श्री परशुराम स्तोत्र एक शक्तिशाली स्तुति है जो भगवान परशुराम की महिमा का गान करती है। भगवान परशुराम विष्णु के छठे अवतार हैं, जिन्हें क्रोध, न्याय, धर्म और ब्राह्मण तेज का प्रतीक माना जाता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उनकी पराक्रम, तपस्या, ज्ञान, और धर्म की रक्षा के लिए किए गए कार्यों का वर्णन करता है।
इस स्तोत्र के प्रत्येक श्लोक में उनके जीवन की विशेष घटनाओं, जैसे कि क्षत्रियों का विनाश, कार्तवीर्य अर्जुन का संहार, और शिव जी को प्रसन्न करना आदि का उल्लेख किया गया है। परशुराम जी का परशु (कुल्हाड़ी) और धनुष उनके बल और आक्रोश के प्रतीक हैं, जो अधर्म के विरुद्ध उनके संकल्प को दर्शाते हैं।
इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों में साहस, आत्मबल, अनुशासन, और न्याय की भावना उत्पन्न होती है। यह स्तोत्र उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो कठिन परिस्थितियों से जूझ रहे हैं, अन्याय का सामना कर रहे हैं या आत्मबल में वृद्धि करना चाहते हैं।
यह स्तोत्र न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक प्रेरणास्त्रोत भी है जो परशुराम जी के जीवन से जुड़ी प्रेरणाओं को हमारे जीवन में उतारने का मार्ग दिखाता है।
श्री परशुराम स्तोत्र
श्री परशुराम स्तोत्र (Shri Parshuram Stotram)
कराभ्यां परशुं चापं दधानं रेणुकात्मजं।
जामदग्न्यं भजे रामं भार्गवं क्षत्रियान्तकं॥ 1॥
नमामि भार्गवं रामं रेणुका चित्तनन्दनं।
मोचितंबार्तिमुत्पातनाशनं क्षत्रनाशनम्॥ 2॥
भयार्तस्वजनत्राणतत्परं धर्मतत्परम्।
गतगर्वप्रियं शूरं जमदग्निसुतं मतम्॥ 3॥
वशीकृतमहादेवं दृप्त भूप कुलान्तकम्।
तेजस्विनं कार्तवीर्यनाशनं भवनाशनम्॥ 4॥
परशुं दक्षिणे हस्ते वामे च दधतं धनुः।
रम्यं भृगुकुलोत्तंसं घनश्यामं मनोहरम्॥ 5॥
शुद्धं बुद्धं महाप्रज्ञापण्डितं रणपण्डितं।
रामं श्रीदत्तकरुणाभाजनं विप्ररंजनम्॥ 6॥
मार्गणाशोषिताभ्ध्यंशं पावनं चिरजीवनम्।
य एतानि जपेन्द्रामनामानि स कृति भवेत्॥ 7॥
॥ इति श्री परशुराम स्तोत्र संपूर्णम् ॥
श्री परशुराम स्तोत्र (हिंदी अनुवाद)
अपने हाथों में परशु और धनुष धारण करने वाले,
रेणुका के पुत्र, जमदग्नि के राम, क्षत्रियों का संहार करने वाले भगवान को मैं नमन करता हूँ।॥ 1 ॥
मैं उस भार्गव राम को प्रणाम करता हूँ, जो रेणुका माता के हृदय के आनंद हैं,
जो संकट से मुक्त करते हैं, उपद्रवों का नाश करते हैं और क्षत्रियों का संहार करते हैं।॥ 2 ॥
जो भयभीत जनों की रक्षा में तत्पर रहते हैं, धर्म में रत रहते हैं,
अहंकारहीन वीर हैं, और जमदग्नि ऋषि के सुपुत्र हैं — ऐसे प्रभु को मैं मानता हूँ।॥ 3 ॥
जिन्होंने स्वयं भगवान महादेव को प्रसन्न किया,
जो अहंकारी राजाओं के वंश का अंत करने वाले हैं, तेजस्वी हैं,
कार्तवीर्य अर्जुन का नाश करने वाले हैं और सांसारिक दुखों का नाश करने वाले हैं।॥ 4 ॥
जिनके दाएँ हाथ में परशु और बाएँ हाथ में धनुष है,
जो भृगु वंश के आभूषण हैं, घनश्याम वर्ण के और अत्यंत मनोहर स्वरूप हैं।॥ 5 ॥
जो शुद्ध बुद्धि वाले, महान प्रज्ञावान, ज्ञान और युद्ध में पारंगत हैं,
दत्तात्रेय की करुणा के पात्र हैं और ब्राह्मणों को प्रसन्न करने वाले हैं।॥ 6 ॥
जिन्होंने अपने तीरों से समुद्र को सुखा दिया, जो पवित्र करने वाले हैं और अमरता प्रदान करने वाले हैं,
जो भी इन श्रीराम के नामों का जप करता है, वह निश्चित रूप से पुण्यशाली बनता है।॥ 7 ॥
॥ इति श्री परशुराम स्तोत्र संपूर्णम् ॥
लाभ (Benefits):
- आत्मबल और साहस की वृद्धि:
यह स्तोत्र भगवान परशुराम की शक्ति, पराक्रम और आत्मसंयम का स्मरण कराते हुए साधक को आत्मबल, निर्भयता और मानसिक शक्ति प्रदान करता है। - अन्याय और शत्रु बाधा से रक्षा:
परशुराम जी ने अधर्म और अत्याचार के विरुद्ध युद्ध किया था। इस स्तोत्र का पाठ करने से शत्रु बाधा, कोर्ट केस, अन्याय और दुर्भावना से मुक्ति मिलती है। - क्रोध पर नियंत्रण:
परशुराम जी यद्यपि क्रोध के प्रतीक थे, परंतु उनका क्रोध धर्म और न्याय के लिए था। इस स्तोत्र के पाठ से साधक अपने अनुचित क्रोध पर नियंत्रण सीखता है। - धर्म और नीति की स्थापना:
यह स्तोत्र धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है और जीवन में नैतिकता, तप और सत्य की भावना को सुदृढ़ करता है। - गुरु कृपा की प्राप्ति:
भगवान परशुराम को महान गुरु माना गया है। इस स्तोत्र का पाठ साधक को योग्य गुरु की कृपा और मार्गदर्शन प्राप्त करने में सहायक होता है।
विधि (Vidhi – How to Chant):
- प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके शांत स्थान पर बैठें।
- भगवान परशुराम का चित्र या मूर्ति सामने रखें।
- दीपक जलाएं, चंदन, पुष्प और अक्षत अर्पित करें।
- 108 बार “ॐ जमदग्न्याय नमः” या “ॐ परशुरामाय नमः” मंत्र जप कर श्री परशुराम स्तोत्र का पाठ करें।
- पाठ के बाद परशुराम जी से अपने मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु प्रार्थना करें।
जाप का उचित समय (Best Time to Chant):
- सर्वोत्तम समय: ब्रह्ममुहूर्त (प्रातः 4:00 – 6:00 बजे के बीच)
- वैकल्पिक समय: सूर्योदय से पूर्व या संध्या समय।
- विशेष दिन: गुरुवार, अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती, या जब जीवन में संघर्ष चल रहा हो।