एकीभाव स्तोत्र की रचना 11वीं शताब्दी में आचार्य वादीराज ने की थी। ‘वादीराज’ उनके सम्मानजनक उपनाम के रूप में प्रयोग हुआ, यह उनका वास्तविक नाम नहीं था। स्तोत्र का संदेश और भाव:यह स्तोत्र हमें यह सिखाता है कि जब भक्त पूर्ण समर्पण और श्रद्धा से भगवान की शरण में जाता है, तो उसका मन, भाव Read More
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