
महाराष्ट्र के सातारा जिले के फलटण तालुका में बसे राजाळे गांव का श्री जानाई मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और परंपरा का जीवंत प्रतीक है। गाँव के पूर्वी छोर पर शांत वातावरण में स्थित यह मंदिर माता जानाई की दिव्यता से आलोकित है। स्थानीय लोग माता को “नवसाला पावणारी देवी” कहते हैं, अर्थात ऐसी शक्ति जो सच्चे मन से माँगी गई हर मनोकामना को पूर्ण करती हैं। यहाँ आने वाले भक्त केवल दर्शन ही नहीं करते, बल्कि आत्मिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव भी करते हैं।
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इतिहास (History)

श्री जानाई मंदिर का इतिहास लगभग 800–900 वर्षों पुराना माना जाता है। मान्यता है कि यह मंदिर 12वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया और शिवकाल के समय से इसका महत्व और भी बढ़ गया। कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना और मराठा सरदार भी माता के दर्शन के लिए यहाँ आते थे और विजय की कामना करते थे।
ग्रामीण लोककथाओं के अनुसार कठिन परिस्थितियों, अकाल या विपत्ति के समय गाँव के लोग माता की शरण में आते थे और उनकी प्रार्थनाएँ पूरी होती थीं। इसी कारण माता को नवसाला पावणारी की उपाधि मिली। समय-समय पर स्थानीय समाज और भक्तों ने मंदिर का जीर्णोद्धार किया, जिससे आज यह मंदिर एक भव्य और पवित्र धाम के रूप में स्थापित है।
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वास्तुकला (Architecture)
मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक मराठा शैली का सुंदर उदाहरण है।
- मुख्य प्रवेश द्वार – मंदिर का द्वार पूर्व दिशा की ओर है, जो बड़े लकड़ी के दरवाजों से सजाया गया है।
- गर्भगृह – गर्भगृह छोटा लेकिन अत्यंत पवित्र है, जहाँ माता जानाई की दिव्य प्रतिमा स्थापित है। प्रतिमा को पारंपरिक अलंकरण और श्रृंगार से सजाया जाता है।
- जलकूप (कुएँ) – मंदिर के पास दो प्राचीन कुएँ हैं। भक्त यहाँ स्नान कर शुद्ध होकर देवी के दर्शन करते हैं।
- सभामंडप – विशाल मंडप में सैकड़ों श्रद्धालु एक साथ पूजा-अर्चना कर सकते हैं। स्तंभों और छत पर सुंदर नक्काशी और शिल्पकला दिखाई देती है।
- परकोटा – मंदिर चारों ओर से घिरा हुआ है, जो इसे एक सुरक्षित और पवित्र रूप प्रदान करता है।
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मुख्य देवी (Main Deity)
मंदिर की अधिष्ठात्री देवी माता जानाई हैं। वे शक्ति का स्वरूप हैं और भक्तों की हर सच्ची प्रार्थना को स्वीकार करने वाली मानी जाती हैं। ग्रामीण और दूर-दराज़ से आए भक्त विशेष रूप से विवाह, संतान, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए माता से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
मंदिर की विशेषताएँ (Specialties)
- जानाई माता को नवसाला पावणारी देवी कहा जाता है।
- मंदिर के पास बने दो प्राचीन कुएँ पवित्र माने जाते हैं।
- यहाँ की आरती और त्योहारों के दौरान उमड़ने वाली भीड़ मंदिर को एक सांस्कृतिक केंद्र बना देती है।
प्रमुख त्योहार और आयोजन (Festivals & Events)
- नवरात्रि महोत्सव – नौ दिनों तक विशेष पूजा, भजन, और अखंड ज्योति का आयोजन होता है।
- श्रावण मास – इस महीने में हर सोमवार और शुक्रवार को भक्तों की भीड़ विशेष रूप से देखी जाती है।
- यात्रोत्सव (वार्षिक यात्रा) – राजाळे गाँव का सबसे बड़ा पर्व, जिसमें हजारों भक्त शामिल होते हैं। लोकगीत, भजन, झांकी और शोभायात्रा इस आयोजन की विशेषता है।
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आरती और पूजा (Aarti & Worship)
- सुबह की आरती – सूर्योदय के समय, लगभग 6 बजे।
- शाम की आरती – सूर्यास्त के बाद, लगभग 6:30 बजे।
- नवरात्रि और यात्रा उत्सव के दौरान विशेष महाआरती और कीर्तन का आयोजन होता है।
दर्शन समय (Temple Timings)
- सुबह 6:00 बजे से रात 8:00 बजे तक मंदिर भक्तों के लिए खुला रहता है।
- नवरात्रि और बड़े त्योहारों पर समय रात्रि तक बढ़ा दिया जाता है।
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कब जाएँ (Best Time to Visit)
- नवरात्रि और श्रावण मास यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त समय है।
- शांति और आध्यात्मिक अनुभव के लिए सामान्य दिनों में भी सुबह और शाम का समय सर्वोत्तम है।
कैसे पहुँचे (How to Reach)
- सड़क मार्ग: मंदिर फलटण–आसू रोड पर, राजाळे गांव के पूर्वी छोर पर स्थित है।
- निकटतम रेलवे स्टेशन: बारामती और भीगवण (लगभग 50–55 किमी दूर)।
- नज़दीकी शहर: फलटण (17 किमी), बारामती (17 किमी), सातारा (73 किमी)।
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आसपास के दर्शनीय स्थल (Nearby Attractions)
- पद्मावती मंदिर, तकलवाडे (3.6 किमी)
- दक्षिणमुखी मारुति मंदिर, सांगवी (4.5 किमी)
- अंबिकामाता मंदिर, सांगवी (4.5 किमी)
- इसके अलावा आसपास कई छोटे मंदिर और ग्रामीण सांस्कृतिक स्थल दर्शनीय हैं।
पता (Address)
श्री जानाई मंदिर, राजाळे
फलटण–आसू रोड, राजाळे गांव
तालुका – फलटण, जिला – सातारा
महाराष्ट्र – 415523
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श्री जनाई मंदिर, राजले की छवियाँ (Images of Shri Janai Temple, Rajale)
श्री जानाई मंदिर, राजाळे के आस-पास दर्शनीय स्थल (Places to visit near Shri Janai Mandir, Rajale)
1. पद्मावती मंदिर (Takalwade)
राजाळे से लगभग 3.6 किमी दूर स्थित यह मंदिर देवी पद्मावती को समर्पित है। श्रद्धालुओं में इसका विशेष महत्व रहा है और यह एक शांतिपूर्ण धार्मिक स्थल है।
2. दक्षिणमुखी मारुती मंदिर (Sangavi)
लगभग 4.5 किमी की दूरी पर यह हनुमानजी का मंदिर स्थित है। भक्त यहाँ अपनी आस्था और शक्ति की प्राप्ति के लिए बड़ी श्रद्धा से आते हैं।
3. अंबिकामाता मंदिर (Sangavi)
यहाँ माता अंबिकामाता की पूजा होती है। यह मंदिर भी लगभग 4.5 किमी की दूरी पर है और आध्यात्मिक शांति प्रदान करने वाला स्थल माना जाता है।
4. राजवाड़ा महल (Mudhoji Manmohan Rajwada), Phaltan
मंदिर से कुछ दूर, फलटण शहर में स्थित यह ऐतिहासिक महल शिवाजी महाराज की पहली पत्नी साईबाई का निवास रहा है। इसकी भव्य वास्तुकला और प्राचीन सजावट दर्शनीय है। इतिहास प्रेमियों के लिए यह स्थान एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
श्री जानाई मंदिर, राजाळे एक ऐसा धाम है जहाँ भक्त अपनी हर छोटी-बड़ी इच्छा लेकर आते हैं और माता जानाई से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। प्राचीन इतिहास, पारंपरिक वास्तुकला, भव्य त्योहार और ग्रामीण संस्कृति का संगम इस मंदिर को एक अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर बनाता है।































































