
मध्य प्रदेश के रतलाम शहर में स्थित माँ लक्ष्मी को समर्पित यह मंदिर भक्ति, विश्वास, समृद्धि और रहस्य से जुड़ा हुआ है। यह मंदिर अपने भव्य रूप, विशेष परंपराओं और दिवाली के दौरान सोने-चांदी और नोटों की सजावट के लिए प्रसिद्ध है।
रतलाम शहर के व्यस्त बाज़ार क्षेत्र में स्थित यह मंदिर माँ लक्ष्मी की पूजा-आराधना का प्रमुख केंद्र है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ माँ लक्ष्मी भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी करती हैं। विशेषकर दिवाली और धनतेरस पर मंदिर को करोड़ों रुपये के नोटों, सोने और चांदी के आभूषणों से सजाया जाता है। इस दिन मंदिर का दृश्य अत्यंत भव्य और आकर्षक होता है, और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ यहाँ उमड़ती है।
केदारेश्वर महादेव मंदिर, सैलाना ,रतलाम
इतिहास (History)
महालक्ष्मी मंदिर रतलाम का इतिहास अत्यंत प्राचीन माना जाता है। यह मंदिर रतलाम के प्रमुख स्थल “मनक चौक” के पास स्थित है। कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण व्यापारियों ने माँ लक्ष्मी की कृपा से अपने व्यापार की उन्नति के उद्देश्य से करवाया था। धीरे-धीरे यह मंदिर रतलाम शहर का धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र बन गया।
दिवाली के समय मंदिर में करोड़ों रुपये की नकदी और आभूषणों से सजावट की जाती है। इस परंपरा को वर्षों से स्थानीय व्यापारिक समुदाय निभाता आ रहा है। यह माना जाता है कि इस अनोखी परंपरा से माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और रतलाम की समृद्धि निरंतर बढ़ती है।
कलिका माता मंदिर, रतलाम – माँ शक्ति की आराधना का प्राचीन धाम
वास्तुकला (Architecture)
महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण पारंपरिक हिंदू शैली में हुआ है। मंदिर में ऊँचे शिखर, सुंदर तोरणद्वार और नक्काशीदार स्तंभ देखने को मिलते हैं। गर्भगृह में माँ लक्ष्मी की मनमोहक प्रतिमा विराजमान है, जिनके चारों ओर सोने-चांदी की सजावट की जाती है। मंदिर का आंतरिक भाग विशेष अवसरों पर दीपों और फूलों से जगमगाया जाता है।
दिवाली के दौरान मंदिर के हर कोने में दीपों की पंक्तियाँ जलती हैं और दीवारें नोटों व आभूषणों से सजी होती हैं, जो इसे एक अनूठा स्वरूप देती हैं।
विशेषताएँ (Features)
- मंदिर में हर साल दिवाली पर करोड़ों रुपये और आभूषणों से सजावट की जाती है।
- भक्त अपनी भेंट के रूप में धन, सोना या चांदी चढ़ाते हैं, जिसे बाद में वापस प्राप्त किया जा सकता है।
- मंदिर रतलाम के मुख्य बाजार क्षेत्र में स्थित है, जिससे दर्शन के साथ स्थानीय संस्कृति और परंपरा का अनुभव भी होता है।
- यह मंदिर रतलाम की समृद्ध व्यापारिक परंपरा का प्रतीक माना जाता है।
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मंदिर के अंदर देवी-देवता (Deities inside the temple)

यह मंदिर मुख्य रूप से माँ लक्ष्मी को समर्पित है। गर्भगृह में उनकी प्रतिमा कमलासन पर विराजमान है। माना जाता है कि यहाँ माँ लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की ऊर्जा भी विद्यमान रहती है। मंदिर परिसर में गणेश जी, हनुमान जी और शिव जी की छोटी मूर्तियाँ भी स्थापित हैं, जिनकी भक्तजन पूजा करते हैं।
मंदिर में होने वाली आरतियाँ और भजन (Aartis and Bhajans performed in the temple)
मंदिर में रोज़ाना दो मुख्य आरतियाँ होती हैं —
- सुबह की आरती: सुबह 7:00 बजे
- शाम की आरती: शाम 7:00 बजे
इसके अतिरिक्त, विशेष पर्वों पर भजन-कीर्तन और भक्तिमय कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। दीपावली पर पूरी रात भजन संध्या का आयोजन किया जाता है, जिसमें स्थानीय कलाकार और भक्त शामिल होते हैं।
सिद्धेश्वर मंदिर, नेमावर (Siddheshwar Temple, Nemawar)
मंदिर में होने वाले कार्यक्रम और उत्सव (Events and festivals held at the temple)
महालक्ष्मी मंदिर में प्रमुख रूप से दिवाली और धनतेरस के अवसर पर भव्य आयोजन होते हैं। इन दिनों मंदिर को पूरी तरह रोशनी और नोटों से सजाया जाता है। इसके अलावा नवरात्रि, अक्षय तृतीया और शरद पूर्णिमा के अवसर पर भी विशेष पूजा-अनुष्ठान किए जाते हैं।
इन अवसरों पर मंदिर में हजारों श्रद्धालु एकत्रित होकर माँ लक्ष्मी की आराधना करते हैं।
मंदिर की समय-सूची (Temple Timings)
- मंदिर खुलने का समय: सुबह 6:00 बजे
- मंदिर बंद होने का समय: रात 11:30 बजे
- सुबह की आरती: 7:00 बजे
- शाम की आरती: 7:00 बजे
(त्योहारों पर समय में परिवर्तन हो सकता है)
ख्योनी वन्यजीव अभयारण्य, देवास
मंदिर के आसपास देखने योग्य स्थान (Places to see around the temple)
- मनक चौक बाजार: मंदिर के आसपास रतलाम का मुख्य बाजार है, जहाँ आपको पारंपरिक वस्तुएँ और प्रसिद्ध रतलामी सेव मिलती है।
- कालिका माता मंदिर: रतलाम का एक और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल, जो देवी शक्ति को समर्पित है।
- सैलाना पैलेस और वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी: रतलाम से थोड़ी दूरी पर स्थित एक ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थल।
मंदिर तक कैसे पहुँचें (How to reach the temple)
रेलमार्ग द्वारा:
रतलाम जंक्शन रेलवे स्टेशन इस मंदिर के सबसे नज़दीक है। स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 2-3 किलोमीटर है। आप ऑटो या टैक्सी से आसानी से पहुँच सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा:
रतलाम शहर सड़क मार्ग से मध्य प्रदेश और गुजरात के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। बसें और टैक्सियाँ आसानी से उपलब्ध हैं।
वायु मार्ग द्वारा:
सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा इंदौर में स्थित देवी अहिल्याबाई होलकर एयरपोर्ट है, जो लगभग 140 किमी दूर है। वहाँ से टैक्सी या बस द्वारा रतलाम पहुँचा जा सकता है।
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मंदिर जाने का सही समय (Best time to visit the temple)
- मंदिर दर्शन के लिए सबसे अच्छा समय सुबह 6 से 9 बजे तक है।
- यदि आप दिवाली के समय जाना चाहते हैं तो शाम को आरती के दौरान मंदिर का अद्भुत रूप देखने लायक होता है।
- त्योहारों के दौरान भारी भीड़ रहती है, इसलिए समय से पहले पहुँचना बेहतर है।
ध्यान रखने योग्य बातें (things to keep in mind)
- मंदिर में जाते समय पारंपरिक और सादे वस्त्र पहनें।
- भीड़ के समय अपने सामान की सुरक्षा का ध्यान रखें।
- मंदिर के अंदर फोटोग्राफी कुछ अवसरों पर वर्जित होती है।
- दिवाली के समय भीड़ और ट्रैफिक से बचने के लिए पहले से योजना बनाएं।
मंदिर का पूरा पता (Full address of the temple)
श्री महालक्ष्मी मंदिर
मनक चौक, लक्ष्मण पुरा, रतलाम,
मध्य प्रदेश 457001, भारत
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