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सर्वसौख्यकर स्तोत्रं (Sarvasaukhyakara Stotram)

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भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में भगवान दत्तात्रेय को त्रिदेवों – ब्रह्मा, विष्णु और महेश – का संयुक्त स्वरूप माना गया है। वे सदैव साधकों और भक्तों के दुःख हरने वाले, ज्ञान देने वाले और जीवन को सुख-समृद्धि से भर देने वाले देवता हैं। दत्तात्रेय भगवान को समर्पित अनेक स्तोत्र और प्रार्थनाएँ प्रचलित हैं, जिनमें से “सर्वसौख्यकर Read More

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नेमिनाथ सलोको (Neminath Saloko)

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जैन धर्म में नेमिनाथ भगवान चौबीसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ से पहले के तेईसवें तीर्थंकर माने जाते हैं। उनका जन्म सोरठ (गुजरात) के शौरिपुर में हुआ था। उन्हें अरिष्टनेमि या नेमिनाथ के नाम से भी जाना जाता है। उनके जीवन से जुड़ी शिक्षाएँ करुणा, अहिंसा और त्याग पर आधारित हैं। नेमिनाथ सलोक (शलोक) विशेष रूप से Read More

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हनुमान भुजंगा स्तोत्रं (Hanuman Bhujanga Stotram)

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“श्री हनुमत् भुजङ्ग स्तोत्रम्” एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है जो भगवान हनुमान की वीरता, भक्ति, बल, और अपार शक्ति का भावपूर्ण चित्रण करता है। यह स्तोत्र संस्कृत के भुजङ्ग-प्रयात छंद में रचा गया है, जिसमें प्रत्येक श्लोक में अद्भुत लय, ओज और प्रभाव देखने को मिलता है। इस स्तोत्र में हनुमान जी के प्रमुख गुणों Read More

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हनुमान बाहुक स्तोत्र (Hanuman Bahuk)

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हनुमान बाहुक एक अत्यंत प्रभावशाली और श्रद्धा से परिपूर्ण स्तोत्र है, जिसकी रचना श्री गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी। यह स्तोत्र श्री हनुमान जी की महिमा का गान करते हुए उन्हें कष्टहरण करने वाले, बल और भक्ति के प्रतीक रूप में चित्रित करता है। “बाहुक” का अर्थ है – बाहु यानी बांह (हाथ), और Read More

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हनुमान तांडव स्तोत्रं (Hanuman Tandav Stotram)

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श्री हनुमत तांडव स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली स्तोत्र है, जो भगवान श्री हनुमान की तांडव स्वरूप में की गई स्तुति है। इस स्तोत्र की रचना लोकेश्वर भट्ट नामक कवि ने की थी। इसमें हनुमान जी की महिमा, पराक्रम, भक्ति, बल, और भक्तों पर उनकी अपार कृपा का अत्यंत ओजस्वी और भक्तिपूर्ण वर्णन किया Read More

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सूर्य ग्रह स्तोत्रम् (Surya Graha Stotra)

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सूर्य देव को वेदों में चक्षु (नेत्र), आत्मा और प्रकाश स्वरूप माना गया है। वे केवल तेजस्वी ग्रह नहीं, बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड की ऊर्जा के आधार हैं। ऋषियों द्वारा रचित यह सूर्य ग्रह स्तोत्र एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो सूर्यदेव की महिमा, रूप, शक्ति और उनके त्रैलोक्य व्यापी प्रभाव का गुणगान करता है। इस स्तोत्र Read More

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सूर्य आदित्य हृदय स्तोत्र (Surya Aditya Stotra)

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“आदित्य हृदय स्तोत्र” एक अत्यंत शक्तिशाली और पावन स्तोत्र है, जिसकी रचना महर्षि अगस्त्य ने की थी। यह स्तोत्र भगवान राम को युद्धभूमि में रावण से लड़ाई के समय ज्ञान और आत्मबल देने के लिए बताया गया था। इसमें भगवान सूर्य (आदित्य) की महिमा का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है और उन्हें समस्त जीवों के Read More

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साधना पंचकम स्तोत्रम् (Sadhana Panchakam Stotram)

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साधना पंचकम स्तोत्रम् आदि शंकराचार्य द्वारा रचित एक अत्यंत सारगर्भित ग्रंथ है। यह ग्रंथ उनके जीवन के अंतिम चरण में लिखा गया था, जब उनके शिष्यों ने उनसे यह निवेदन किया कि वे साधना और आध्यात्मिक जीवन की राह पर एक संक्षिप्त मार्गदर्शक रचना करें। इसके उत्तर में उन्होंने यह पाँच श्लोकों का स्तोत्र लिखा, Read More

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सर्वदेव कृता लक्ष्मी स्तोत्रं (Sarvadeva Krutha Lakshmi Stotram)

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“सर्वदेव कृत लक्ष्मी स्तोत्र” एक अत्यंत प्रभावशाली और श्रद्धा से पूरित स्तोत्र है, जिसे स्वयं समस्त देवताओं ने माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए रचा था। इस स्तोत्र में देवी लक्ष्मी के विविध रूपों का अत्यंत सुंदर वर्णन मिलता है — वे पार्वती रूप में कैलाश पर, समुद्र-कन्या के रूप में क्षीर सागर Read More

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सर्प सूक्तं स्तोत्रं (Sarpa Suktam Stotra)

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“सर्प सूक्त स्तोत्र” एक प्राचीन वैदिक स्तुति है जो सम्पूर्ण सर्प जाति को समर्पित है। यह स्तोत्र विभिन्न लोकों — जैसे ब्रह्मलोक, इन्द्रलोक, सत्यलोक, मलय पर्वत, पृथ्वी, समुद्र, ग्राम, वन एवं रसातल आदि में निवास करने वाले सर्पों की वंदना करता है। इसमें विशेष रूप से शेषनाग, वासुकि, तक्षक, कर्कोटक और अनन्त जैसे दिव्य नागों Read More