“न्यासा दशकम्” एक अत्यंत पवित्र वैष्णव स्तोत्र है, जिसे श्रीवैष्णव परंपरा में पूर्ण आत्मसमर्पण (शरणागति) के रूप में माना गया है। “न्यास” शब्द का अर्थ है — समर्पण या आत्मनिवेदन।यह स्तोत्र भगवान श्रीविष्णु (श्रीपति) के चरणों में अपनी आत्मा, शरीर और कर्मों को समर्पित करने का भाव व्यक्त करता है। इसमें भक्त अपने मन, वचन Read More
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