
॥ दोहा॥
 श्रीगुरु चरन सरोज रज
 निज मनु मुकुरु सुधारि ।
 बरनउँ रघुबर बिमल जसु
 जो दायकु फल चारि ॥
 बुद्धिहीन तनु जानिके
 सुमिरौं पवन-कुमार ।
 बल बुधि बिद्या देहु मोहिं
 हरहु कलेस बिकार ॥
॥ चौपाई ॥
 जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
 जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥
राम दूत अतुलित बल धामा ।
 अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी ।
 कुमति निवार सुमति के संगी ॥
 
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