श्री कार्तिकेय स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली स्तुति है जो भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान स्कंद या कार्तिकेय को समर्पित है। इसे स्वयं भगवान स्कंद (कार्तिकेय) द्वारा कहा गया माना जाता है, जिसमें वे अपने 28 पवित्र नामों का वर्णन करते हैं। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कार्तिकेय की विभिन्न दिव्य विशेषताओं—जैसे कि उनके ब्रह्मचारी स्वरूप, ज्ञान, शक्ति, क्रोध, भक्ति, और तारकासुरविनाशक रूप—का स्मरण कराता है।
यह स्तोत्र न केवल धार्मिक रूप से पूजनीय है, बल्कि यह वाणी दोष, बुद्धि की कमजोरी, और अवरोधों को दूर करने में भी विशेष रूप से लाभकारी माना गया है। भगवान कार्तिकेय को शौर्य, ज्ञान, और विजय के देवता के रूप में पूजा जाता है, और इस स्तोत्र के पाठ से उनके आशीर्वाद से व्यक्ति में आत्मबल, वाक्-शक्ति और निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है।
भक्तों के लिए यह स्तोत्र एक दैनिक साधना का श्रेष्ठ माध्यम है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो प्रतिस्पर्धा, भाषण, शिक्षा, या नेतृत्व के क्षेत्र में सफलता की कामना करते हैं। इस स्तोत्र के नियमित पाठ से भगवान कार्तिकेय शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।
श्री कार्तिकेय स्तोत्र
स्कंद उवाच –
योगीश्वरो महासेनः कार्तिकेयोऽग्निनन्दनः।
स्कंदः कुमारः सेनानी स्वामी शंकरसंभवः॥ 1 ॥
गांगेयस्ताम्रचूडश्च ब्रह्मचारी शिखिध्वजः।
तारकारिरुमापुत्रः क्रोधारिश्च षडाननः॥ 2 ॥
शब्दब्रह्मसमुद्रश्च सिद्धः सारस्वतो गुहः।
सनत्कुमारो भगवान् भोगमोक्षफलप्रदः॥ 3 ॥
शरजन्मा गणाधीशः पूर्वजो मुक्तिमार्गकृत्।
सर्वागमप्रणेता च वांछितार्थप्रदर्शनः॥ 4 ॥
अष्टाविंशतिनामानि मदीयानीति यः पठेत्।
प्रत्यूषं श्रद्धया युक्तो मूको वाचस्पतिर्भवेत्॥ 5 ॥
महामंत्रमयानीति मम नामानुकीर्तनात्।
महाप्रज्ञामवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा॥ 6 ॥
॥ इति श्री कार्तिकेय स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥
श्री कार्तिकेय स्तोत्र – हिंदी अनुवाद
स्कंद बोले –
जो योगियों के स्वामी हैं, जिनका नाम महासेन है,
जो कार्तिकेय, अग्नि के पुत्र, स्कंद, कुमार और सेनापति हैं,
वे भगवान शिव से उत्पन्न हुए हैं।॥ 1 ॥
जो गंगा माता से जन्मे हैं, ताम्र मुकुट धारण करते हैं,
ब्रह्मचारी हैं, मयूरध्वज धारण करते हैं,
जो तारकासुर के शत्रु हैं, पार्वती जी के पुत्र हैं,
क्रोध स्वरूप हैं और छह मुखों वाले हैं।॥ 2 ॥
जो शब्द रूप ब्रह्म के महासागर हैं, सिद्ध हैं,
सरस्वती के स्वरूप हैं, गुह नाम से प्रसिद्ध हैं,
जो सनत्कुमार हैं, भगवान हैं,
भोग और मोक्ष दोनों फल देने वाले हैं।॥ 3 ॥
जो शर (सरकंडे) से उत्पन्न हुए हैं, गणों के अधिपति हैं,
जो अपने से बड़े हैं, मोक्ष का मार्ग बताने वाले हैं,
जो समस्त आगमों के प्रवर्तक हैं
और इच्छित फलों को प्रदर्शित करते हैं।॥ 4 ॥
जो व्यक्ति इन मेरे अष्टाविंशति (28) नामों का
प्रतिदिन प्रातः श्रद्धा सहित पाठ करता है,
वह गूंगा व्यक्ति भी वाग्मी अर्थात वाक्पटु बन जाता है।॥ 5 ॥
मेरे इन नामों का जप महामंत्रमय है,
जिससे महान बुद्धि प्राप्त होती है,
इसमें कोई संशय नहीं है।॥ 6 ॥
॥ इस प्रकार श्री कार्तिकेय स्तोत्र पूर्ण हुआ ॥
लाभ (Benefits):
- वाणी दोष और बुद्धि दोष से मुक्ति:
जो व्यक्ति मूक या वाणी दोष से पीड़ित है, वह इस स्तोत्र का श्रद्धापूर्वक पाठ करे तो वाचस्पति (वाणी में निपुण) बनता है। - शौर्य, साहस और आत्मबल की प्राप्ति:
भगवान कार्तिकेय युद्ध और शौर्य के देवता हैं। स्तोत्र का पाठ वीरता और साहस देता है। - शत्रुओं और विघ्नों पर विजय:
यह स्तोत्र शत्रु भय, कोर्ट केस, प्रतिस्पर्धा और मानसिक अवरोधों को दूर करने में सहायक है। - विद्या, स्मरण शक्ति और ज्ञान की वृद्धि:
विद्यार्थी, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे लोग इस स्तोत्र के माध्यम से तेजस्वी बुद्धि प्राप्त करते हैं। - मानसिक शांति और अध्यात्मिक उन्नति:
स्कंद भगवान के नामों का स्मरण मानसिक रूप से दृढ़ता, अनुशासन और ब्रह्मचर्य का संकल्प देता है।
विधि (Puja Vidhi):
- स्नान कर स्वच्छ लाल वस्त्र धारण करें।
- पूजन स्थान पर भगवान कार्तिकेय की मूर्ति/चित्र रखें।
- लाल पुष्प, गुड़हल, चंपा या अन्य लाल फूल अर्पित करें।
- लाल चंदन, अक्षत, और धूप-दीप से पूजन करें।
- “ॐ स्कंदाय नमः” मंत्र से आह्वान कर स्तोत्र का पाठ करें।
- पाठ के बाद भगवान को नैवेद्य अर्पण करें (शक्कर, गुड़, केला आदि)।
- अंत में करुणा और शक्ति की प्राप्ति हेतु प्रार्थना करें।
जाप का समय (Best Time for Recitation):
- प्रातःकाल (सुबह 6 से 8 बजे के बीच):
सर्वोत्तम समय जब मानसिक और शारीरिक ऊर्जा सबसे शुद्ध होती है। - विशेष तिथियाँ:
मंगलवार और षष्ठी तिथि (हर महीने) भगवान कार्तिकेय को समर्पित हैं — इन दिनों पाठ करना विशेष फलदायक होता है। - प्रतिदिन पाठ करने से 6 माह में विशेष लाभ मिलता है, और 1 वर्ष में सिद्धि की प्राप्ति होती है।