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सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रच्छक काहू को डर ना (Sab sukh lahe tumhaari sharna, tum rakshak kaahu ko dar naa)

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“सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रच्छक काहू को डर ना” हनुमान चालीसा की 27वीं चौपाई है। इसमें बहुत ही सुंदर भाव छिपा है। आइए इसका विस्तार से अर्थ, भाव और महत्व समझते हैं: एकादशी पर चावल क्यों नहीं खाते? जानिए इस रहस्य से भरी परंपरा के पीछे की अनसुनी बातें! सब सुख लहै तुम्हारी Read More

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सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना (Sab Sukh lahe Tumhari Sarna..Tum Rakshak Kahu ko Darna)

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सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना”।यह दोहा श्री हनुमान चालीसा से लिया गया है, और इसका गहरा भावार्थ है। इन पंक्तियों में न केवल श्री हनुमान जी की महिमा का वर्णन है, बल्कि उनके प्रति पूर्ण समर्पण से मिलने वाले लाभों का भी उल्लेख किया गया है। ऐसी ही एक अत्यंत Read More