्थानीय लोगों से समय की पुष्टि करें।
आसपास के देखने-लायक स्थल (Nearby Places)
विध्यांचल पर्वत श्रृंखला की प्राकृतिक सुंदरता, प्राचीन गुफाएँ जो पांडवों से संबद्ध मानी जाती हैं, पास का सुसनेर नगर और अन्य स्थानीय मंदिर और गाँव इस यात्रा को और रोचक बनाते हैं।
कैसे पहुँचें (How to reach Mandir)
यह मंदिर आगर मालवा जिले के सुसनेर नगर से लगभग 10 किलोमीटर पश्चिम दिशा में विध्यांचल पर्वत श्रृंखला पर स्थित है। आगर मालवा से सड़क मार्ग द्वारा सुसनेर पहुँचें और फिर वहाँ से स्थानीय वाहन से मंदिर तक जा सकते हैं। निजी वाहन, मोटरसाइकिल या स्थानीय बस-वाहन से जाना सुविधाजनक रहेगा।
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कब जाना बेहतर है (Best Time to Visit)
सावन मास (जुलाई-अगस्त) और महाशिवरात्रि यहाँ के सबसे खास समय होते हैं। मौसम की दृष्टि से सितंबर-अक्टूबर और फरवरी-मार्च भी यात्रा के लिए उपयुक्त हैं।
पूरा पता (Full Address)
पंचदेहरिया महादेव मंदिर
सुसनेर नगर से लगभग 10 किलोमीटर पश्चिम की ओर,
विध्यांचल पर्वत श्रृंखला,
आगर मालवा जिला, मध्य प्रदेश, भारत
पंचदेहरिया महादेव मंदिर, आगर मालवा की तस्वीरें (Images of Panchdehariya Mahadev Temple, Agar Malwa)
माँ बगलामुखी माता मंदिर, नलखेड़ा