जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
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गणेश जी की आरती के फायदे
गणेश आरती के फायदे भक्ति, मन की शांति और ध्यान को स्थायी करने में मदद कर सकते हैं। यह आरती भगवान गणेश की प्रार्थना होती है और उनकी कृपा और आशीर्वाद को आवाहित करने का एक माध्यम होता है। निम्नलिखित गणेश आरती के फायदे हो सकते हैं:
- भक्ति और श्रद्धा का विकास: गणेश आरती का पाठ करने से व्यक्ति की भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है। यह आरती गणेश भक्तों की आंतरिक आत्मिकता और धार्मिक आनंद को प्रकट करने में मदद कर सकती है।
- मन की शांति: गणेश आरती का पाठ मन को शांति और स्थिरता प्रदान कर सकता है। यह आरती ध्यान को स्थायी करने और मन को चिंताओं और चिंताओं से मुक्त करने में मदद कर सकती है।
- कर्म सफलता: गणेश आरती का नियमित रूप से पाठ करने से कर्मों में सफलता मिल सकती है। गणेश भगवान को कर्म और उद्यम के देवता माना जाता है, और उनकी आराधना करने से लोग अपने कर्मों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
- बुद्धि और ज्ञान का वरदान: गणेश आरती का पाठ करने से व्यक्ति को बुद्धि, ज्ञान और बुद्धिमानता की प्राप्ति हो सकती है। गणेश भगवान विधि, कला और ज्ञान के प्रतीक हैं, इसलिए उनकी आराधना से मनुष्य को बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- आशीर्वाद: गणेश आरती का पाठ करने से व्यक्ति गणेश भगवान के आशीर्वाद को प्राप्त कर सकता है। गणेश भगवान शुभ कार्यों के देवता माने जाते हैं और उनकी आराधना से लोगों को शुभ और सफलतापूर्वक कार्य करने में सहायता मिलती है।
यहां उपर्युक्त फायदों को ध्यान में रखते हुए, गणेश आरती को नियमित रूप से पाठ करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक और मानसिक रूप से लाभ मिल सकता है।
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श्री गणेश भगवान की आरती को करने के नियम.
गणेश आरती के नियमों को निम्नलिखित तरीके से पालन किया जा सकता है:
- आरती का समय: गणेश आरती का पाठ सबसे अच्छे तोर पर प्रातःकाल और सायंकाल में किया जाता है। इसके अलावा, यदि आपके द्वारा चुने गए इसके लिए कोई विशेष समय है, तो आप उस समय में भी इसे पाठ कर सकते हैं।
- पाठ करने की स्थान: आरती का पाठ एक शुद्ध और स्थानीय मंदिर, पूजा कक्ष या गणेश मूर्ति के सामने किया जाना चाहिए। यदि ऐसा संभव नहीं है, तो आप इसे अपने घर के मंदिर में या स्वयं को शांति और ध्यान की वातावरण में बैठकर पाठ कर सकते हैं।
- स्नान और शुद्धि: गणेश आरती के पाठ से पहले शुद्धि के लिए स्नान करना अच्छा होता है। यदि संभव हो, तो पूजा करने से पहले आपको स्नान करके शुद्ध और पवित्र होना चाहिए।
- सामग्री: गणेश आरती के पाठ के लिए आपको आरती के लिए आवश्यक सामग्री को तैयार करना होगा। यह सामग्री में आरती की थाली, दीप, धूप, गंध, फूल, सुगंधित धूप और प्रार्थना पुस्तक शामिल हो सकती है।
- श्रद्धा और निष्ठा: गणेश आरती के पाठ को श्रद्धा और निष्ठा के साथ करना चाहिए। यह एक आराधना की रूप में किया जाता है, इसलिए अपने मन में विशेष आदर्शों, भक्ति और भावना को साथ लेकर पाठ करें।
- पाठ का विधान: गणेश आरती को सावधानीपूर्वक और सचेतता के साथ पाठ करना चाहिए। आप पाठ करने के लिए उपयुक्त विधि और आरती के श्लोकों को सही ढंग से उच्चारण करें। यदि आप आरती के श्लोकों को नहीं जानते हैं, तो आप एक पंडित, पुजारी या धार्मिक ग्रंथ की सहायता ले सकते हैं।
गणेश आरती के नियमों का पालन करने से आप इस आरती के पाठ का पूरा लाभ उठा सकते हैं। यह आपको आध्यात्मिक और मानसिक शांति, ध्यान, श्रद्धा और आशीर्वाद प्रदान कर सकती है।
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