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श्री पुण्डरीकाक्ष स्तोत्रम् (Sri Pundarikaksha Stotram)

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श्री पुण्डरीकाक्ष स्तोत्रम् एक अत्यंत पवित्र वैष्णव स्तोत्र है, जिसका उल्लेख श्री वराह पुराण के षष्ठ अध्याय में मिलता है। यह स्तोत्र भगवान विष्णु के पुण्डरीकाक्ष (कमलनयन) रूप की स्तुति करता है। “पुण्डरीकाक्ष” नाम का अर्थ है — वह जिनकी नेत्र कमल के समान सुंदर, कोमल और शुद्ध हैं। इस स्तोत्र में भगवान विष्णु को Read More

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चण्डी स्तोत्र Chandi Stotram

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चण्डी स्तोत्र देवी महामाया चण्डिका को समर्पित एक अत्यंत प्रभावशाली एवं दुर्लभ तांत्रिक स्तोत्र है।इसमें देवी दुर्गा, काली, गौरी, त्रिपुरासुंदरी, बगलामुखी, भैरवी, नीलसुंदरी आदि शक्ति के विविध स्वरूपों की स्तुति की गई है।यह स्तोत्र साधक को यह सिखाता है कि देवी के प्रसाद से वह सब प्राप्त किया जा सकता है जो संसार में दुर्लभ Read More

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चन्द्रशेखर अष्टक स्तोत्र (Chandrashekhara Ashtakam)

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“चन्द्रशेखराष्टकम्” एक अत्यंत प्रभावशाली और प्रसिद्ध शिव स्तोत्र है, जिसकी रचना मार्कण्डेय ऋषि ने की थी।यह स्तोत्र भगवान चन्द्रशेखर शिव (जिनके जटाओं में चन्द्र विराजमान हैं) की स्तुति में रचा गया है। कथा के अनुसार —जब बालक मार्कण्डेय को अपने अल्पायु (१६ वर्ष) का ज्ञान हुआ और मृत्यु समीप आई, तब उसने महायोगी भाव से Read More

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आद्यास्तोत्रम् (Adya Stotram)

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“आद्या स्तोत्र” एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली देवी स्तोत्र है, जो ब्रह्मयामल तंत्र में वर्णित है। यह स्तोत्र स्वयं भगवान ब्रह्मा और नारद जी के संवाद में प्रकट हुआ है। इसमें आद्या शक्ति (मूल आदिशक्ति, जिसे दुर्गा, महाकाली, पार्वती या विष्णुवल्लभा भी कहा गया है) की महिमा का वर्णन किया गया है।आद्या देवी को समस्त Read More

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श्री दक्षिणामूर्ति स्तोत्रम् (Dakshinamurthy Stotram)

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“श्री दक्षिणामूर्ति स्तोत्रम्” आदि शंकराचार्य द्वारा रचित एक अद्भुत दार्शनिक और आध्यात्मिक स्तोत्र है।यह स्तोत्र भगवान शिव के दक्षिणामूर्ति रूप की स्तुति में समर्पित है — जो मौन रूप से ज्ञान का उपदेश देने वाले गुरु हैं। भगवान दक्षिणामूर्ति “गुरुतत्त्व” के मूर्त स्वरूप हैं। वे वटवृक्ष (बड़ के पेड़) के नीचे दक्षिण दिशा की ओर Read More

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न्यासा दशकम् (Sri Nyaasa Dashakam)

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“न्यासा दशकम्” एक अत्यंत पवित्र वैष्णव स्तोत्र है, जिसे श्रीवैष्णव परंपरा में पूर्ण आत्मसमर्पण (शरणागति) के रूप में माना गया है। “न्यास” शब्द का अर्थ है — समर्पण या आत्मनिवेदन।यह स्तोत्र भगवान श्रीविष्णु (श्रीपति) के चरणों में अपनी आत्मा, शरीर और कर्मों को समर्पित करने का भाव व्यक्त करता है। इसमें भक्त अपने मन, वचन Read More

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संतिकरं स्तोत्र (Santikaram Stotra)

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संतिकरं स्तोत्र जैन धर्म का एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली स्तोत्र है, जिसकी रचना पूज्य मुनिसुंदर सूरीजी ने की थी। यह स्तोत्र मन को गहन शांति प्रदान करने वाला, और जीवन से समस्त कष्ट, दुख तथा नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने वाला माना जाता है। इस स्तोत्र में अनेक बीज मंत्रों और देवी-देवताओं के आह्वान Read More

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श्री नवग्रह मंडलवासिनि लक्ष्मी स्तवन (Shri Navagraha Mandalvasini Lakshmi Stavan)

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श्री नवग्रह मंडलवासिनि लक्ष्मी स्तवन नवग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु) में स्थित विभिन्न प्रकार की लक्ष्मी-देवियों की स्तुति है। प्रत्येक ग्रह की लक्ष्मी का स्वरूप, रंग, शक्ति और गुण अलग-अलग होते हैं। यह स्तवन उन सभी लक्ष्मियों का पूजन और ध्यान कर हमारी जीवन में संपत्ति, बुद्धि, सौभाग्य, स्वास्थ्य, Read More

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भक्तामर स्तोत्र (Bhaktamar Stotra)

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भक्तामर स्तोत्र (Bhaktamar Stotra) जैन धर्म का एक अत्यंत प्रसिद्ध और चमत्कारी स्तोत्र है, जो भगवान आदिनाथ (ऋषभदेव) की स्तुति में रचा गया है। यह स्तोत्र जैन धर्म के कविचक्रवर्ती आचार्य मानतुंग द्वारा संस्कृत भाषा में लिखा गया था। भक्तामर स्तोत्र न केवल भक्ति का अद्भुत उदाहरण है, बल्कि इसे अध्यात्म, चमत्कार और आराधना का Read More

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एकीभाव स्तोत्र (Ekibhav stotra)

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एकीभाव स्तोत्र की रचना 11वीं शताब्दी में आचार्य वादीराज ने की थी। ‘वादीराज’ उनके सम्मानजनक उपनाम के रूप में प्रयोग हुआ, यह उनका वास्तविक नाम नहीं था। स्तोत्र का संदेश और भाव:यह स्तोत्र हमें यह सिखाता है कि जब भक्त पूर्ण समर्पण और श्रद्धा से भगवान की शरण में जाता है, तो उसका मन, भाव Read More