
मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र की पावन धरती पर स्थित बाबा बैजनाथ महादेव मंदिर श्रद्धालुओं के लिए गहन आस्था और भक्ति का केंद्र है। यह मंदिर बंगंगा नदी के किनारे स्थित है और अपनी रहस्यमयी कथाओं, प्राचीनता तथा शिवभक्ति के कारण विशेष प्रसिद्धि प्राप्त करता है। स्थानीय लोग इसे “बैजनाथ धाम” भी कहते हैं। यहां पहुंचते ही भक्तों को एक अलौकिक शांति और दिव्यता का अनुभव होता है। ऊँचे-ऊँचे वृक्षों, नदी के किनारे की ठंडी हवाओं और मंदिर की घंटियों की ध्वनि से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठता है।
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बाबा बैजनाथ महादेव मंदिर, आगर मालवा का इतिहास (History of Baba Baijnath Mahadev Temple, Agar Malwa )

बाबा बैजनाथ मंदिर का निर्माण लगभग 16वीं शताब्दी में प्रारंभ हुआ था और कहा जाता है कि 1528 से 1536 के बीच इसे आकार दिया गया। यह स्थान हमेशा से ही शिवभक्तों के लिए महत्वपूर्ण रहा है।
मंदिर से जुड़ी एक अत्यंत रोचक घटना भी प्रचलित है। अंग्रेज़ी शासनकाल के दौरान अफगानिस्तान युद्ध में लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन नामक अंग्रेज अफसर को भेजा गया। उनकी पत्नी ने बाबा बैजनाथ से मनोकामना की कि यदि उनके पति सुरक्षित लौट आएँगे तो वे मंदिर का जीर्णोद्धार करवाएँगी। मान्यता है कि युद्ध में स्वयं भगवान शिव योगी का रूप धारण कर कर्नल मार्टिन की रक्षा के लिए उपस्थित हुए और उन्हें विजयी बनाया। जब कर्नल मार्टिन सकुशल लौटे तो उनकी पत्नी ने वचन निभाते हुए सन् 1883 में मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। मंदिर में आज भी इस घटना का शिलालेख मौजूद है। यह कहानी इस मंदिर की महत्ता को और भी विशेष बना देती है।
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बाबा बैजनाथ महादेव मंदिर की वास्तुकला (Architecture of Baba Baijnath Mahadev Temple)

मंदिर लगभग 50 फुट ऊँचा है और पारंपरिक हिंदू स्थापत्य शैली का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है। मुख्य गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है जिसके ऊपर कलात्मक शिखर बना हुआ है। मंदिर की दीवारें मोटे पत्थरों से निर्मित हैं और इनमें प्राचीन शैली की झलक देखने को मिलती है।
गर्भगृह के सामने विशाल नंदी की प्रतिमा है जो भक्तों को शिवदरबार के वैभव की अनुभूति कराती है। गर्भगृह तक जाने वाली सीढ़ियाँ, विशाल आँगन और मंदिर परिसर में लगे बेल-पीपल के वृक्ष पूरे वातावरण को और पवित्र बना देते हैं। मंदिर का स्थान नदी किनारे होने के कारण प्राकृतिक सौंदर्य भी इसकी भव्यता को बढ़ाता है।
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विशेषताएँ (Features)
- यह देश का एकमात्र शिव मंदिर है जिसका पुनर्निर्माण अंग्रेज़ी शासनकाल में एक ब्रिटिश महिला द्वारा कराया गया।
- यहाँ श्रावण माह में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुँचते हैं और अंतिम सोमवार को शाही सवारी निकाली जाती है, जो पूरे नगर का प्रमुख आकर्षण होती है।
- मान्यता है कि बाबा बैजनाथ यहाँ आने वाले प्रत्येक भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं।
- मंदिर परिसर की शांति और नदी किनारे का माहौल ध्यान और साधना के लिए उत्तम है।
मंदिर के अंदर मुख्य देवता और अन्य देवता (The main deity and other deities inside the temple)
- मुख्य देवता: भगवान शिव (बैजनाथ महादेव)
- नंदी महाराज: शिव के वाहन की विशाल प्रतिमा गर्भगृह के सामने स्थापित है।
- मंदिर परिसर में पार्वती माता, गणेशजी और अन्य पारंपरिक देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर भी बने हुए हैं।
मंदिर में देखने योग्य स्थान (Places to visit in the temple)
- शिवलिंग – गर्भगृह का मुख्य आकर्षण।
- नंदी की प्रतिमा – भक्त पहले नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते हैं और फिर शिवलिंग के दर्शन करते हैं।
- बंगंगा नदी का किनारा – मंदिर के पीछे बहती यह नदी वातावरण को और पवित्र बनाती है।
- मंदिर परिसर की शांति और विशाल आँगन – त्योहारों के समय यहीं पर भजन-कीर्तन और धार्मिक आयोजन होते हैं।
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आरती और भजन (Aarti and Bhajan)
मंदिर में प्रतिदिन सुबह और शाम आरती होती है। आरती के समय घंटियों की ध्वनि, शंखनाद और भक्तों की गूंज से पूरा परिसर गूंज उठता है।
- सुबह की आरती प्रातःकाल की शांति में आत्मा को सुकून देती है।
- शाम की आरती दीपक, भजन और भक्तों की भीड़ से एक अलौकिक दृश्य प्रस्तुत करती है।
- महाशिवरात्रि और श्रावण सोमवार पर विशेष भजन संध्याएँ आयोजित की जाती हैं।
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प्रमुख कार्यक्रम और उत्सव (Major events and festivals)
- महाशिवरात्रि – इस दिन मंदिर में मेले जैसा माहौल होता है। हजारों श्रद्धालु यहाँ जलाभिषेक करने आते हैं।
- श्रावण माह – हर सोमवार को विशेष पूजा होती है और अंतिम सोमवार को निकलने वाली शाही सवारी अत्यंत प्रसिद्ध है।
- कार्तिक पूर्णिमा और चैत पूर्णिमा – इन दिनों भी मंदिर में विशेष पूजा और भजन-कीर्तन होते हैं।
मंदिर खुलने का समय (Temple opening time)
- सुबह: लगभग 5:00 बजे से मंदिर के कपाट खुल जाते हैं।
- शाम: लगभग 8:00 बजे तक दर्शन किए जा सकते हैं।
त्योहारों पर समय बढ़ भी सकता है।
मंदिर कब जाएँ (When to go to temple)
- श्रावण मास विशेष रूप से उपयुक्त है क्योंकि इस समय यहाँ का वातावरण सबसे अधिक भक्तिमय होता है।
- महाशिवरात्रि पर दर्शन का अपना अलग ही महत्व है।
- मौसम की दृष्टि से अक्टूबर से मार्च तक का समय यहाँ घूमने और दर्शन के लिए अनुकूल है।
मंदिर तक कैसे पहुँचे (How to reach the temple)
- हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा इंदौर का देवी अहिल्याबाई होल्कर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो लगभग 126 किमी दूर है।
- रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन उज्जैन है, जो लगभग 68 किमी दूर है।
- सड़क मार्ग: आगर मालवा से मंदिर तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है। यह उज्जैन-कोटा राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-27) पर स्थित है।
पूर्ण पता (Full Address)
बाबा बैजनाथ महादेव मंदिर
गाँव: बेट खेड़ा, आगर मालवा जिला
मध्य प्रदेश – 465441
बंगंगा नदी के किनारे, उज्जैन-कोटा राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-27) पर स्थित
आसपास के दर्शनीय स्थल (Nearby places of interest)
- मोटी सागर तालाब – आगर नगर में स्थित यह तालाब अपनी सुंदरता और शांति के लिए प्रसिद्ध है।
- माँ बगलामुखी मंदिर, नलखेड़ा – शक्ति उपासना का प्रमुख स्थल, जहाँ दूर-दूर से साधक आते हैं।
- सोमेश्वर महादेव मंदिर – लगभग 25 किमी दूर स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर।
- माँ तुलजा भवानी मंदिर – प्राकृतिक गुफा में स्थित यह मंदिर आस्था और रोमांच दोनों का संगम है।
Images of Baba Baijnath Temple Agar Malwa
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