धूमावती देवी दस महाविद्याओं में सातवीं रूप हैं। उनका स्वरूप वृद्ध, धूम्र वर्ण, और कंकाल समान होता है, जो संसार की अस्थायिता और माया का प्रतीक है । उनके उपासक उनकी सकरात्मक ऊर्जा प्राप्त करते हुए अपनी आध्यात्मिक उन्नति, भय, संकट और छाया प्रभावों से मुक्ति पाते हैं। धूमावती अष्टक स्तोत्र (Dhumavati Ashtak Stotra) ॐ Read More
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