
मंदिर का परिचय (Introduction to the temple)
मध्यप्रदेश के इंदौर शहर से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर, नेमावर रोड पर बसे देवगुराडिया गांव में स्थित है एक अद्वितीय शिव मंदिर—देवगुराडिया शिव मंदिर। यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति, प्रकृति और अध्यात्म का संगम है।
मंदिर एक शांत और हरे-भरे प्राकृतिक वातावरण में स्थित है, जहाँ की हवा में ही एक दिव्यता समाई हुई है। जैसे ही आप मंदिर प्रांगण में प्रवेश करते हैं, मंदिर की घंटियों की ध्वनि, धूप-दीप की सुगंध और भक्तों की भक्ति से ओतप्रोत वातावरण आपको एक गहन आध्यात्मिक अनुभव में डुबो देता है।
देवगुराडिया मंदिर की विशेषता यह है कि यह एक प्राकृतिक जलाभिषेक स्थल है—यहाँ शिवलिंग पर एक गौमुख (गाय के मुख के आकार का पत्थर) से वर्ष भर जलधारा गिरती रहती है। इसे मध्यप्रदेश के प्रमुख जलाभिषेक स्थलों में गिना जाता है।
मंदिर का इतिहास – पौराणिकता, स्थापत्य और राजवंशों की छाया (History of the temple – mythology, architecture and shadow of dynasties)

देवगुराडिया मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन, गौरवशाली और पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है।
Mandu or Mandavgad Forts Indore
पौराणिक मान्यता (Mythological belief)
हिंदू धर्म की पौराणिक गाथाओं के अनुसार, यह स्थान कभी गरुड़ जी की तपोभूमि था। गरुड़, जो भगवान विष्णु के वाहन माने जाते हैं, उन्होंने यहाँ भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु कठोर तपस्या की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए और यहाँ स्वयंभू शिवलिंग के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। इसी कारण यह स्थान गरुड़ तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है।
Shree Bijasan Mata Mandir Indore
यह मान्यता इसे केवल एक तीर्थ ही नहीं, बल्कि रामायण काल से भी जोड़ती है। इस तीर्थ का उल्लेख कई संतों और पुराणों में भी मिलता है।
स्थापत्य और प्रारंभिक निर्माण (Architecture and initial construction)
मंदिर की मूल संरचना 7वीं से 8वीं शताब्दी के बीच की मानी जाती है, जब मध्यभारत में परमार वंश का शासन था। परमार शासकों को धर्मप्रेमी और कलाप्रेमी माना जाता है। मंदिर की चट्टानों पर की गई नक्काशी और मूर्तिकला उस काल की उच्च स्थापत्य शैली का प्रमाण देती है।
यह मंदिर एक विशेष प्रकार की शैल वास्तुकला का उदाहरण है—एकल शिला पर उत्कीर्ण मंदिर (Monolithic Rock-Cut Temple)। इसका गर्भगृह एक गहरी चट्टान के नीचे बना हुआ है, जहाँ तक पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ नीचे जाती हैं। मंदिर के भीतर लगभग 10 से 12 फीट नीचे स्थित शिवलिंग पर गोमुख से जलधारा गिरती रहती है।
होलकर काल और जीर्णोद्धार (Holkar period and renovation)

प्राचीन काल के बाद इस मंदिर को दोबारा पहचान दिलाने और संरक्षित करने का श्रेय जाता है मालवा की महान धर्मपरायणा रानी — रानी अहिल्याबाई होलकर को। 18वीं शताब्दी में उन्होंने इस प्राचीन शिवलिंग और मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।
उन्होंने मंदिर के आसपास कुंडों, सीढ़ियों, गर्भगृह के पत्थरों और जल निकासी की व्यवस्था को बेहतर बनाया। उनके काल में इस मंदिर को इंदौर और आसपास के शिवभक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल का दर्जा प्राप्त हुआ।
आधुनिक युग में महत्ता (Importance in the modern era)
समय के साथ मंदिर ने अनेक भक्तों, योगियों और साधकों को आकर्षित किया है। आज भी यहाँ सावन, महाशिवरात्रि और प्रदोष व्रत के दिनों में हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मंदिर का प्राकृतिक जलाभिषेक इसे और भी विशेष बना देता है। सावन के महीने में यहाँ का वातावरण अत्यंत भक्तिमय और जीवंत हो जाता है।
मंदिर में दर्शन और यात्रा से जुड़ी उपयोगी जानकारी (Useful information related to darshan and travel in the temple)
विवरण | जानकारी |
---|---|
स्थान | देवगुराडिया गांव, नेमावर रोड, इंदौर से लगभग 8 किमी |
दर्शन समय | सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक |
विशेष समय | सावन महीना, महाशिवरात्रि, सोमवार |
भाषा और संस्कृति | हिंदी, मालवी; ग्रामीण लोकसंस्कृति का अनुभव |
यात्रा साधन | निजी वाहन, टैक्सी, लोकल बसें |
देवगुराडिया मंदिर की विशेषताएँ (Features of the Devguradiya Temple)
- स्वयंभू शिवलिंग – स्वयं प्रकट हुआ लिंग, जो सदियों से पूजित है।
- गोमुख जलधारा – प्राकृतिक स्रोत से लगातार गिरती जलधारा।
- शांत परिवेश – पहाड़ियों और वृक्षों से घिरा वातावरण।
- गर्भगृह की गहराई – जमीन से नीचे स्थित गुफानुमा गर्भगृह।
Kamla Nehru Prani Sangrahalaya Indore
देवगुराडिया मंदिर क्यों जाएं? (Why visit Devguradiya Temple?)
- यदि आप आध्यात्मिक शांति की तलाश में हैं, तो यह स्थान आपको आत्मिक शांति देगा।
- इतिहास प्रेमी हैं तो यहाँ की स्थापत्य शैली और पौराणिक कथाएँ मन मोह लेंगी।
- फोटोग्राफी और प्रकृति प्रेमी हैं तो कुंड, हरियाली, चट्टानें और सुबह की धूप आपको आकर्षित करेंगी।
- यह मंदिर शहर की भागदौड़ से दूर, लेकिन पहुंचने में आसान है—यानी एक परिपूर्ण आध्यात्मिक गंतव्य।
कैसे पहुंचे (How to Reach)
देवगुराडिया शिव मंदिर, इंदौर शहर से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इसे नेमावर रोड के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है। इंदौर रेलवे स्टेशन से यहाँ तक पहुँचने के लिए टैक्सी, ऑटो रिक्शा, या स्थानीय बस सेवा का उपयोग किया जा सकता है। यदि आप हवाई मार्ग से आ रहे हैं, तो देवी अहिल्या बाई होलकर एयरपोर्ट मंदिर के निकटतम हवाई अड्डा है। वहां से मंदिर तक पहुंचने के लिए टैक्सी या कैब आसानी से उपलब्ध होती हैं।
Shree Bijasan Mata Mandir Indore
यदि आप अपने वाहन से यात्रा कर रहे हैं, तो मंदिर तक जाने का रास्ता सुगम है और सड़कें अच्छी स्थिति में हैं। सुबह-सुबह यात्रा करने पर ट्रैफिक भी कम होता है और शांति का अनुभव अधिक मिलता है।
सबसे अच्छा समय (Best Time to Visit)
देवगुराडिया मंदिर घूमने का सर्वोत्तम समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है। इस दौरान मौसम ठंडा और सुखद रहता है, जिससे मंदिर की आध्यात्मिक शांति का अनुभव और भी आनंददायक बन जाता है।
महाशिवरात्रि के अवसर पर यहाँ भव्य मेला लगता है। इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु देश के विभिन्न हिस्सों से दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर में विशेष पूजन, आरती और सजावट होती है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक अलौकिक अनुभव बन जाती है।
अगर आप भी इस मंदिर के दिव्य दर्शन और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेना चाहते हैं, तो ठंड के मौसम में सुबह के समय की यात्रा सबसे उपयुक्त रहती है।
देवगुराड़िया मंदिर इंदौर की तस्वीरें (Images of Devguradiya Temple Indore)
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