
धरती पर समय सदियों से एक अनंत चक्र की तरह घूमता रहा है—सतयुग से त्रेतायुग, फिर द्वापरयुग और अंत में कलियुग। हर युग अपने साथ नए परिवर्तन और मानवता के लिए नई चुनौतियाँ लेकर आता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कलियुग वास्तव में कब शुरू हुआ? या यह कि इसके आरंभ का वह क्षण कैसा रहा होगा?
यह लेख उसी रहस्य को समझाता है।
मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi)
श्रीकृष्ण के प्रस्थान का अद्भुत क्षण – कलियुग का जन्म (The Divine Departure of Krishna – The Birth of Kalyug)
पुराणों के अनुसार कलियुग की शुरुआत 3102 ईसा पूर्व में ठीक उसी दिन हुई, जब भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वी से विदा ली।
उस क्षण मानो ब्रह्मांड में ऊर्जा बदल गई—सत्य का प्रकाश मंद हुआ, धर्म कमजोर पड़ने लगा और अधर्म के कदम पृथ्वी पर बढ़ने लगे।
कृष्ण के रहते धर्म की शक्ति प्रचंड थी, पर उनके जाने के साथ युग-चक्र अंतिम चरण में प्रवेश कर गया और कलियुग आरंभ हुआ।
धर्म के चार स्तंभ और कलियुग का एकमात्र सहारा (The Four Pillars of Dharma and the Only Support in Kalyug)
धर्म को पुराणों में चार पैरों वाले बैल की तरह बताया गया है—
- सत्य
- तप
- दया
- दान
सतयुग में धर्म चारों पैरों पर स्थापित था।
त्रेता में एक पैर घटा,
द्वापर में दो पैर बचे,
और श्रीकृष्ण के प्रस्थान के साथ धर्म केवल एक पैर—सत्य—पर रह गया।
यही क्षण कलियुग का संकेत बना।
‘कलि’ का प्रवेश – झूठ, कलह और लोभ का युग (Arrival of Kali – The Era of Falsehood, Conflict, and Greed)
कथाओं में मिलता है कि “कलि” नामक दैत्य युगों से प्रतीक्षा कर रहा था।
जैसे ही कृष्ण ने देह त्यागी, कलि ने पृथ्वी पर कदम रख दिया।
इसके साथ—
- झूठ ने सत्य को चुनौती देना शुरू किया
- कलह और विवाद बढ़े
- लोभ ने मानवीय मूल्यों को कमजोर किया
- मानवता धीरे-धीरे स्वार्थ की ओर झुक गई
कलियुग मानव भावनाओं और चरित्र की वास्तविक परीक्षा बन गया।
कलियुग में क्या-क्या बदल गया? (What Changed in Kalyug?)
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कलियुग की प्रमुख पहचानें हैं—
- माता-पिता और बुज़ुर्गों का सम्मान कम होना
- चरित्र से अधिक धन को महत्व देना
- धर्म का कमजोर होना
- मनुष्य का अधीर होना
- आयु, बल और स्मृति का घट जाना
- पूजा-पाठ से दूरी
लेकिन इसके साथ एक बड़ी विशेषता भी है—
कलियुग में भगवान के नाम का स्मरण ही मोक्ष का सरल मार्ग माना गया है।
कलियुग की उम्र – अभी कितना बीत चुका है? (Age of Kalyug – How Much Time Has Passed?)
कलियुग की शुरुआत: 3102 ईसा पूर्व
2025 तक बीत चुका समय: लगभग 5127 वर्ष
कलियुग की कुल अवधि 4,32,000 वर्ष मानी गई है।
मतलब—यह युग अभी अपनी शुरुआत में है।
क्या कलियुग हमेशा रहेगा? (Will Kalyug Last Forever?)
नहीं।
शास्त्र बताते हैं कि कलियुग के अंत में कल्कि अवतार प्रकट होंगे, अधर्म का विनाश करेंगे और सतयुग का पुनः आरंभ करेंगे।
कलियुग विनाश का नहीं, बल्कि परिवर्तन का संकेत है।
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अंत में – कलियुग हमें क्या सीख देता है? (In the End – What Does Kalyug Teach Us?)
कलियुग चुनौतीपूर्ण है, लेकिन हर चुनौती अवसर भी होती है।
यह युग सिखाता है कि—
- चरित्र ही सबसे बड़ा धन है
- भक्ति सरल है
- कठिनाइयाँ मनुष्य को मजबूत बनाने आती हैं
कलियुग का आरंभ दिव्य घटना थी, और उसका अंत भी दिव्यता से भरा होगा।
तब तक मनुष्य का कर्तव्य है—सत्य का पालन, धर्म का साथ और भगवान के नाम का स्मरण।
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