शुक्र ग्रह, जिसे संस्कृत में शुक्राचार्य कहा जाता है, नौ ग्रहों में से एक प्रमुख शुभ ग्रह माना गया है। यह ग्रह दैत्यों के गुरु हैं और जीवन में ऐश्वर्य, कला, प्रेम, सौंदर्य, विवाह और भोग-विलास से संबंधित सभी विषयों पर प्रभाव डालता है। ज्योतिषशास्त्र में शुक्र वृषभ (Taurus) और तुला (Libra) राशियों का स्वामी होता है। यह कन्या राशि में नीच और मीन राशि में उच्च माने जाते हैं।
शुक्र ग्रह को सुंदरता, आकर्षण, संगीत, काव्य, वाहन, आभूषण, स्त्रियों की इच्छा, वैवाहिक सुख और विलासिता का कारक कहा गया है। कुंडली में इसकी शुभ स्थिति व्यक्ति को भौतिक सुख-सुविधाओं, वैवाहिक सफलता और रचनात्मक ऊँचाइयों तक पहुँचाने में सहायक बनती है।
हालाँकि, यदि शुक्र पीड़ित हो या अशुभ भावों में स्थित हो, तो यह वैवाहिक जीवन, संतान प्राप्ति, सौंदर्य और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। ऐसे में शुक्र स्तोत्र का नियमित पाठ अत्यंत फलदायक माना गया है।
शुक्र स्तोत्र
Shukra Stotra
नमस्ते भार्गवश्रेष्ठ देव दानवपूजित।
वृष्टिरोधप्रकर्त्रे च वृष्टिकर्त्रे नमो नमः।। 1 ॥
देवयानीपितस्तुभ्यं वेदवेदाङ्गपारगः।
परेण तपसा शुद्धः शङ्करो लोकशङ्करः।। 2 ॥
प्राप्तो विद्यां जीवनाख्यां तस्मै शुक्रात्मने नमः।
नमस्तस्मै भगवते भृगुपुत्राय वेधसे।। 3 ॥
तारामण्डलमध्यस्थ स्वभासा भासिताम्बर।
यस्योदये जगत्सर्वं मङ्गलार्ह भवेदिह।। 4 ॥
अस्तं याते हरिष्टं स्यात्तस्मै मङ्गलरूपिणे।
त्रिपुरावासिनो दैत्यान् शिवबाणप्रपीडितान्।। 5 ॥
विद्यां जीवयच्चुको नमस्ते भृगुनन्दन।
ययातिगुरवे तुभ्यं नमस्ते कविनन्दन।। 6 ॥
वलिराज्यप्रदो जीवस्तस्मै जीवात्मने नमः।
भार्गवाय नमस्तुभ्यं पूर्वगौर्वाणवन्दित।। 7 ॥
जीवपुत्राय यो विद्यां प्रादात्तस्मै नमो नमः।
नमः शुक्राय काव्याय भृगुपुत्राय धीमहि।। 8 ॥
नमः कारणरूपाय नमस्ते कारणात्मने।
स्तवराजमिदं पुण्यं भार्गवस्य महात्मनः।। 9 ॥
यः पठेच्छृणुयाद्वापि लभते वाऽभिलषितं फलम्।
पुत्रकामो लभेत् पुत्रान् श्रीकामो लभेत् श्रियम्।। 10 ॥
राज्यकामो लभेद्राज्यं स्त्रीकामः स्त्रियमुत्तमाम्।
भृगुवारे प्रयत्नेन पठितव्यं समाहिते।। 11 ॥
अन्यवारे तु होरायां पूजयेद् भृगुनन्दनम्।
रोगार्तो मुच्यते रोगाद्रयार्तो मुच्यते भयात्।। 12 ॥
यद्यत् प्रार्थयते वस्तु तत्तत् प्राप्नोति सर्वदा।
प्रातःकाले प्रकर्तव्या भृगुपूजा प्रयत्नतः।। 13 ॥
सर्वपापविनिर्मुक्तः प्राप्नुयाच्छिवसन्निधौ।। 14 ॥
।। इति शुक्र स्तोत्र सम्पूर्णम् ।।
शुक्र स्तोत्र का हिंदी अनुवाद
Shukra Stotra Hindi Translation
हे श्रेष्ठ भृगुपुत्र! आपको नमस्कार है, जो देवताओं और दानवों दोनों द्वारा पूजित हैं।
आप वर्षा को रोकने और कराने वाले हैं, आपको बार-बार नमस्कार है।॥ 1 ॥
हे देवयानी के पिता! आपको नमस्कार है। आप वेद और वेदांगों के ज्ञाता हैं।
आपने महान तपस्या द्वारा स्वयं को शुद्ध किया और शिव के समान लोकों का कल्याण किया।॥ 2 ॥
आपने जीवन नामक महान विद्या प्राप्त की — उन शुक्रदेव को नमस्कार है।
आपको, भगवान भृगुपुत्र, सृष्टिकर्ता को, बारंबार प्रणाम है।॥ 3 ॥
जो तारों के बीच स्थित होकर अपनी ज्योति से आकाश को प्रकाशित करते हैं।
जिनके उदय से समस्त संसार में शुभता आती है — उन्हें नमन।॥ 4 ॥
जिनके अस्त होने पर संसार में अमंगल फैलता है, उन मंगलरूप शुक्रदेव को प्रणाम।
जो त्रिपुरा के निवासियों (दानवों) को शिव के बाणों से पीड़ित होने से बचाते हैं।॥ 5 ॥
हे विद्या और जीवनदायक शुक्रदेव! हे भृगुनंदन! आपको प्रणाम है।
हे ययाति के गुरु! हे कवियों के गौरव! आपको नमन।॥ 6 ॥
जो राजा बलि को राज्य प्रदान करते हैं, वे जीवतत्त्वस्वरूप शुक्रदेव हैं।
हे भृगुवंशी! आपको प्रणाम है, जिन्हें पूर्वज गौ और वाणी ने भी वंदन किया।॥ 7 ॥
जिन्होंने जीव को वह विद्या प्रदान की जिससे जीवन की रक्षा होती है — उन्हें नमस्कार।
हे काव्यरूप शुक्रदेव! हे भृगुपुत्र! हम आपका ध्यान करते हैं।॥ 8 ॥
हे कारण रूप में स्थित भगवान! आपको प्रणाम है, जो कारण स्वरूप आत्मा हैं।
यह स्तोत्र महान आत्मा भृगु के पुत्र का पुण्य स्तवराज है।॥ 9 ॥
जो इस स्तोत्र का पाठ करता है या श्रवण करता है, वह इच्छित फल प्राप्त करता है।
पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र पाता है, धन की चाह रखने वाला धन प्राप्त करता है।॥ 10 ॥
राज्य की कामना करने वाला राज्य पाता है, स्त्री की कामना करने वाला उत्तम स्त्री को प्राप्त करता है।
भृगुवार (शुक्रवार) को विशेष प्रयत्न से यह स्तोत्र पढ़ना चाहिए।॥ 11 ॥
अन्य वार में भी होरा समय में भृगुनंदन की पूजा करनी चाहिए।
जो रोग से पीड़ित हैं वे रोगमुक्त होते हैं, भयभीत जन भय से मुक्त हो जाते हैं।॥ 12 ॥
जो भी वस्तु की प्रार्थना करता है, वह उसे सदैव प्राप्त करता है।
प्रातःकाल श्रद्धा से भृगु की पूजा करनी चाहिए।॥ 13 ॥
जो ऐसा करता है, वह सभी पापों से मुक्त होकर भगवान शिव की सन्निधि को प्राप्त करता है।॥ 14 ॥
।। इस प्रकार शुक्र स्तोत्र सम्पूर्ण होता है ।।
शुक्र स्तोत्र के लाभ (Benefits of Shukra Stotra):
- मानसिक शांति, स्वास्थ्य, धन, वैभव और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
- उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु प्राप्त होती है।
- संगीत, कला, अभिनय, काव्य आदि क्षेत्रों में विशेष सफलता मिलती है।
- सुंदरता और सामाजिक आकर्षण बढ़ता है।
- रचनात्मक ऊर्जा जाग्रत होती है, आलस्य समाप्त होता है।
- महिलाओं में आकर्षण, सौंदर्य और तेज बढ़ता है।
- अच्छे वैवाहिक रिश्तों की प्राप्ति होती है।
- विवाह में आ रही अड़चनों का निवारण होता है।
- संतान की इच्छा रखने वालों को संतति की प्राप्ति होती है।
- व्यापार, धन-संपत्ति और भौतिक सुखों में सफलता मिलती है।
- कुंडली में शुक्र की अशुभ स्थिति से उत्पन्न दोषों का शमन होता है।
कौन करें शुक्र स्तोत्र का पाठ (Who should recite Shukra Stotra):
- जिनका वैवाहिक जीवन अशांत है या प्रेम संबंधों में समस्याएँ हैं।
- जिनके विवाह में रुकावटें आ रही हैं।
- जो भोग, ऐश्वर्य, कला और रचनात्मक क्षेत्रों में सफलता चाहते हैं।
- जिनकी कुंडली में शुक्र पीड़ित या नीच राशि में स्थित है।
- जो सौंदर्य, आकर्षण और सामाजिक प्रतिष्ठा की कामना करते हैं।
पाठ विधि:
शुक्रवार के दिन या प्रतिदिन प्रातःकाल स्नान कर, सफेद वस्त्र पहनकर, शांत चित्त से शुक्र स्तोत्र का पाठ करें। शुक्रदेव को चंदन, सफेद पुष्प, मिश्री, घी का दीपक, और सुगंधित धूप अर्पित करें।