“श्री राम स्तोत्र” भगवान श्रीराम की महिमा का संक्षिप्त, प्रभावशाली और अत्यंत श्रद्धापूर्ण स्तोत्र है, जो भक्त के हृदय में आस्था, सुरक्षा और आत्मसमर्पण की भावना भर देता है। इसमें प्रभु श्रीराम को संकटों का नाशक, शत्रुओं का संहारक, समस्त दुखों का हरण करने वाला और सम्पूर्ण संपत्तियों का दाता कहा गया है।
यह स्तोत्र उनके विभिन्न स्वरूपों — राम, रामभद्र, रामचंद्र, रघुनाथ और सीता के पति — की स्तुति करता है और उनके दिव्य गुणों को नम्रता से नमन करता है। इसमें श्रीराम और लक्ष्मण को आगे, पीछे और चारों ओर से रक्षा करने वाले रक्षक के रूप में कल्पना की गई है, जिससे पाठक को यह अनुभूति होती है कि वे हर परिस्थिति में सुरक्षित हैं।
अंतिम श्लोकों में नारायण (विष्णु) की महिमा को व्यापक रूप में प्रस्तुत किया गया है और यह स्वीकार किया गया है कि यदि पाठ में कोई त्रुटि रह जाए, तो प्रभु कृपा करके क्षमा करें।
यह स्तोत्र संक्षिप्त होते हुए भी अत्यंत शक्तिशाली है — संकट के समय, भय, रोग, मृत्यु, और मानसिक अशांति में इसका पाठ अत्यंत लाभकारी और शांति देने वाला माना गया है।
श्री राम स्तोत्र (Shri Rama Stotram in Hindi)
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥ १ ॥
आर्तानामार्तिहन्तारं भीतानां भीतिनाशनम् ।
द्विषतां कालदण्डं तं रामचन्द्रं नमाम्यहम् ॥ २ ॥
नमः कोदण्डहस्ताय सन्धीकृतशराय च ।
खण्डिताखिलदैत्याय रामायाऽऽपन्निवारिणे ॥ ३ ॥
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥ ४ ॥
अग्रतः पृष्ठतश्चैव पार्श्वतश्च महाबलौ ।
आकर्णपूर्णधन्वानौ रक्षेतां रामलक्ष्मणौ ॥ ५ ॥
सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन् ममाग्रतो नित्यं रामः पातु सलक्ष्मणः ॥ ६ ॥
अच्युतानन्तगोविन्द नामोच्चारणभेषजात् ।
नश्यन्ति सकला रोगास्सत्यं सत्यं वदाम्यहम् ॥ ७ ॥
सत्यं सत्यं पुनस्सत्यमुद्धृत्य भुजमुच्यते ।
वेदाच्छास्त्रं परं नास्ति न दैवं केशवात् परम् ॥ ८ ॥
शरीरे जर्जरीभूते व्याधिग्रस्ते कलेवरे ।
औषधं जाह्नवीतोयं वैद्यो नारायणो हरिः ॥ ९ ॥
आलोड्य सर्वशास्त्राणि विचार्य च पुनः पुनः ।
इदमेकं सुनिष्पन्नं ध्येयो नारायणो हरिः ॥ १० ॥
कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा बुध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात् ।
करोमि यद्यत् सकलं परस्मै नारायणायेति समर्पयामि ॥ ११ ॥
यदक्षरपदभ्रष्टं मात्राहीनं च यद्भवेत् ।
तत्सर्वं क्षम्यतां देव नारायण नमोऽस्तु ते ॥ १२ ॥
विसर्गबिन्दुमात्राणि पदपादाक्षराणि च ।
न्यूनानि चातिरिक्तानि क्षमस्व पुरुषोत्तम ॥ १३ ॥
॥ इति श्री राम स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥
श्री राम स्तोत्र (हिंदी अनुवाद सहित)
आपत्तियों को दूर करने वाले, सभी संपत्तियों को देने वाले,
सभी लोकों को प्रिय लगने वाले श्रीराम को मैं बार-बार नमस्कार करता हूँ ॥ १ ॥
दुखियों के दुख हरने वाले, भयभीतों के भय को दूर करने वाले,
शत्रुओं के लिए काल रूप भगवान रामचंद्र को मैं नमस्कार करता हूँ ॥ २ ॥
कोदंड धनुष धारण करने वाले, बाण संधाने वाले,
सभी दैत्यों का विनाश करने वाले, आपत्तियों को हरने वाले श्रीराम को नमस्कार ॥ ३ ॥
राम, रामभद्र, रामचंद्र, ब्रह्मा जैसे सृष्टिकर्ता,
रघुकुल के स्वामी, सीता माता के पति को नमस्कार ॥ ४ ॥
मेरे आगे, पीछे और दोनों ओर, महान बलशाली,
पूरा धनुष खींचने में समर्थ राम और लक्ष्मण मेरी रक्षा करें ॥ ५ ॥
कवच धारण किए, तलवार व धनुष-बाण लिए हुए युवा श्रीराम,
लक्ष्मण सहित, सदा मेरे आगे चलते हुए मेरी रक्षा करें ॥ ६ ॥
अच्युत, अनंत और गोविंद जैसे नामों का उच्चारण औषधि के समान है,
जिससे समस्त रोग नष्ट हो जाते हैं — मैं सत्य कहता हूँ, पूर्ण सत्य ॥ ७ ॥
यह पुनः सत्य है, बार-बार सत्य है — हाथ उठाकर कहा जाता है,
वेदों और शास्त्रों से परे कुछ नहीं, और केशव से श्रेष्ठ कोई देव नहीं ॥ ८ ॥
जब शरीर जर्जर हो जाए और रोगों से ग्रस्त हो जाए,
तब गंगा का जल औषधि है और नारायण स्वयं वैद्य हैं ॥ ९ ॥
सभी शास्त्रों को पढ़कर और बार-बार विचार कर,
यह एक निष्कर्ष निकला है — नारायण (हरि) का ध्यान ही श्रेष्ठ है ॥ १० ॥
शरीर, वाणी, मन, इंद्रियों, बुद्धि या स्वभाव से जो कुछ भी करूँ,
वह सब कुछ नारायण को समर्पित करता हूँ ॥ ११ ॥
जो अक्षर, शब्द या मात्राएँ छूट गई हों,
हे नारायण! कृपया उन सभी को क्षमा करें, आपको नमस्कार है ॥ १२ ॥
विसर्ग, बिंदु, मात्राएँ, शब्द, पद या अक्षरों में जो भी कमी या अधिकता हो,
हे पुरुषोत्तम! कृपया उन्हें क्षमा करें ॥ १३ ॥
॥ इस प्रकार श्रीराम स्तोत्र सम्पूर्ण हुआ ॥
श्री राम स्तोत्र के लाभ (Benefits of Shri Ram Stotram):
- आपदाओं का नाश होता है:
इस स्तोत्र में स्वयं कहा गया है कि यह “आपदामपहर्तारं” है — यानी संकटों का नाशक। किसी भी आपत्ति, क्लेश, या जीवन संकट के समय इसका पाठ विशेष रूप से फलदायी होता है। - मन को शांति और सुरक्षा की अनुभूति देता है:
भगवान श्रीराम को चारों ओर से रक्षक रूप में स्मरण करना, मन में आत्मविश्वास और निर्भयता जगाता है। - रोगों का नाश:
इसमें वर्णित है कि “अच्युतानन्तगोविन्द नामोच्चारणभेषजात्” से रोग समाप्त होते हैं। यह मानसिक, शारीरिक और आत्मिक रोगों को दूर करता है। - भक्ति और आत्मसमर्पण की भावना प्रकट होती है:
स्तोत्र का पाठ व्यक्ति को भगवान के चरणों में समर्पण की ओर प्रेरित करता है। - शब्द-शक्ति के दोषों का क्षालन:
पाठ में यदि कोई त्रुटि हो जाए तो अंत में क्षमा-प्रार्थना कर प्रभु से कृपा की याचना भी की गई है, जो इसे अत्यंत दयालुता से भरपूर बनाता है। - आखिरी समय में मोक्षदायक:
यह स्तोत्र अंत समय में श्रीराम का स्मरण करने से तारक ब्रह्म की प्राप्ति कराने वाला है।
पाठ विधि (Vidhi of Shri Ram Stotram):
- स्थान चयन:
शांत, स्वच्छ और पवित्र स्थान पर आसन बिछाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। - स्नान व शुद्ध वस्त्र:
स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें। दीपक, अगरबत्ती या धूप जलाकर प्रभु श्रीराम का ध्यान करें। - श्रीराम का ध्यान करें:
श्रीराम, सीता माता, लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें। दोनों हाथ जोड़कर स्तोत्र पाठ का संकल्प लें। - श्रद्धा और भक्ति के साथ पाठ करें:
श्लोकों को स्पष्ट उच्चारण और मनोयोग से पढ़ें। ध्यान रहे कि भाव ही सर्वोपरि है। - अंत में क्षमा प्रार्थना करें:
यदि किसी श्लोक में त्रुटि हुई हो तो प्रभु से क्षमा मांगें — जैसा कि स्तोत्र के अंतिम श्लोकों में स्वयं बताया गया है।
जप का उचित समय (Best Time to Chant):
- प्रातःकाल (4:30 AM – 6:30 AM, ब्रह्म मुहूर्त):
यह समय सबसे श्रेष्ठ माना गया है। ध्यान एकाग्र होता है और वातावरण सात्विक रहता है। - सायंकाल (6:00 PM – 8:00 PM):
दिनभर की थकान के बाद यह पाठ मानसिक शांति और सुरक्षा का अनुभव कराता है। - विशेष अवसरों पर:
राम नवमी, एकादशी, शुक्ल पक्ष के मंगलवार, शनिवार और विशेष व्रतों के समय इसका पाठ विशेष फलदायी होता है। - किसी संकट या भय के समय:
जब भी जीवन में कोई बड़ा संकट, रोग, भय या मानसिक तनाव हो — यह स्तोत्र तुरंत शांति प्रदान करता है।


























































