
मध्य प्रदेश के दमोह ज़िले के जबेरा तहसील में स्थित श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र, आदिश्वरगिरि (नोहटा) एक ऐसा पवित्र स्थल है जो न केवल जैन धर्मावलंबियों के लिए बल्कि हर श्रद्धालु के लिए आध्यात्मिक शांति और अनोखे अनुभव का केंद्र है। “नोहटा” को प्राचीन काल में “नौ हाट” के नाम से भी जाना जाता था, जिसका अर्थ है नौ अलग-अलग बाज़ारों का संगम। समय बीतने के साथ यह स्थान जैन धर्म का प्रसिद्ध तीर्थ बन गया।
यहाँ आने वाले श्रद्धालु मानते हैं कि यह स्थल “अतिशय क्षेत्र” है, यानी ऐसा स्थान जहाँ चमत्कारिक घटनाएँ घटित हुई हैं। इस मंदिर की पहाड़ी को स्थानीय लोग “काला क्षेत्र” भी कहते हैं। चारों ओर फैली हरियाली, शांत वातावरण और प्राचीन मूर्तियों की अद्भुत झलक यहाँ आने वालों को आध्यात्मिकता और इतिहास के गहरे संगम से परिचित कराती है।
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इतिहास (History)

नोहटा जैन मंदिर का इतिहास अत्यंत समृद्ध और रोचक है। यहाँ स्थापित मूर्तियाँ 9वीं शताब्दी से लेकर 21वीं शताब्दी तक की हैं, जिससे पता चलता है कि यह स्थल सदियों से धार्मिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। प्राचीन ग्रंथों और स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यहाँ पर कई संतों और आचार्यों ने तपस्या की थी।
9वीं शताब्दी में बुंदेलखंड क्षेत्र में जैन धर्म का प्रभाव तेजी से बढ़ा और नोहटा उसी काल में एक महत्वपूर्ण तीर्थ के रूप में विकसित हुआ। यहाँ की 7 फीट ऊँची आदिनाथ भगवान की प्रतिमा और चैत्या स्तंभ इस बात का प्रमाण हैं कि यह स्थान न केवल पूजा-अर्चना का केंद्र था बल्कि स्थापत्य और कला का अद्वितीय उदाहरण भी है।
इतिहासकार बताते हैं कि “नोहटा” का नाम “नौ हाट” यानी नौ बड़े बाज़ारों से पड़ा। यह स्थान व्यापार और धार्मिक गतिविधियों का बड़ा केंद्र हुआ करता था। व्यापारिक समृद्धि और धार्मिक वातावरण के कारण ही यहाँ विशाल मंदिरों और भव्य मूर्तियों का निर्माण हुआ।
आधुनिक काल में भी यह क्षेत्र आस्था का प्रमुख केंद्र रहा। 1989 में आचार्य विद्यासागरजी महाराज यहाँ पधारे थे, जिसके बाद इस तीर्थ की महिमा और भी बढ़ गई। आज यह मंदिर न केवल जैन धर्मावलंबियों के लिए बल्कि इतिहास, कला और संस्कृति प्रेमियों के लिए भी अद्भुत आकर्षण का केंद्र है।
वास्तुकला (Architecture)
नोहटा जैन मंदिर की वास्तुकला अत्यंत अनोखी और कलात्मक है।
- मंदिर पहाड़ी पर स्थित है और यहाँ तक पहुँचने के लिए लगभग 1 किलोमीटर की चढ़ाई करनी होती है। हालांकि, भक्तों की सुविधा के लिए वाहन मार्ग भी उपलब्ध है।
- मंदिर परिसर में कुल चार मुख्य मंदिर हैं, जिनमें विभिन्न तीर्थंकरों की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
- यहाँ का चैत्या स्तंभ सबसे अनोखा है, जिसमें आठ प्रतिमाएँ एक साथ स्थापित हैं। इसे विश्व का पहला अनोखा चैत्या स्तंभ माना जाता है।
- मंदिर की मूर्तियाँ प्राचीन लाल पत्थर से बनी हुई हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण 7 फीट ऊँची आदिनाथ भगवान की प्रतिमा है।
- प्रस्तावित त्रिकल चौबीसी मंदिर भी यहाँ की भव्यता को और बढ़ाता है।
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मंदिर के अंदर देखने योग्य प्रमुख चीजें (Major Attractions Inside the Temple)
- 7 फीट ऊँची भगवान आदिनाथ की मूर्ति।
- विश्व प्रसिद्ध चैत्या स्तंभ।
- विभिन्न शताब्दियों की जैन मूर्तियाँ (9वीं से 21वीं सदी तक)।
- त्रिकल चौबीसी मंदिर की झलक।
- शांत और आध्यात्मिक वातावरण।
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कौन-कौन से देवी-देवता हैं यहाँ (Deities in the Temple)
- मुख्य रूप से भगवान आदिनाथ (पहले तीर्थंकर) की पूजा होती है।
- अन्य तीर्थंकरों की भी प्रतिमाएँ स्थापित हैं।
- त्रिकल चौबीसी मंदिर में चौबीसों तीर्थंकरों की प्रतिमाएँ देखने को मिलती हैं।
विशेषताएँ और क्या खास है यहाँ (Specialties and Uniqueness)
- यह एक अतिशय क्षेत्र है, जहाँ कई चमत्कारी घटनाएँ मानी जाती हैं।
- यहाँ का चैत्या स्तंभ विश्व में अद्वितीय है।
- मूर्तियाँ अलग-अलग शताब्दियों की हैं, जो इतिहास और कला का जीवंत प्रमाण हैं।
- पहाड़ी पर स्थित होने से यहाँ से आसपास का नज़ारा अत्यंत सुंदर दिखाई देता है।
- आचार्य विद्यासागरजी का आगमन इस क्षेत्र को और अधिक पवित्र बनाता है।
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आरती और धार्मिक अनुष्ठान (Aarti and Rituals)
- यहाँ प्रतिदिन सुबह और शाम को आरती होती है।
- विशेष अवसरों और जैन पर्वों पर सामूहिक पूजन और विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
मंदिर खुलने और बंद होने का समय (Temple Timings)
- सुबह: 6:00 बजे
- शाम: 7:00 बजे तक
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कब जाएँ (Best Time to Visit)
- सर्वश्रेष्ठ समय: अक्टूबर से मार्च के बीच, जब मौसम सुहावना होता है।
- विशेष अवसर: जैन पर्वों (महावीर जन्मकल्याणक, पर्युषण आदि) के दौरान वातावरण और भी दिव्य हो जाता है।
कैसे जाएँ (How to Reach)
- रेल से: निकटतम रेलवे स्टेशन दमोह है, जो लगभग 23 किलोमीटर दूर है।
- सड़क से: दमोह–जबलपुर मार्ग पर स्थित नोहटा बस स्टैंड से मात्र 1 किलोमीटर दूर।
- स्थानीय परिवहन: टैक्सी या निजी वाहन से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
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मंदिर का पता (Temple Address)
श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र, आदिश्वरगिरि (नोहटा)
तहसील – जबेरा, जिला – दमोह, मध्य प्रदेश
पिन कोड – 470663
आसपास घूमने लायक स्थान (Nearby Places to Visit)
- सिंगौरगढ़ किला – वीरता और इतिहास से जुड़ा स्थल।
- कुंडलपुर जैन तीर्थ – दमोह का प्रमुख जैन धार्मिक स्थल।
- बांदकपुर का जागेश्वरनाथ मंदिर – प्रसिद्ध शिवधाम।
- घुघुवा फॉसिल पार्क – करोड़ों साल पुराने जीवाश्मों का अद्भुत संग्रह।
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Images of Nohata jain Mandir
निष्कर्ष (Conclusion)
नोहटा जैन मंदिर (आदिश्वरगिरि) न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ आने पर आपको प्राचीन और आधुनिक कला, आस्था, शांति और प्राकृतिक सौंदर्य का ऐसा संगम मिलेगा जो जीवनभर की स्मृति बन जाएगा।