श्री शिवरामाष्टक स्तोत्र भगवान शिव और भगवान श्रीराम को समर्पित एक प्रभावशाली स्तोत्र है। इसका नियमित पाठ विशेषकर 11 बार लगातार करने से बुद्धि का विकास होता है, ज्ञान में वृद्धि होती है और विद्यार्थियों को परीक्षाओं में उत्तम परिणाम प्राप्त होते हैं। यह स्तोत्र आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शक्तिशाली माना गया है।
यह स्तोत्र वैदिक मंत्रों पर आधारित है और मुख्यतः ऋग्वेद और सामवेद की ध्वनियों के अनुसार उच्चारित किया जाता है। शिवरामाष्टक स्तोत्र का पाठ न केवल आत्मा को शांति प्रदान करता है, बल्कि ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति को भी गहरा करता है।
भावार्थ:
श्री शिवरामाष्टक स्तोत्र में भक्त भगवान शिव और श्रीराम दोनों की महिमा का गुणगान करता है। इसमें उनके दिव्य स्वरूप, कृपा, संरक्षण और विजय प्राप्त करने की प्रार्थना की गई है। यह स्तोत्र हमें सिखाता है कि संसारिक सुखों की चाह में जो लोग रोते हैं, यदि वही प्रेम और भक्ति के साथ भगवान के लिए रोएं, तो भगवान अवश्य प्रकट होते हैं।
श्री शिवरामाष्टक स्तोत्र
Shri Shivramashtakam Stotra
शिव हरे शिव राम सखे प्रभो
त्रिविधतापनिवारण हे विभो ।
अज जनेश्वर यादव पाहि मां शिव
हरे विजयं कुरु मे वरम् ।।1।।
कमललोचन राम दयानिधे
हरगुरो गजररक्षक गोपते ।
शिवतनो भव शंकर पाहि मां शिव
हरे विजयं कुरु मे वरम् ।।2।।
सुजनरञ्जन मंगलमन्दिरं
भजति ते पुरुष: परमं पदम् ।
भवति तस्य सुखं परमद्भुतं शिव हरे
विजयं कुरु मे वरम् ।।3।।
जय युधिष्ठिरवल्लभ भूपते जय
जयार्जितपुण्यपयोनिधे ।
जय कृपामय कृष्ण नमोऽस्तु ते शिव
हरे विजयं कुरु मे वरम् ।।4।।
भवविमोचन माधव मापते
सुकविमानसहंस शिवारते ।
जनकजारत राघव रक्ष मां शिव
हरे विजयं कुरु मे वरम् ।।5।।
अवनिमण्डलमंगल मापते
जलदसुंदर राम रमापते ।
निगमकीर्तिगुणार्णव गोपते शिव
हरे विजयं कुरु मे वरम् ।।6।।
पतितपावन नाममयी लता
तवयशो विमलं परिगीयते ।
तदपि माधव मां किमुपेक्षसे शिव
हरे विजयं कुरु मे वरम् ।।7।।
अमरतापरदेव रमापते
विजयतस्तव नामधनोपमा ।
मयि कथं करुणार्णव जायते शिव
हरे विजयं कुरु मे वरम् ।।8।।
हनुमत: प्रिय चापकर प्रभो
सुरसरिद्धृतशेखर हे गुरो ।
मम विभो किमु विस्मरणं कृतं शिव
हरे विजयं कुरु मे वरम् ।।9।।
अहरहर्जनरञ्जनसुन्दरं पठति
य: शिवरामकृतं स्तवम् ।
विशति रामरमाचरणाम्बुजे शिव
हरे विजयं कुरु मे वरम् ।।10।।
प्रातरुत्थाय यो भक्त्या पठेदेकाग्रमानस: ।
विजयो जायते तस्य विष्णुमाराध्यमाप्नुयात् ।।11।।
।। इति श्री शिवरामाष्टकम स्तोत्र संपूर्णम् ।।
श्री शिवरामाष्टक स्तोत्र हिंदी अनुवाद
Shri Shivramashtakam Stotra in Hindi Translation
हे शिव! हे हरे! हे राम के प्रिय सखा प्रभो!
तीनों प्रकार के तापों को दूर करने वाले हे विभो!
हे अज (अजन्मा), हे यदुवंशी प्रभु! मेरी रक्षा कीजिए शिव,
हे हरे! मुझे विजय दीजिए, यह मेरा वर हो ।।1।।
कमल समान नेत्रों वाले, दया के सागर राम!
गज के रक्षक, हरि के गुरु, गोपालों के स्वामी!
शिवस्वरूप, शंकर! मेरी रक्षा कीजिए शिव,
हे हरे! मुझे विजय दीजिए, यह मेरा वर हो ।।2।।
जो सज्जनों को प्रसन्न करने वाले और मंगलमय मंदिर हैं,
जो आपकी भक्ति करता है, वह परम पद को प्राप्त करता है।
उसे अद्भुत परम सुख प्राप्त होता है, हे शिव! हे हरे!
मुझे विजय दीजिए, यह मेरा वर हो ।।3।।
युधिष्ठिर के प्रिय, राजाओं में श्रेष्ठ!
पुण्य से भरे हुए, कृपा के सागर हे कृष्ण!
हे शिव! आपको नमस्कार है,
हे हरे! मुझे विजय दीजिए, यह मेरा वर हो ।।4।।
संसार से मुक्त करने वाले, हे माधव! हे प्रभु!
श्रेष्ठ कवियों के मन में हंस की तरह विचरण करने वाले!
जनक की पुत्री सीता के प्रिय, राघव! मेरी रक्षा कीजिए शिव,
हे हरे! मुझे विजय दीजिए, यह मेरा वर हो ।।5।।
पृथ्वी को पावन करने वाले, हे प्रभु!
बादल के समान सुंदर, राम! लक्ष्मीपति!
वेदों की कीर्ति और गुणों के समुद्र, गोपालों के स्वामी शिव!
हे हरे! मुझे विजय दीजिए, यह मेरा वर हो ।।6।।
पतन से बचाने वाले, नामरूपी लता के समान!
आपका यश पवित्र रूप में गाया जाता है।
फिर भी हे माधव! आप मुझे क्यों उपेक्षित कर रहे हैं शिव?
हे हरे! मुझे विजय दीजिए, यह मेरा वर हो ।।7।।
देवों में श्रेष्ठ, अमरों के पूज्य, लक्ष्मीपति!
आपका नाम ही विजय का धन है।
फिर भी मेरे प्रति आपकी करुणा क्यों नहीं उमड़ती शिव?
हे हरे! मुझे विजय दीजिए, यह मेरा वर हो ।।8।।
हनुमान के प्रिय, धनुषधारी प्रभो!
गंगा को सिर पर धारण करने वाले, हे गुरु!
हे प्रभो! क्या आपने मुझे भूल गए हैं शिव?
हे हरे! मुझे विजय दीजिए, यह मेरा वर हो ।।9।।
जो व्यक्ति प्रतिदिन इस शिवराम रचित स्तोत्र को
प्रेमपूर्वक और सुंदर भाव से पढ़ता है,
वह राम और लक्ष्मी के चरण-कमलों को प्राप्त करता है शिव!
हे हरे! मुझे विजय दीजिए, यह मेरा वर हो ।।10।।
जो व्यक्ति प्रातःकाल उठकर
एकाग्रचित्त होकर श्रद्धा से इसका पाठ करता है,
वह निश्चित ही विजय प्राप्त करता है
और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करता है ।।11।।
।। इस प्रकार श्री शिवरामाष्टक स्तोत्र संपूर्ण हुआ ।।
श्री शिवरामाष्टक स्तोत्र के लाभ (Benefits of Shri Shivramashtak Stotra):
- भगवान के दिव्य स्वरूप का ध्यान और उनके दर्शन की अनुभूति
- जाने-अनजाने में किए गए पापों के लिए क्षमा की प्रार्थना
- जीवन की समस्याओं और कष्टों को दूर करने की विनती
- भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति के लिए प्रार्थना
- आध्यात्मिक अनुभव के बाद उमड़ा भावनाओं का उद्गार
- जो व्यक्ति सुबह एकाग्र मन से इस स्तोत्र का पाठ करता है,
उसे जीवन में सर्वांगीण विजय प्राप्त होती है और
वह भगवान विष्णु (राम) की कृपा प्राप्त करता है।
किन लोगों को इसका पाठ करना चाहिए (Who should read it):
- वे विद्यार्थी या व्यक्ति जो ज्ञान, सफलता और विजय की आकांक्षा रखते हैं
- वे भक्त जो जीवन में आध्यात्मिक शांति, भक्ति और ईश्वर की छाया में रहना चाहते हैं
- वे लोग जो भगवान शिव और राम के प्रति सच्ची श्रद्धा और समर्पण रखना चाहते हैं