
भारत त्योहारों की धरती है। यहाँ हर पर्व केवल खुशी का नहीं, बल्कि गहरे अर्थ और आध्यात्मिक संदेश का प्रतीक होता है। इन्हीं में सबसे बड़ा और सबसे लोकप्रिय पर्व है दीपावली (Diwali)। जब सालभर का अंधकार मिटाकर अमावस्या की रात को दीपों की अनगिनत कतारें जगमगाती हैं, तो मानो पूरा ब्रह्मांड पृथ्वी पर उतर आता है। गलियाँ, घर, मंदिर, बाजार और यहाँ तक कि नदियाँ और घाट भी दीपों की रोशनी से चमक उठते हैं।
लेकिन इस दिवाली के पर्व को लेकर एक सवाल हमेशा उठता है – जब यह पर्व भगवान श्रीराम के वनवास समाप्त करके अयोध्या लौटने और रावण वध की विजय का प्रतीक है, तो इस दिन लोग लक्ष्मी पूजन (Lakshmi Puja) क्यों करते हैं?
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राम जी की अयोध्या वापसी और दीपावली का जन्म (Return of Lord Rama to Ayodhya and the Birth of Diwali)

त्रेतायुग में जब भगवान श्रीराम ने 14 वर्ष का वनवास पूरा किया और रावण का वध करके माता सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे, तो नगरवासियों ने दीपों की अनगिनत पंक्तियाँ जलाकर उनका स्वागत किया। यही रात हमेशा के लिए दीपावली कहलाने लगी।
समुद्र मंथन और लक्ष्मी का प्राकट्य (Samudra Manthan and the Emergence of Goddess Lakshmi)
पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन के समय चौदह रत्न निकले, जिनमें से एक थीं माता लक्ष्मी। उनका प्राकट्य अमावस्या की रात हुआ, इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है।
प्रकाश और लक्ष्मी का गहरा संबंध (Deep Connection between Light and Lakshmi)
अमावस्या की रात को दीपक का उजाला केवल अंधकार मिटाने के लिए नहीं, बल्कि लक्ष्मी के स्वागत का प्रतीक माना जाता है। दीपावली के दीपक हमें भीतरी और बाहरी दोनों प्रकाश का संदेश देते हैं।
33 कोटि का वास्तविक अर्थ और पौराणिक दृष्टिकोण
कृष्ण और नरकासुर वध (Krishna and the Slaying of Narakasura)
दीपावली से एक दिन पहले छोटी दिवाली, यानी नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। यह घटना भी दीपावली के महत्व को और बढ़ाती है।
गोवर्धन पूजा और अन्नकूट (Govardhan Puja and Annakut)
दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है। यह पर्व श्रीकृष्ण द्वारा इन्द्रदेव का अहंकार तोड़ने और प्रकृति व गौ-सेवा के महत्व का स्मरण कराता है।
लक्ष्मी पूजन का वास्तविक अर्थ (True Meaning of Lakshmi Puja)
लक्ष्मी पूजन केवल धन की प्राप्ति के लिए नहीं, बल्कि यह हमें सिखाता है कि धन का प्रयोग धर्म, सेवा और सदाचार में होना चाहिए। यह अंधकार से प्रकाश और अज्ञान से ज्ञान की यात्रा का प्रतीक है।
विरोधियों के सवाल का उत्तर (Answer to the Critics’ Question)
जब कोई पूछे कि दीपावली तो राम की विजय का पर्व है, फिर लक्ष्मी पूजन क्यों, तो उत्तर है – दीपावली एक बहुआयामी पर्व है। इसमें राम की विजय, लक्ष्मी का प्राकट्य, कृष्ण का नरकासुर वध और गोवर्धन पूजा – सभी जुड़े हुए हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
दीपावली केवल विजय का पर्व नहीं, बल्कि यह धर्म, ज्ञान, समृद्धि और प्रकृति का संगम है। इसलिए दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का असली संदेश यही है – जहाँ राम हैं, वहाँ लक्ष्मी भी हैं। जहाँ धर्म है, वहीं सच्ची समृद्धि है।