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सूर्य ग्रह स्तोत्रम् (Surya Graha Stotra)

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सूर्य देव को वेदों में चक्षु (नेत्र), आत्मा और प्रकाश स्वरूप माना गया है। वे केवल तेजस्वी ग्रह नहीं, बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड की ऊर्जा के आधार हैं। ऋषियों द्वारा रचित यह सूर्य ग्रह स्तोत्र एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो सूर्यदेव की महिमा, रूप, शक्ति और उनके त्रैलोक्य व्यापी प्रभाव का गुणगान करता है। इस स्तोत्र Read More