
मध्यप्रदेश के अगर मालवा जिले में स्थित माँ वाराही माता मंदिर आस्था और रहस्य का अद्भुत संगम है। यह मंदिर इंदौर–कोटा राष्ट्रीय राजमार्ग से लगभग 6 किलोमीटर अंदर, गाँव बराई में स्थित है और कालीसिंध नदी के तट पर बसा हुआ है। इस मंदिर को स्थानीय लोग माँ वाराही धाम के नाम से भी जानते हैं। यहाँ का प्राकृतिक वातावरण, नदी की शांति और माता की दिव्य शक्ति मिलकर एक ऐसा अनुभव कराते हैं जिसे भक्त जीवनभर नहीं भूलते।
पंचदेहरिया महादेव मंदिर, आगर मालवा
इतिहास (History)

माँ वाराही शक्ति की दशमहाविद्याओं में से एक मानी जाती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वराह अवतार से उत्पन्न यह शक्ति संकट निवारण और रक्षा का प्रतीक हैं। स्थानीय जनश्रुति के अनुसार, यह मंदिर प्राचीन समय से ही श्रद्धा का केंद्र रहा है। आसपास के गाँवों और कस्बों के लोग कठिन परिस्थितियों में माता की शरण में आते थे और अपनी मनोकामनाएँ पूरी होने पर यहाँ विशेष पूजा-अर्चना करते थे।
चौसठ योगिनी माता मंदिर — आगर की रहस्यमयी देवी
वास्तुकला (Architecture)
मंदिर की वास्तुकला साधारण परंतु दिव्यता से भरपूर है। मंदिर का गर्भगृह छोटा लेकिन शक्ति से परिपूर्ण है। प्रवेश द्वार पर बने तोरण और नक्काशी ग्रामीण शिल्पकला को दर्शाते हैं। मंदिर नदी के तट पर स्थित होने से प्राकृतिक दृश्य इसके वातावरण को और रहस्यमय बनाते हैं।
माँ तुलजा भवानी मंदिर, आगर-मालवा (Maa Tulja Bhavani Mandir, Agar-Malwa)
विशेषताएँ (Features)

कालीसिंध नदी का तट मंदिर के पास बहती नदी इसे और भी पवित्र बनाती है। मान्यता है कि माता भक्तों के संकट हर लेती हैं और सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं। माँ वाराही को तांत्रिक दृष्टि से भी अत्यंत शक्तिशाली देवी माना जाता है। जंगल, पहाड़ और नदी का संगम इस स्थान को ध्यान और साधना के लिए आदर्श बनाता है।
मंदिर के अंदर देवी-देवता (Deities inside the temple)
मुख्य देवी: माँ वाराही माता। सहायक देवता: मंदिर प्रांगण में हनुमान जी, भैरव बाबा और अन्य ग्राम देवताओं की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। कई भक्त यहाँ नागदेव और पीपल-वट वृक्ष की पूजा भी करते हैं।
मंशापूर्ण गणपति छिपिया गोशारी (आगर)
आरती, भजन और पूजा (Aarti, Bhajan and Puja)
सुबह और शाम की आरती प्रतिदिन होती है। भक्त माता के जयकारे और भजन गाते हुए मंदिर परिसर को भक्तिमय बना देते हैं। विशेष अवसरों पर जागरन और भजन संध्या का आयोजन होता है। माता को नारियल, चुनरी, हलवा-पूरी और लाल फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
मंदिर में होने वाले उत्सव और कार्यक्रम (Festivals and events held at the temple)
नवरात्रि में यहाँ भव्य मेले का आयोजन होता है। दूर-दराज़ से भक्त आकर माता के दर्शन करते हैं। चैत्र और आश्विन मास की अष्टमी और नवमी पर विशेष पूजन होता है। गाँव और आस-पास के लोग यहाँ भजन संध्या, अखंड ज्योति और हवन का आयोजन करते हैं।
सोमेश्वर महादेव मंदिर, आगर मालवा – पांडवकालीन आस्था, रहस्य और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम
मंदिर खुलने और बंद होने का समय (Temple opening and closing times)
सुबह: 5:00 बजे से 12:00 बजे तक
शाम: 4:00 बजे से 9:00 बजे तक
त्योहारों और विशेष अवसरों पर मंदिर देर रात तक खुला रहता है।
आसपास घूमने योग्य स्थान (Places to visit nearby)
बड़ी माता पचेटी मंदिर (लगभग 20–25 किमी दूरी), बैजनाथ महादेव मंदिर (अगर जिले का प्रसिद्ध शिवधाम) और कालीसिंध नदी का प्राकृतिक तट, जहाँ लोग पिकनिक और स्नान के लिए आते हैं।
मोती सागर तालाब : आगर मालवा की शान और रहस्यमयी सुंदरता
मंदिर तक कैसे पहुँचे? (How to reach the temple?)
सड़क मार्ग: इंदौर–कोटा हाईवे पर चलते हुए बराई गाँव की ओर मोड़ लें। यहाँ से मंदिर तक लगभग 6 किलोमीटर अंदर जाना पड़ता है। रेलवे: निकटतम रेलवे स्टेशन शुजालपुर या उज्जैन हो सकते हैं, जहाँ से सड़क मार्ग द्वारा पहुँचा जा सकता है। बस/टैक्सी: अगर मालवा, शुजालपुर और आसपास से बसें और टैक्सी उपलब्ध हैं।
मंदिर जाने का सर्वोत्तम समय (Best time to visit the temple)
सितंबर से मार्च के बीच यहाँ का मौसम सुहावना रहता है। नवरात्रि में आकर आप मंदिर की भव्यता और मेले का आनंद ले सकते हैं। गर्मियों की दोपहर से बचकर सुबह या शाम को दर्शन करना उचित है।
मंदिर का पूरा पता (Full address of the temple)
माँ वाराही माता मंदिर (वाराही धाम)
गाँव: बराई
स्थान: इंदौर–कोटा हाईवे से 6 किमी अंदर,
कालीसिंध नदी तट,
जिला: अगर मालवा, मध्य प्रदेश – 465449
बाबा बैजनाथ महादेव मंदिर, आगर मालवा (Baba Baijnath Mahadev Temple, Agar Malwa)