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सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रच्छक काहू को डर ना (Sab sukh lahe tumhaari sharna, tum rakshak kaahu ko dar naa)

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“सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रच्छक काहू को डर ना” हनुमान चालीसा की 27वीं चौपाई है। इसमें बहुत ही सुंदर भाव छिपा है। आइए इसका विस्तार से अर्थ, भाव और महत्व समझते हैं: एकादशी पर चावल क्यों नहीं खाते? जानिए इस रहस्य से भरी परंपरा के पीछे की अनसुनी बातें! सब सुख लहै तुम्हारी Read More