“प्रपत्ति” का अर्थ होता है — पूर्ण समर्पण।
“श्री नरसिंह प्रपत्ति स्तोत्र” एक अत्यंत भावनात्मक और संक्षिप्त स्तोत्र है, जिसमें भक्त अपने जीवन के हर संबंध और सुरक्षा के लिए केवल भगवान नृसिंह को ही आधार मानता है। यह स्तोत्र न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह आत्मसमर्पण की चरम अवस्था को दर्शाता है।
इस स्तोत्र में भक्त कहता है —
“मेरी माता, पिता, भाई, मित्र, ज्ञान, धन, सब कुछ नृसिंह हैं।”
वह हर दिशा, हर मार्ग, हर स्थिति में केवल नृसिंह भगवान को ही देखता है और अंत में यह कहता है —
“नृसिंहदेव से बढ़कर कोई नहीं, अतः मैं उन्हीं की शरण लेता हूँ।”
यह स्तोत्र हमें यह सिखाता है कि जब हम संसार के सभी सहारों को छोड़कर केवल ईश्वर को ही अपना सब कुछ मान लेते हैं, तब परमात्मा हमारी रक्षा करने में एक पल भी विलंब नहीं करते।
श्री नरसिंह प्रपत्ति स्तोत्र
Sri Narsimha Prapatti Stotram
माता नृसिंहः पिता नृसिंहः
भ्राता नृसिंहः सखा नृसिंहः ।
विद्या नृसिंहो द्रविणं नृसिंहः
स्वामी नृसिंहः सकलं नृसिंहः ॥ १ ॥
इतो नृसिंहः परतो नृसिंहः
यतो यतो याहि(मि) ततो नृसिंहः ।
नृसिंहदेवात्परो न कश्चित्
तस्मान्नृसिंहं शरणं प्रपद्ये ॥ २ ॥
इतो नृसिंहः परतो नृसिंहः
यतो यतो यामि ततो नृसिंहः ।
बहिर्नृसिंहो हृदये नृसिंहो
नृसिंहमादिं शरणं प्रपद्ये ॥ ३ ॥
॥ इति श्री नरसिंह प्रपत्ति स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥
श्री नरसिंह प्रपत्ति स्तोत्र (हिंदी अनुवाद)
Sri Narsimha Prapatti Stotram – Hindi Meaning
माता नृसिंह हैं, पिता नृसिंह हैं,
भाई नृसिंह हैं, मित्र भी नृसिंह हैं।
विद्या नृसिंह हैं, धन भी नृसिंह हैं,
स्वामी नृसिंह हैं, सब कुछ नृसिंह ही हैं। ॥ १ ॥
यहाँ नृसिंह हैं, वहाँ भी नृसिंह हैं,
जिधर भी मैं जाता हूँ, उधर नृसिंह ही हैं।
नृसिंह भगवान से श्रेष्ठ और कोई नहीं,
इसलिए मैं नृसिंह भगवान की ही शरण लेता हूँ। ॥ २ ॥
यहाँ नृसिंह हैं, वहाँ भी नृसिंह हैं,
जिधर जिधर भी मैं जाता हूँ, उधर नृसिंह ही हैं।
बाहर नृसिंह हैं, और हृदय में भी नृसिंह हैं,
मैं आदि नृसिंह भगवान की शरण में जाता हूँ। ॥ ३ ॥
॥ इति श्री नरसिंह प्रपत्ति स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥
विशेषताएँ:
- यह स्तोत्र छोटा, सरल, लेकिन अत्यंत प्रभावशाली है।
- इसका पाठ भय, भ्रम, असुरक्षा, और मानसिक अशांति में अत्यंत लाभकारी माना गया है।
- यह विशेष रूप से बच्चों, गृहस्थों और साधकों के लिए आत्मबल और सुरक्षा का स्त्रोत है।
लाभ (Benefits) of Shri Narsimha Prapatti Stotram
- पूर्ण सुरक्षा और भय से मुक्ति:
यह स्तोत्र एक प्रकार का आत्मसमर्पण है, जिससे भगवान नृसिंह की कृपा से जीवन में आने वाले भय, अनहोनी, बुरी दृष्टि और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है। - मानसिक शांति और आत्मबल:
जब मन अस्थिर हो, डर या चिंता हो, तब इस स्तोत्र का जाप अत्यंत प्रभावशाली होता है। यह मन को स्थिर करता है और आत्मबल बढ़ाता है। - ईश्वर के प्रति पूर्ण विश्वास और भक्ति की अनुभूति:
यह स्तोत्र हर दिशा, हर परिस्थिति में भगवान नृसिंह को देखने की दृष्टि देता है, जिससे श्रद्धा दृढ़ होती है और भक्ति में गहराई आती है। - नकारात्मक विचारों और प्रभावों का नाश:
नकारात्मक ऊर्जा, शत्रु बाधा, बुरे स्वप्न, या मानसिक व्याकुलता में यह स्तोत्र एक मजबूत आध्यात्मिक कवच बनता है। - घर और परिवार की रक्षा:
इस स्तोत्र को घर में नियमित रूप से पढ़ने से वातावरण पवित्र और सुरक्षात्मक बना रहता है।
पाठ विधि (Vidhi)
- स्थान व समय:
शांत स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। पूजा के लिए स्थान शुद्ध हो। - पूर्व तैयारी:
स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। दीपक जलाएँ और भगवान नृसिंह के चित्र/मूर्ति के सामने आसन लें। - संकल्प:
मानसिक रूप से नृसिंह भगवान को नमन करें और मन ही मन कहें कि आप उनकी शरण में हैं। - पाठ विधि:
- एक बार “ॐ नृसिंहाय नमः” का उच्चारण करें।
- फिर श्रद्धा से प्रपत्ति स्तोत्र का पाठ करें।
- पाठ के बाद “नृसिंह गायत्री मंत्र” का 3 बार जाप कर सकते हैं (वैकल्पिक): “ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युम् नमाम्यहम्॥”
- आरती और प्रार्थना:
अंत में दीप आरती करें और प्रार्थना करें: “हे नृसिंह प्रभु, मुझे सभी संकटों से बचाइए, मुझे अपना बना लीजिए।”
जाप का उपयुक्त समय (Jaap Time)
समय | महत्व |
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प्रातःकाल (4:00 AM – 6:00 AM) | अत्यंत शुभ – मन और वातावरण दोनों शुद्ध रहते हैं। |
संध्या समय (6:00 PM – 8:00 PM) | नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा के लिए उपयुक्त। |
रात्रि में सोने से पहले | भय, बुरे स्वप्न और बेचैनी दूर करने में सहायक। |
विशेष तिथियाँ | नृसिंह जयंती, होलिका दहन के बाद, चतुर्दशी, या शनिवार के दिन इसका जाप विशेष फलदायक होता है। |
आपत्ति या संकट के समय | यदि कोई भय या अनहोनी की आशंका हो तो तुरंत इसका जाप करें – प्रभाव तुरंत अनुभव किया जा सकता है। |