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सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रच्छक काहू को डर ना (Sab sukh lahe tumhaari sharna, tum rakshak kaahu ko dar naa)

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“सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रच्छक काहू को डर ना” हनुमान चालीसा की 27वीं चौपाई है। इसमें बहुत ही सुंदर भाव छिपा है। आइए इसका विस्तार से अर्थ, भाव और महत्व समझते हैं: एकादशी पर चावल क्यों नहीं खाते? जानिए इस रहस्य से भरी परंपरा के पीछे की अनसुनी बातें! सब सुख लहै तुम्हारी Read More

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संकट कटै मिटे सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा (Sankat Kate Mite Sab Peera )

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भारतीय भक्ति साहित्य में हनुमान चालीसा एक ऐसा दिव्य ग्रंथ है, जो केवल स्तुति नहीं, बल्कि एक जीवन रक्षा कवच है। इसमें प्रत्येक दोहा मन, तन और आत्मा को शक्तिशाली बनाने की क्षमता रखता है।इन पंक्तियों में न केवल हनुमान जी की अपार शक्ति का वर्णन है, बल्कि यह भी बताया गया है कि उनके Read More