“श्रीवेंकटेश द्वादश नाम स्तोत्रम्” भगवान वेंकटेश्वर (तिरुपति बालाजी) के बारह पवित्र नामों का स्तवन है। यह स्तोत्र अत्यंत संक्षिप्त, सरल, और फलदायक माना गया है। इसमें भगवान के बारह दिव्य नामों का वर्णन किया गया है, जो उनके स्वरूप, शक्तियों और महिमा का प्रतिनिधित्व करते हैं।
“द्वादश नाम” का अर्थ है “बारह नाम”, और इन बारह नामों का स्मरण त्रिसंध्या (प्रातः, मध्यान्ह, संध्या) में करने से भक्त को पापों से मुक्ति और विष्णु के सायुज्य (ईश्वर में एकत्व) की प्राप्ति होती है।
इस स्तोत्र में भगवान वेंकटेश को वासुदेव, विश्वात्मा, गरुड़ पर आरूढ़, पीतांबरधारी, शंख-चक्र-गदाधारी और विश्व के अधिपति रूप में स्तुत किया गया है।
श्रीवेंकटेश द्वादश नाम स्तोत्रम्
Srivenkatesa Dwadasa Nama Stotram
वेङ्कटेशो वासुदेवः वारिजासनवन्दितः,
स्वामिपुष्करणीवासः शङ्खचक्रगदाधरः ॥ १ ॥
पीतांबरधरो देवः गरुडारूढशोभितः,
विश्वात्मा विश्वलोकेशः विजयो वेङ्कटेश्वरः ॥ २ ॥
एतत् द्वादश नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः,
सर्वपापविनिर्मुक्तो विष्णोस्सायुज्यमाप्नुयात् ॥ ३ ॥
॥ इति श्रीवेंकटेश द्वादश नाम स्तोत्रम् संपूर्णम् ॥
श्रीवेंकटेश द्वादश नाम स्तोत्रम् का हिंदी अनुवाद (Hindi translation of Sri Venkatesh Dwadash Naam Stotram)
वेंकटेश, वासुदेव,
कमलासन ब्रह्मा द्वारा पूजित,
स्वामि पुष्करिणी में निवास करने वाले,
शंख, चक्र और गदा धारण करने वाले भगवान हैं॥1॥
पीतांबर पहनने वाले देवता,
गरुड़ पर आरूढ़ होकर शोभायमान,
संपूर्ण ब्रह्मांड के आत्मा,
सभी लोकों के स्वामी,
विजयी और वेंकटेश्वर हैं॥2॥
जो मनुष्य इन बारह नामों का
प्रातः, मध्यान्ह और संध्या—तीनों संध्याओं में पाठ करता है,
वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है
और भगवान विष्णु के सायुज्य (एकत्व) को प्राप्त करता है॥3॥
लाभ (Benefits):
1. पापों से मुक्ति:
इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से सभी प्रकार के पाप समाप्त होते हैं और चित्त शुद्ध होता है।
2. विष्णु-सायुज्य की प्राप्ति:
शास्त्रों के अनुसार जो भक्त त्रिसंध्या इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसे भगवान विष्णु के सायुज्य (ईश्वर में एकत्व) की प्राप्ति होती है।
3. संकटों का नाश:
यह स्तोत्र विशेष रूप से ग्रहबाधा, मानसिक तनाव, आर्थिक रुकावट आदि से मुक्ति दिलाता है।
4. शांति और समृद्धि:
भगवान वेंकटेश्वर की कृपा से जीवन में सुख, शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
5. तिरुपति बालाजी की विशेष कृपा:
यह स्तोत्र भगवान वेंकटेश के 12 नामों को समर्पित है, इसलिए इसे पढ़ने वाला भक्त तिरुपति बालाजी की विशेष कृपा का पात्र बनता है।
पाठ विधि (Paath Vidhi):
1. स्थान:
शुद्ध व शांत वातावरण में पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। घर के पूजा कक्ष में या भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा/चित्र के समक्ष।
2. सामग्री:
- पीले वस्त्र (वैकल्पिक)
- दीपक, अगरबत्ती, फूल, तुलसी पत्र
- भगवान विष्णु या वेंकटेश्वर का चित्र या मूर्ति
3. विधि:
- भगवान का ध्यान करें और श्रीगणेश का संक्षिप्त पूजन करें
- भगवान वेंकटेश का आवाहन करें
- श्रद्धा से श्रीवेंकटेश द्वादश नाम स्तोत्र का पाठ करें
- अंत में प्रार्थना करें:
“हे वेंकटेश्वर! मेरे समस्त पापों का नाश कर मुझे अपने चरणों में स्थान दें।”
4. संकल्प:
आप चाहें तो किसी मनोकामना के लिए 11, 21 या 41 दिन तक इस स्तोत्र का पाठ नियमपूर्वक कर सकते हैं।
जप का उपयुक्त समय (Best Time to Chant):
समय | लाभ |
---|---|
प्रातःकाल (6–8 बजे) | मानसिक शांति, दिनभर ऊर्जा व शुभ फल |
मध्यान्ह (12–1 बजे) | बाधा निवारण व संकल्प सिद्धि |
सायंकाल (5–7 बजे) | पारिवारिक सुख व देवी-देवताओं की विशेष कृपा |
त्रिसंध्या (तीनों समय) | सर्वश्रेष्ठ फल व विष्णुलोक की प्राप्ति |