गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है और इसे दिवाली के अगले दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व का संबंध भगवान श्रीकृष्ण की उस अद्भुत लीला से है, जब उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर ब्रजवासियों को इंद्रदेव के प्रकोप से बचाया था। यह पर्व प्रकृति के प्रति हमारी कृतज्ञता और उसके संरक्षण का प्रतीक माना जाता है।
आदिनाथ चालीसा (Adinath Chalisa)
गोवर्धन पर्वत सिर्फ एक पहाड़ नहीं, बल्कि ईश्वरीय कृपा और संतुलित जीवन का प्रतीक है। इस दिन लोग गोवर्धन की पूजा कर यह संकल्प लेते हैं कि वे प्रकृति और सभी जीवों का सम्मान करेंगे और अहंकार से दूर रहेंगे।
यदि आप भगवान श्रीकृष्ण की कृपा पाना चाहते हैं, तो इस दिन उनकी स्तुति करें और निम्न मंत्रों का श्रद्धापूर्वक जाप करें—
विश्वकर्मा चालीसा (Vishwakarma Chalisa)
गोवर्धन पूजा मंत्र (Govardhan Pooja Mantra)
“गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक। विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।”
गोवर्धन पूजा अन्य मंत्र:
ओं नमो भगवते वासुदेवाय। गोवर्धनाय नमः।
ॐ श्री गोवर्धनाय नमः।
पातालं गच्छ गोवर्धन पर्वतं, तत्र कृता धर्मार्जितानि पुण्यानि।
महालक्ष्मी बीज मंत्र (Mahalakshmi Beej Mantra)
श्रीकृष्ण का शक्तिशाली मंत्र:
गोवर्धन पूजा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण आराधना करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने के लिए इस शक्तिशाली मंत्र का जाप करें—
“श्री कृष्णाय वयं नुमः सच्चिदानंदरूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे।
तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुमः।।
ॐ देविकानन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्णः प्रचोदयात”
श्री सूक्त पाठ (Shri Sukta Path)
गोवर्धन पूजा विधि (Govardhan Puja Vidhi)
गोवर्धन पूजा में भगवान श्रीकृष्ण और प्रकृति की आराधना की जाती है। इस दिन विशेष रूप से गोवर्धन पर्वत की प्रतीकात्मक पूजा की जाती है, जो हमें प्रकृति और पर्यावरण के प्रति सम्मान की सीख देता है।
ॐ धनाय नमः मंत्र (Om Dhanaye Namah Mantra)
गोवर्धन पूजा की विधि:
- स्थान की शुद्धि: सबसे पहले घर के आंगन या मुख्य द्वार के पास गाय के गोबर से भूमि को शुद्ध करें और वहाँ गोवर्धन भगवान की आकृति बनाएं। इसके साथ ही गाय, बछड़े और बैल की छोटी-छोटी आकृतियाँ भी बनाना शुभ माना जाता है।
- पूजन सामग्री अर्पण: गोवर्धन भगवान की प्रतिमा या गोबर से बनी आकृति के समक्ष रोली, अक्षत (चावल), बताशे, पान, खीर, जल, दूध, फूल आदि अर्पित करें।
- दीप प्रज्वलन: सरसों के तेल का दीपक जलाएं और पूजा स्थल को रोशनी से आलोकित करें।
- परिक्रमा: भगवान गोवर्धन की कृपा प्राप्त करने के लिए श्रद्धा भाव से उनकी परिक्रमा करें।
- आरती एवं भोग: पूजा के अंत में भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें और खीर या अन्य नैवेद्य अर्पित करें।
- प्रसाद वितरण: भोग लगाने के बाद प्रसाद सभी भक्तों में बाँटें और गोवर्धन पूजा का पुण्य प्राप्त करें।
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गोवर्धन पूजा की सामग्री (Govardhan Puja Samagri)
- रोली और अक्षत (चावल) – तिलक और पूजा के लिए
- बताशे और नैवेद्य – भोग के लिए
- मिठाई और खीर – भगवान को अर्पित करने के लिए
- गंगाजल और दूध – शुद्धता और अभिषेक के लिए
- पान और फूल – पूजन में समर्पण हेतु
- सरसों के तेल का दीपक – दीप प्रज्वलन के लिए
- गाय का गोबर – गोवर्धन आकृति बनाने हेतु
- गोवर्धन पर्वत की तस्वीर या मूर्ति – प्रतीकात्मक पूजा के लिए
- दही और शहद – पंचामृत में उपयोग के लिए
- धूप, दीप और कलश – पूजन के आवश्यक तत्व
- केसर और फूलों की माला – भगवान को सजाने के लिए
- श्रीकृष्ण जी की प्रतिमा या तस्वीर – पूजा के मुख्य स्वरूप के रूप में
- गोवर्धन पूजा की कथा पुस्तक – पूजा के दौरान कथा वाचन के लिए
इस विधि से गोवर्धन पूजा करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है।
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