श्री गणपति स्तव एक अत्यंत प्रभावशाली और पावन स्तोत्र है, जो भगवान गणेश की महिमा, शक्ति और करुणा का सार है। इसमें केवल आठ श्लोक हैं, परंतु इसका प्रभाव अत्यंत गहन है। यह स्तव मुख्यतः बुद्धि, स्मृति, सफलता, संकट नाश और आध्यात्मिक जागृति के लिए पढ़ा जाता है।
विशेषकर 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों को इसे प्रतिवर्ष कम से कम 2100 बार पढ़ने की सलाह दी जाती है, जिससे उनकी एकाग्रता, समझ और बौद्धिक विकास अत्यंत तीव्र होता है।
श्री गणपति स्तवः – हिंदी पाठ (Shri Ganpati Stavah – Hindi text)
अजं निर्विकल्पं निराहरारमेकं निरानन्दमानन्दमद्वैतपूर्णम् ।
परं निर्गुणं निर्विशेषं निरीहं परब्रह्मरूपं गणेशं भजेम ॥ 1 ॥
गुणातीतमानं चिदानन्दरूपं चिदाभासकं सर्वगं ज्ञानगम्यम् ।
मुनिध्येयमाकाशरूपं परेशं परब्रह्मरूपं गणेशं भजेम ॥ 2 ॥
जगत्कारणं कारणज्ञानरूपं सुरादिं सुखादिं गुणेशं भजेम ।
रजोयोगतो ब्रह्मरूपं श्रुतिज्ञं सदा कार्यसक्तं हृदयाऽचिन्त्यरूपम् ॥ 3 ॥
जगत्कारणं सर्वविद्यानिधानं परब्रह्मरूपं गणेशं नतः स्मः ।
सदा सत्ययोग्यं मुदा क्रीडमानं सुरारीन्हरंतं जगत्पालयंतम् ॥ 4 ॥
अनेकावतारं निजज्ञानहारं सदा विश्वरूपं गणेशं नमामः ।
तपोयोगिनं रूद्ररूपं त्रिनेत्रं जगद्धारकं तारकं ज्ञानहेतुम् ॥ 5 ॥
अनेकागमैः स्वं जनं बोधयंतं सदा सर्वरूपं गणेशं नमामः ।
नमः स्तोमहारं जनाज्ञानहारं त्रयीवेदसारं परब्रह्मसारम् ॥ 6 ॥
मुनिज्ञानकारं विदूरे विकारं सदा ब्रह्मरूपं गणेशं नमामः ।
निजैरोषधीस्तर्पयंतं कराद्यैः सुरौघान्कलाभिः सुधास्त्राविणीभिः ॥ 7 ॥
दिनेशांशुसंतापहारं द्विजेश शशांकस्वरूपं गणेशं नमामः ।
प्रकाशस्वरूपं नभोवायुरूपं विकारादिहेतुं कलाधारभूतम् ॥ 8 ॥
अनेकक्रियानेकशक्तिस्वरूपं सदा शक्तिरूपं गणेशं नमामः ।
प्रधानस्वरूपं महत्तत्त्वस्वरूपं धराचारिरूपं दिगीशादिरूपम् ॥ 9 ॥
असत्सत्स्वरूपं जगद्धेतुरूपं सदा विश्वरूपं गणेशं नतः समः ।
त्वदीये मनः स्थापयेदंघ्रियुग्मे स नो विघ्नसंघातपीडां लभेत ॥ 10 ॥
लसत्सूर्यबिम्बे विशाले स्थितोऽयं जनो ध्वांतपीडां कथं वा लभेत ।
वयं भ्रामिताः सर्थथाऽज्ञानयोगादलब्धास्तवांहघ्रिं बहून्वर्षपूगान् ॥ 11 ॥
इदानीमवाप्तास्तवैव प्रसादात्प्रपन्नान्सदा पाहि विश्वम्भराद्य ।
एवं स्तुतो गणेशस्तु सन्तुष्टोऽभून्महामुने ॥ 12 ॥
कृपया परयोपेतोऽभिधातुमुपचक्रमे ॥ 13 ॥
।। इति श्री गणपति स्तवः सम्पूर्णम् ।।
इस स्तव का महत्व (Importance of this stanza)
- यह स्तव नारद पुराण से लिया गया है, जिसमें देवर्षि नारद ने स्वयं गणेश जी की महिमा का वर्णन किया है।
- इसका निरंतर पाठ करने से मूलाधार चक्र जागृत होता है, जिससे व्यक्ति की ऊर्जा, स्थिरता और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- यह भगवान गौरीपुत्र गणपति को प्रसन्न कर जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मकता और समाधान लाता है।
श्री गणपति स्तवः के लाभ (Benefits of Shri Ganpati Stavah)
- ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति – विद्यार्थियों और प्रतियोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी।
- आर्थिक समृद्धि – पाठ करने से धन और व्यवसाय में प्रगति होती है।
- संकट नाश – जीवन के छोटे-बड़े संकट स्वतः समाप्त होते हैं।
- आत्मिक शांति और स्थिरता – मानसिक तनाव और नकारात्मकता का अंत होता है।
- गणेश कृपा का अनुभव – व्यक्ति श्रीगणेश के दर्शन, अनुभव और संरक्षण को प्राप्त करता है।
किसे करना चाहिए यह पाठ? (Who should do this lesson?)
- विद्यार्थी जो पढ़ाई में सफलता चाहते हैं।
- वह व्यक्ति जो आर्थिक संकट, बाधा या मानसिक अशांति से जूझ रहा हो।
- जो कोई भी अपने जीवन में बुद्धि, विवेक, सुख और शांति चाहता है।
- गृहस्थ से लेकर संन्यासी तक, सभी के लिए यह स्तव लाभकारी है।
पाठ की विधि (Vidhi):
- प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- भगवान गणेश की मूर्ति/चित्र के सामने दीपक जलाकर बैठें।
- ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र से पूजन करें।
- शांत मन से श्री गणपति स्तवः का पाठ करें।
- पाठ के अंत में गणेश जी से अपने संकटों के निवारण की प्रार्थना करें।
पाठ का उचित समय (proper time for lesson)
समय | विशेषता |
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प्रातःकाल (5–6 AM) | ब्रह्म मुहूर्त का समय है, सबसे प्रभावी। |
गणेश चतुर्थी, बुधवार | विशेष फलदायी दिवस। |
संकट काल या नई शुरुआत से पहले | नकारात्मकता हटती है। |
12 नामों का स्मरण करें (Remember 12 names)
दिन में तीन बार श्री गणेश के 12 नामों का स्मरण अवश्य करें:
वक्रतुण्ड, एकदन्त, कृष्णपिङ्गाक्ष, गजवक्त्र, लम्बोदर, विकट, चण्ड, विघ्नराज, धूम्रवर्ण, बालचन्द्र, विनायक, गणपति।
इनका स्मरण भय, विघ्न, रोग और दुख से रक्षा करता है।