श्री वेंकटेश द्वादश नाम स्तोत्रम् भगवान विष्णु के वेंकटेश्वर रूप के बारह पावन नामों का स्तुति स्तोत्र है। यह स्तोत्र उन भक्तों द्वारा पढ़ा जाता है जो भगवान श्री वेंकटेश्वर की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं। इसमें भगवान के विभिन्न दिव्य स्वरूपों और गुणों को स्मरण करते हुए उन्हें नमस्कार अर्पित किया गया है।
यह स्तोत्र सरल, प्रभावशाली और अत्यंत फलदायक माना गया है। इसका पाठ करने से पापों का नाश होता है, जीवन में सफलता प्राप्त होती है और अंत में भगवान विष्णु के धाम की प्राप्ति होती है। त्रिसंध्या (सुबह, दोपहर और शाम) में इसका पाठ विशेष शुभफल प्रदान करता है।
यह स्तोत्र विशेष रूप से तिरुपति बालाजी (वेंकटेश्वर स्वामी) के भक्तों के लिए अत्यंत पूजनीय और लाभकारी है।
श्री वेंकटेश मंगल स्तोत्रम् – हिंदी पाठ
श्रियः कान्ताय कल्याणनिधये निधयेऽर्थिनाम् ।
श्रीवेङ्कटनिवासाय श्रीनिवासाय मङ्गलम् ॥ १ ॥
लक्ष्मीसविभ्रमालोकसद्मविभ्रमचक्षुषे ।
चक्षुषे सर्वलोकानां वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ॥ २ ॥
श्रीवेङ्कटाद्रिशृङ्गाय मङ्गलाभराणाङ्घ्रये ।
मङ्गलानां निवासाय वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ॥ ३ ॥
सर्वावयवसौन्दर्यसंपदा सर्वचेतसाम् ।
सदा सम्मोहनायास्तु वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ॥ ४ ॥
नित्याय निरवद्याय सत्यानन्द चिदात्मने ।
सर्वान्तरात्मने श्रीमद् वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ॥ ५ ॥
स्वतः सर्वविदे सर्वशक्तये सर्वशेषिणे ।
सुलभाय सुशीलाय वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ॥ ६ ॥
परस्मै ब्रह्मणे पूर्णकामाय परमात्मने ।
प्रपन्नपरतत्वाय वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ॥ ७ ॥
अकालतत्वविश्रान्तावात्मानमनुपश्यताम् ।
अतृप्तामृतरूपाय वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ॥ ८ ॥
प्रायः स्वचरणौ पुंसां शरण्यत्वेन पाणिना ।
कृपया दर्शयते श्रीमद् वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ॥ ९ ॥
दयामृततरङ्गिण्याः तरङ्गैरतिशीतलैः ।
अपाङ्गैः सिञ्चते विश्वं वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ॥ १० ॥
स्रग्भूषाम्बरहेतीनां सुषमावहमूर्तये ।
सर्वार्तिशमनायास्तु वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ॥ ११ ॥
श्रीवैकुण्ठविरक्ताय स्वामिपुष्करणीतटे ।
रमया रममाणाय वेङ्कटेशाय मङ्गलम् ॥ १२ ॥
श्रीमद् सुन्दरजामातृमुनिमानसवासिने ।
सर्वलोकनिवासाय श्रीनिवासाय मङ्गलम् ॥ १३ ॥
नमः श्रीवेङ्कटेशाय शुद्धज्ञानस्वरूपिणे ।
वासुदेवाय शान्ताय श्रीनिवासाय मङ्गलम् ॥ १४ ॥
॥ इति श्री वेंकटेश मंगल स्तोत्रम् संपूर्णम् ॥
श्री वेंकटेश मंगल स्तोत्रम् – हिंदी अनुवाद सहित
१. जो लक्ष्मी के प्रिय हैं, जो कल्याण के खजाने हैं, जो सभी याचकों के लिए धन के भंडार हैं —
वे श्रीवेङ्कटनिवासी, श्रीनिवास भगवान मंगलमय हों।
२. जिनकी दृष्टि लक्ष्मी के चंचल रूप से शोभायमान है,
जो समस्त लोकों की आँखों के समान हैं —
ऐसे वेङ्कटेश भगवान मंगलमय हों।
३. जो वेङ्कटाचल पर्वत के शिखर पर विराजमान हैं,
जिनके चरणों में मंगल का वास है —
ऐसे वेङ्कटेश भगवान मंगलमय हों।
४. जिनका प्रत्येक अंग सौंदर्य और संपदा से युक्त है,
जो समस्त चित्तों को मोह लेते हैं —
वे सदा वेङ्कटेश भगवान मंगलमय हों।
५. जो शाश्वत, निष्कलंक, सत्य, आनंद और चैतन्य स्वरूप हैं,
जो सभी के भीतर आत्मा के रूप में स्थित हैं —
ऐसे श्री वेङ्कटेश भगवान मंगलमय हों।
६. जो स्वभाव से ही सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान और सभी का स्वामी हैं,
जो सरल और सुशील हैं —
ऐसे वेङ्कटेश भगवान मंगलमय हों।
७. जो परब्रह्म, पूर्णकाम और परमात्मा हैं,
जो समर्पित भक्तों के परम तत्त्व हैं —
वे वेङ्कटेश भगवान मंगलमय हों।
८. जो कालातीत सत्य में स्थित हैं,
जिनका रूप अमृत के समान है, परंतु फिर भी अतृप्त करने वाला —
ऐसे वेङ्कटेश भगवान मंगलमय हों।
९. जो अपनी कृपा से भक्तों को अपने चरण कमलों का दर्शन कराते हैं,
जो अपने हाथों से शरणागत को आश्रय देते हैं —
ऐसे श्री वेङ्कटेश भगवान मंगलमय हों।
१०. जिनकी करुणा की अमृत तरंगें शीतलता प्रदान करती हैं,
जिनकी दृष्टि समस्त विश्व को संतृप्त करती है —
ऐसे वेङ्कटेश भगवान मंगलमय हों।
११. जो फूल, आभूषण, वस्त्र और अस्त्रों से सुशोभित हैं,
जिनका रूप अत्यंत मनोहर है और जो सभी दुखों का नाश करते हैं —
ऐसे वेङ्कटेश भगवान मंगलमय हों।
१२. जो वैकुण्ठ से विरक्त होकर स्वामी पुष्करिणी तीर्थ तट पर रमण करते हैं,
जो लक्ष्मी के साथ रमण करते हैं —
ऐसे वेङ्कटेश भगवान मंगलमय हों।
१३. जो सुंदर जामातृ मुनि (श्री रामानुजाचार्य) के हृदय में वास करते हैं,
जो समस्त लोकों में निवास करते हैं —
ऐसे श्रीनिवास भगवान मंगलमय हों।
१४. नमस्कार है उस श्री वेङ्कटेश भगवान को जो शुद्ध ज्ञान के स्वरूप हैं,
जो वासुदेव और शांत स्वभाव वाले हैं —
ऐसे श्रीनिवास भगवान मंगलमय हों।
लाभ (Benefits):
- पापों का नाश: इस स्तोत्र का नित्य पाठ करने से जीवन के ज्ञात-अज्ञात पापों का नाश होता है।
- शत्रुनाश और रक्षा: भगवान वेंकटेश के नामों के स्मरण से शत्रु बाधा, भय और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है।
- धन-समृद्धि की प्राप्ति: भगवान वेंकटेश को श्री (लक्ष्मीपति) माना गया है। उनके नामजप से आर्थिक उन्नति होती है।
- मानसिक शांति: इस स्तोत्र का पाठ मन को स्थिर और शांत करता है, तनाव को दूर करता है।
- मोक्ष प्राप्ति का साधन: यह स्तोत्र अंततः भगवान विष्णु के चरणों में स्थान दिलाने वाला है, जिससे आत्मा का कल्याण होता है।
पाठ विधि (How to Recite):
- स्थान और समय: साफ-सुथरे स्थान पर उत्तर या पूर्व की दिशा में मुख करके बैठें।
- स्नान करके और शुद्ध वस्त्र पहनें।
- भगवान वेंकटेश्वर के चित्र/मूर्ति के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
- पीले या सफेद पुष्प, तुलसी पत्र, और प्रसाद अर्पित करें।
- ध्यानपूर्वक इस स्तोत्र का पाठ करें — धीरे-धीरे और भावपूर्वक।
- पाठ के अंत में ‘ॐ नमो वेंकटेशाय’ मंत्र का 11, 21 या 108 बार जाप करें।
पाठ का उत्तम समय (Best Time for Recitation):
- सुबह (ब्राह्ममुहूर्त) – सर्वोत्तम फलदायक माना गया है।
- शाम के समय – विशेषकर शुक्रवार, शनिवार, और बुधवार को।
- विशेष पर्वों पर – जैसे वैष्णव एकादशी, पूर्णिमा, शनिवार, वेंकटेश चतुर्दशी, तिरुपति ब्रह्मोत्सव के दौरान।