“श्री वेंकटेश्वर वज्र कवच स्तोत्र” एक दिव्य स्तोत्र है जो भगवान वेंकटेश्वर (तिरुपति बालाजी) की महिमा का बखान करते हुए उनके संरक्षण और कृपा की याचना करता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से मार्कण्डेय ऋषि द्वारा रचित माना जाता है, जिन्होंने स्वयं अनुभव किया कि भगवान वेंकटेश्वर का स्मरण और यह वज्र कवच, सभी प्रकार के भयों, बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है।
“वज्र कवच” का अर्थ होता है – वज्र के समान अटूट और अजेय सुरक्षा कवच। यह स्तोत्र भगवान विष्णु के वेंकटेश्वर स्वरूप का आह्वान करके शरीर, मन, प्राण और आत्मा की पूर्ण रक्षा करता है। श्लोकों के माध्यम से साधक यह प्रार्थना करता है कि भगवान उसका सिर, प्राण, आत्मा और समस्त अंगों की रक्षा करें, और जीवन के प्रत्येक क्षण में अपने दिव्य आशीर्वाद से सुरक्षित रखें।
यह स्तोत्र न केवल सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि मन को भी शुद्ध, शांत और ईश्वरमय बना देता है।
जो श्रद्धालु इस स्तोत्र का प्रतिदिन जाप करते हैं, उनके जीवन से भय, रोग, अकाल मृत्यु, कष्ट और शत्रुओं का नाश होता है तथा उन्हें श्री वेंकटेश्वर भगवान की कृपा से जीवन में सफलता, सुख, शांति और मोक्ष प्राप्त होता है।
श्री वेंकटेश्वर वज्र कवच स्तोत्र
श्री वेंकतेस्वारा वज्र कवचा स्तोत्रं (Sri Venkateswara Vajra-Kavacha Stotram)
।। मार्कण्डेय उवाच ।।
नारायणं परब्रह्म सर्वकारणकारणम् ।
प्रपद्ये वेङ्कटेशाख्यं तदेव कवचं मम ॥ 1 ॥
सहस्रशीर्षा पुरुषो वेङ्कटेशश्शिरोऽवतु ।
प्राणेशः प्राणनिलयः प्राणान् रक्षतु मे हरिः ॥ 2 ॥
आकाशराट्सुतानाथ आत्मानं मे सदावतु ।
देवदेवोत्तमो पायाद्देहं मे वेङ्कटेश्वरः ॥ 3 ॥
सर्वत्र सर्वकालेषु मङ्गाम्बाजानिरीश्वरः ।
पालयेन्मां सदा कर्मसाफल्यं नः प्रयच्छतु ॥ 4 ॥
य एतद्वज्रकवचमभेद्यं वेङ्कटेशितुः ।
सायं प्रातः पठेन्नित्यं मृत्युं तरति निर्भयः ॥ 5 ॥
।। इति श्रीवेंकटेश्वर वज्र कवच स्तोत्र संपूर्णम् ।।
श्री वेंकटेश्वर वज्र कवच स्तोत्र” का हिंदी अनुवाद (Hindi translation of “Sri Venkateswara Vajra Kavacha Stotra”)
1.
मार्कण्डेय ऋषि बोले:
मैं परमब्रह्म नारायण का, जो समस्त कारणों के भी कारण हैं, शरणागत होता हूँ। वे ही वेंकटेश्वर हैं – वही मेरा रक्षा कवच बनें।
2.
वेंकटेश्वर जो सहस्त्र सिरों वाले पुरुष हैं, वे मेरे मस्तक की रक्षा करें।
जो प्राणों के स्वामी हैं और जिनमें प्राणों का वास है, वे भगवान हरि मेरे प्राणों की रक्षा करें।
3.
आकाश के अधिपति और सुतानाथ, मेरा आत्मा सदा सुरक्षित रखें।
देवताओं में श्रेष्ठ वेंकटेश्वर मेरे शरीर की रक्षा करें।
4.
जो सर्वत्र और सर्वकाल में विद्यमान हैं, मंगाम्बा (लक्ष्मी जी) के स्वामी,
वे सदा मेरी रक्षा करें और मेरे समस्त कर्मों को सफल करें।
5.
जो कोई इस वेंकटेश्वर के अभेद्य वज्र कवच का पाठ प्रतिदिन प्रातः और संध्या करता है,
वह मृत्यु के भय को पार कर जाता है और निर्भय हो जाता है।
॥ इस प्रकार श्री वेंकटेश्वर वज्र कवच स्तोत्र सम्पूर्ण हुआ ॥
श्री वेंकटेश्वर वज्र कवच स्तोत्र के लाभ (Benefits):
- अदृश्य सुरक्षा कवच:
यह स्तोत्र साधक के चारों ओर वज्र समान रक्षा कवच तैयार करता है जो बुरी नजर, तंत्र-मंत्र, भय और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करता है। - शत्रु बाधा से मुक्ति:
यह स्तोत्र शत्रुओं, प्रतिस्पर्धियों और छिपे हुए विरोधियों से रक्षा करता है तथा न्यायिक मामलों में विजय दिलाता है। - मानसिक और आत्मिक शांति:
इसका पाठ मन को शांत करता है, भय, चिंता और अवसाद को दूर करता है तथा साधक को ईश्वर की कृपा का अनुभव कराता है। - स्वास्थ्य और दीर्घायु:
रोग-प्रतिकारक शक्ति में वृद्धि करता है, अकाल मृत्यु से रक्षा करता है और लंबा, सुखद जीवन प्रदान करता है। - संपत्ति, सफलता और मोक्ष:
यह स्तोत्र न केवल सांसारिक सुखों को प्रदान करता है, बल्कि भक्त को मोक्ष की ओर भी अग्रसर करता है।
जप विधि (Puja / Path Vidhi):
- स्थान:
साफ और शांत स्थान पर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठें। - स्नान और शुद्धता:
स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। - दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
तांबे या पीतल के दीपक में गाय के घी का दीपक जलाएं, और तुलसी पत्र से भगवान विष्णु या वेंकटेश्वर का पूजन करें। - भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति/चित्र के सामने बैठकर शांति से इस स्तोत्र का पाठ करें।
- आसन का प्रयोग करें:
कुस या ऊन के आसन का उपयोग करने से स्थिरता और ऊर्जा बनी रहती है। - संख्या:
एक बार या 3, 5 या 11 बार पाठ करें, विशेषकर मंगलवार, शनिवार या पूर्णिमा को। - श्रद्धा और भक्ति:
पाठ करते समय पूर्ण विश्वास और समर्पण होना आवश्यक है।
जप/पाठ का उत्तम समय (Best Time for Recitation):
समय | विशेषता |
---|---|
प्रातः काल (4:00 से 6:00 बजे) | ब्रह्ममुहूर्त में जप करने से अत्यंत प्रभावशाली फल मिलता है। |
संध्या काल (6:00 से 8:00 बजे) | मानसिक शांति और दिनभर की नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति के लिए लाभकारी। |
विशेष दिन: | शनिवार, गुरुवार, पूर्णिमा, एकादशी, और वेंकटेश चतुर्थी पर पाठ करना विशेष रूप से फलदायी है। |