“श्रीगणेश द्वादश नाम स्तोत्रम्” एक अत्यंत पावन और प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसमें भगवान गणेश के बारह दिव्य नामों का उल्लेख किया गया है। इस स्तोत्र का पाठ करने से साधक को श्रीगणेश जी की कृपा प्राप्त होती है और उसके जीवन के समस्त विघ्न-बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं।
यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है जो शिक्षा, धन, सुख-शांति, विवाह, करियर, और जीवन के अन्य क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं। इसमें वर्णित गणेश जी के बारह नाम — जैसे सुमुख, एकदंत, लम्बोदर, विघ्ननाशक आदि — न केवल उनकी विविध लीलाओं का परिचय कराते हैं, बल्कि साधक को आत्मविश्वास, शक्ति, और आध्यात्मिक उन्नति भी प्रदान करते हैं।
पुराणों में वर्णित यह स्तोत्र बताता है कि कोई भी शुभ कार्य, जैसे विद्यारंभ, विवाह, गृहप्रवेश, यात्रा या कोई नया प्रयास, यदि इन नामों के स्मरण से आरंभ किया जाए, तो वह कार्य बिना किसी विघ्न के पूर्ण होता है। इसीलिए यह स्तोत्र सभी शुभ आरंभों से पहले पढ़ने की परंपरा में आता है।
संक्षेप में, श्रीगणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् वह आध्यात्मिक कुंजी है, जो न केवल सांसारिक सफलता दिलाती है, बल्कि ईश्वर से जुड़ने का एक सरल, प्रभावी और दिव्य माध्यम भी है।
श्रीगणेश द्वादश नाम स्तोत्रम्
।। श्रीगणेशाय नमः ।।
शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम्।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत्सर्वविघ्नोपशान्तये॥ 1 ॥
अभीप्सितार्थसिद्ध्यर्थं पूजितो यः सुरासुरैः।
सर्वविघ्नहरस्तस्मै गणाधिपतये नमः॥ 2 ॥
गणानामधिपश्चण्डो गजवक्त्रस्त्रिलोचनः।
प्रसन्नो भव मे नित्यं वरदातर्विनायक॥ 3 ॥
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः॥ 4 ॥
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः।
द्वादशैतानि नामानि गणेशस्य तु यः पठेत्॥ 5 ॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी विपुलं धनम्।
इष्टकामं तु कामार्थी धर्मार्थी मोक्षमक्षयम्॥ 6 ॥
विद्यारंभे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।
सङ्ग्रामे सङ्कटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते॥ 7 ॥
॥ इति श्रीगणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥
श्रीगणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् का हिंदी अनुवाद (Hindi translation of Shri Ganesh Dwadash Naam Stotram)
।। श्रीगणेशाय नमः ।।
1. जो श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं, विष्णु के समान हैं, चन्द्रमा के समान गौर वर्ण वाले हैं, चार भुजाओं वाले हैं,
सदैव प्रसन्न मुख वाले गणेश जी का ध्यान करने से सभी विघ्न शांत हो जाते हैं।
2. जिनकी पूजा देवता और असुर भी करते हैं, जो इच्छित फल प्रदान करते हैं,
ऐसे सभी विघ्नों को हरने वाले गणपति को मैं नमस्कार करता हूँ।
3. गणों के स्वामी, उग्र रूप वाले, हाथी के मुख वाले, तीन नेत्रों वाले,
हे वरदाता विनायक! आप सदा मुझ पर प्रसन्न रहें।
4. (गणेश जी के बारह नाम) —
सुमुख, एकदन्त, कपिल, गजकर्णक,
लम्बोदर, विकट, विघ्ननाश, विनायक,
धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र, और गजानन।
5. जो व्यक्ति गणेश जी के ये बारह नाम पढ़ता है,
वह विद्या की प्राप्ति करता है, धन की इच्छा रखने वाला धन प्राप्त करता है।
6. इच्छित कामना की पूर्ति होती है, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है,
जो इन नामों का जप करता है वह सभी प्रकार से लाभ प्राप्त करता है।
7. इन नामों का पाठ यदि विद्यारंभ, विवाह, घर में प्रवेश, यात्रा, युद्ध,
या किसी भी कठिन समय पर किया जाए, तो उस व्यक्ति को कोई विघ्न नहीं होता।
लाभ (Benefits):
- विघ्नों का नाश:
इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन के सभी विघ्न और बाधाएँ दूर होती हैं। श्रीगणेश जी को विघ्नहर्ता कहा गया है, इसलिए यह स्तोत्र अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। - विद्या एवं बुद्धि की प्राप्ति:
विद्यार्थी इस स्तोत्र का नियमित पाठ करें तो उन्हें विद्या, बुद्धि और एकाग्रता में विशेष लाभ होता है। - धन-संपत्ति की वृद्धि:
यह स्तोत्र धन, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति में सहायक होता है। धन की कामना रखने वाले व्यक्ति को यह स्तोत्र अवश्य पढ़ना चाहिए। - विवाह, करियर, नए कार्यों में सफलता:
किसी भी नए कार्य की शुरुआत जैसे विवाह, व्यापार, परीक्षा, नौकरी आदि में यह स्तोत्र पढ़ने से सफलता प्राप्त होती है। - भय और संकटों से रक्षा:
शत्रु भय, रोग, मानसिक अशांति, और दुर्भाग्य से मुक्ति दिलाता है।
पाठ विधि (Vidhi):
- प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएँ।
- उन्हें दूर्वा, लड्डू, मोदक या गुड़ का भोग अर्पित करें।
- शांत मन से आसन पर बैठकर एकाग्र होकर स्तोत्र का पाठ करें।
- पाठ के अंत में श्रीगणेश जी से अपनी मनोकामना निवेदन करें और कृतज्ञता प्रकट करें।
जाप का समय (Best Time):
- सर्वश्रेष्ठ समय: प्रातःकाल सूर्योदय के बाद (5:00 AM – 8:00 AM)
- अन्य शुभ समय:
- बुधवार को विशेष फलदायी होता है।
- चतुर्थी तिथि पर पाठ करना विशेष लाभदायक है।
- किसी शुभ कार्य या यात्रा से पहले पाठ करना श्रेष्ठ होता है।