
हर धर्मस्थल में एक ऐसी खनक होती है, जो भक्तों के दिल को आह्लादित कर देती है। जतमई माता मंदिर भी ऐसी ही एक अध्यात्मिक चेतना की जगह है — यहाँ न सिर्फ पूजन और भक्ति का अनुभव मिलता है, बल्कि प्रकृति की छटा, झरनों की धीमी कलकल, और शांत वनस्पतियों की हरी छाँव भी वातावरण को अनुपम बना देती है। यह मंदिर छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित है और इसे “जतमई टेंपल” के नाम से भी जाना जाता है।
इस मंदिर की खास बात यह है कि यह झरने के बीच बना है — अर्थात् मंदिर की पायदानों के पास से बहता पानी नीचे निकलता है जैसे देवी के पैरों की शीतल ओस हो। यहाँ पूजन के साथ-साथ एक प्राकृतिक सैर का आनंद भी मिलता है।
इतिहास (History)

जतमई माता मंदिर का प्राचीन इतिहास समय की धुंधली लकीरों में खोया हुआ है, लेकिन स्थानीय लोकश्रद्धा और किंवदंतियाँ बताती हैं कि यहाँ का जलप्रवाह देवी माँ की उपस्थिति का प्रतीक है। कहा जाता है कि मंदिर के पास बहने वाली जलधाराएँ देवी के चरणों से निकली हैं।
मंदिर परिसर में एक बड़ा शिवलिंग है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, पहले जो लोग उस शिवलिंग को ले जाने की कोशिश करते थे, वह लहर-लहर कर और गहरी खाई में धँस जाता गया — इस घटना ने मंदिर की पवित्रता और रहस्यमयीता को और बढ़ाया।
वर्षों में मंदिर का नवीनीकरण और विस्तार हुआ है — आधुनिक समय में इसे और भी आकर्षक बनाया गया है, लेकिन इसका मूल स्वरूप बहुत प्राचीन माना जाता है।
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मंदिर की विशेषताएँ (Features of the temple)

यहाँ कुछ विशेष बातें हैं जो जतमई माता मंदिर को अन्य मंदिरों से अलग बनाती हैं —
- जल-प्रकृति का संगम – मंदिर के ठीक नीचे झरने बहते हैं। पानी चट्टानों से गिरकर एक सुंदर जलप्रवाह बनाता है, जिससे मंदिर परिसर में ठंडी हवा और मधुर ध्वनि भर जाती है।
- मंदिर परिसर में अनेक उप-देवालय – यह केवल एक मंदिर नहीं है बल्कि एक विशाल परिसर है जिसमें दस से अधिक छोटे-बड़े मंदिर हैं। मुख्य मंदिर देवी को समर्पित है, किन्तु अन्य मंदिरों में शिव, विष्णु, राम, हनुमान और जगन्नाथ की मूर्तियाँ भी हैं।
- वास्तुकला में विविधता – अधिकांश मंदिर नागर शैली में बने हैं और वर्गाकार योजना पर आधारित हैं। कुछ मंदिर ओडिया और द्रविड़ शैली में भी निर्मित हैं, जिससे स्थापत्य में विविधता दिखाई देती है।
- प्रवेश द्वार की मूर्तिकला – मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर पौराणिक पात्रों की भित्ति-चित्र सजाए गए हैं, जो दर्शन से पहले ही भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
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मंदिर के अंतर्गत देवी-देवता (Deities inside the temple)
मुख्य रूप से यह मंदिर माँ जतमई (दुर्गा माता) को समर्पित है। इसके अलावा परिसर में अन्य देवताओं की भी पूजा होती है, जैसे —
- भगवान शिव
- भगवान विष्णु
- भगवान राम
- भगवान हनुमान
- भगवान जगन्नाथ
इस प्रकार यह मंदिर हिंदू धर्म की समृद्ध देवमंडली का प्रतीक है।
मंदिर में आरती, भजन एवं पूजा (Aarti, Bhajan and Puja in the temple)
मंदिर में दैनिक पूजा और आरती होती है, जो वातावरण को भक्ति से भर देती है —
- सुबह की आरती – प्रातः 5:30 बजे
- शाम की आरती – संध्या 6:30 बजे
- विशेष पूजा – सुबह 5:00 बजे, दोपहर 12:00 बजे और शाम 7:00 बजे
- नवरात्रि के दौरान विशेष भजन, कीर्तन और देवी स्तुति का आयोजन किया जाता है। भक्त अपने मनोकामना के अनुसार अर्चना और द्वारपूजा भी कराते हैं।
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त्योहार एवं कार्यक्रम (Festivals and events)
मंदिर में वर्ष भर धार्मिक आयोजन होते रहते हैं, लेकिन कुछ प्रमुख अवसर इस प्रकार हैं —
- चैत्र और शारदीय नवरात्रि – इन दिनों मंदिर में विशेष सजावट, श्रृंगार, भजन-कीर्तन और मेला आयोजित होता है।
- दशहरा और दुर्गा पूजा – विशेष पूजा और हवन का आयोजन होता है।
- जलग्रहण स्नान – वर्षा ऋतु में झरने के जल में स्नान कर देवी का आशीर्वाद लिया जाता है।
इन अवसरों पर मंदिर का वातावरण अत्यंत भव्य और दिव्य हो जाता है।
मंदिर खुलने और बंद होने का समय (Temple opening and closing times)
- खुलने का समय: सुबह 5:00 बजे
- बंद होने का समय: शाम 7:00 बजे
- आरती समय: 5:30 AM और 6:30 PM
त्योहारों और विशेष अवसरों पर यह समय बदल भी सकता है।
मंदिर के आस-पास देखने योग्य स्थल (Places to see near the temple)
- घटरानी मंदिर और झरना – यह जतमई मंदिर से लगभग 25 किमी दूर है। यहाँ भी सुंदर जलप्रपात और मंदिर हैं।
- भूतेश्वरनाथ मंदिर – यहाँ विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग है।
- सीतानदी वन्यजीव अभयारण्य – प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान।
- स्थानीय गाँव – यहाँ की संस्कृति, लोकगीत और हस्तशिल्प देखने लायक हैं।
मंदिर तक कैसे जाएँ (How to reach the temple)
- हवाई मार्ग: रायपुर का स्वामी विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा सबसे नज़दीक है (लगभग 76 किमी)।
- रेल मार्ग: रायपुर जंक्शन (लगभग 85 किमी)।
- सड़क मार्ग: रायपुर से बस या टैक्सी के माध्यम से गरियाबंद या सीधे मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
रायपुर से मंदिर तक का रास्ता हरियाली और प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर है।
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यात्रा का श्रेष्ठ समय (Best time to visit)
- मानसून (जुलाई से सितंबर) – झरने अपने पूर्ण प्रवाह में होते हैं।
- नवरात्रि (अक्टूबर और मार्च) – धार्मिक उत्सव का सर्वोत्तम समय।
- वसंत ऋतु (फरवरी से मार्च) – मौसम सुहावना और शांत।
मानसून और नवरात्रि का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है।
मंदिर का पता (Temple Address)
जतमई माता मंदिर, गरियाबंद जिला, छत्तीसगढ़, भारत
रायपुर से दूरी — लगभग 80 से 85 किमी।
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जतमाई माता मंदिर, गरियाबंद की तस्वीरें (Images of Jatmai Mata Temple, Gariaband)
निष्कर्ष (Conclusion)
धार्मिक अनुभव, प्राकृतिक सौंदर्य और स्थापत्य कला — इन तीनों का अद्भुत संगम है जतमई माता मंदिर। यहाँ आना न केवल भक्ति का अनुभव देता है बल्कि आत्मा को भी शांति और आनंद से भर देता है। यदि आप छत्तीसगढ़ की यात्रा कर रहे हैं, तो इस मंदिर को अवश्य देखें — यह स्थान प्रकृति और आस्था का अनुपम संगम है।