Shri Angarak Stotra (श्री अंगारक स्तोत्र) स्कंद पुराण से लिया गया एक दिव्य स्तोत्र है, जो मंगल ग्रह की शांति और अनुकूलता के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। यह स्तोत्र संस्कृत भाषा में रचा गया है और इसके ऋषि विरूपांगिरस हैं, देवता अग्नि हैं तथा छंद गायत्री है। इसका नियमित पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयुक्त है जिनकी कुंडली में मंगल दोष या अंगारक योग उपस्थित है।
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह अशुभ भावों (जैसे – द्वितीय, षष्ठ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव) में स्थित होता है या शनि, राहु, केतु, या बुध के साथ युति में होता है, तब यह ग्रह जीवन में बाधाएं उत्पन्न करता है। ऐसे में श्रद्धा, एकाग्रता और विश्वास के साथ इस स्तोत्र का पाठ करने से मंगल ग्रह का क्रोध शांत होता है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
श्री अंगारक स्तोत्र
Shri Angarak Stotra
विनियोग –
अस्य अंगारकस्तोत्रस्य विरूपांगिरस ऋषि: ।
अग्निर्देवता । गायत्री छन्द: ।
भौम प्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ।
।। अंगारक स्तोत्रम् ।।
अंगारक: शक्तिधरो लोहितांगो धरासुत: ।
कुमारो मंगलौ भौमो महाकायो धनप्रद: ।। 1 ।।
ऋणहर्ता दृष्टिकर्ता रोगकृद्रोगनाशन: ।
विद्युतप्रभो व्रणकर: कामदो धनहृत् कुज: ।। 2 ।।
सामगानप्रियो रक्त वस्त्रो रक्तायतेक्षण: ।
लोहितो रक्तवर्णश्च सर्वकर्मावबोधक: ।। 3 ।।
रक्तमाल्यधरो हेमकुण्डली ग्रहनायक: ।
नामान्येतानि भौमस्य य: पठेत्सततं नर: ।। 4 ।।
ऋणं तस्य च दौर्भाग्यं दारिद्र्यं च विनश्यति ।
धनं प्राप्नोति विपुलं स्त्रियं चैव मनोरमाम् ।। 5 ।।
वंशोद्योतकरं पुत्रं लभते नात्र संशय: ।
योऽर्चयेदह्नि भौमस्य मंगलं बहुपुष्पकै: ।। 6 ।।
सर्वा नश्यति पीडा च तस्य ग्रहकृता ध्रुवम् ।। 7 ।।
।। इति श्री अंगारक स्तोत्र सम्पूर्णम् ।।
श्री अंगारक स्तोत्र हिंदी अनुवाद
विनियोग (हिंदी अनुवाद)
अस्य अंगारकस्तोत्रस्य विरूपांगिरस ऋषिः —
इस अंगारक स्तोत्र के ऋषि (प्रणेता) विरूपांगिरस हैं।
अग्निर्देवता —
इस स्तोत्र के देवता अग्नि (अथवा मंगल ग्रह) हैं।
गायत्री छन्दः —
इस स्तोत्र का छंद (छंद-विधान) गायत्री है।
भौम प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः —
इस स्तोत्र का जाप मंगल (भौम) ग्रह की कृपा और प्रसन्नता के लिए किया जाता है।
।। अंगारक स्तोत्रम् ।।
1.
अंगारक, शक्ति धारण करने वाले हैं, जिनका शरीर लाल वर्ण का है, वे पृथ्वी पुत्र हैं।
वे कुमार (स्कंद), मंगल, भौम, विशाल शरीर वाले और धन देने वाले हैं। ।।1।।
2.
ऋण (कर्ज़) का नाश करने वाले, दृष्टि देने वाले, रोग उत्पन्न करने वाले और रोगों का नाश करने वाले हैं।
वे बिजली के समान चमकते हैं, घाव देने वाले हैं, इच्छित कामनाएं और धन देने वाले हैं। ।।2।।
3.
सामवेद के गीतों को प्रिय मानने वाले, लाल वस्त्र पहनने वाले और लाल नेत्रों वाले हैं।
वे लाल रंग के हैं, उनका शरीर रक्तवर्ण है, और वे सभी कर्मों की समझ प्रदान करते हैं। ।।3।।
4.
वे रक्तवर्ण माला धारण करने वाले, स्वर्ण कुण्डल पहनने वाले और ग्रहों के अधिपति हैं।
जो मनुष्य भौम (मंगल) के ये नाम सदा पढ़ता है— ।।4।।
5.
उसका ऋण, दुर्भाग्य और दरिद्रता नष्ट हो जाती है।
वह मनचाहा धन प्राप्त करता है और सुंदर स्त्री (जीवनसंगिनी) भी प्राप्त करता है। ।।5।।
6.
वह वंश को प्रकाशित करने वाला पुत्र प्राप्त करता है — इसमें कोई संदेह नहीं।
जो मनुष्य मंगलवार को बहुत सारे पुष्पों से मंगलदेव की पूजा करता है — ।।6।।
7.
उसके सभी ग्रहदोषों से उत्पन्न पीड़ाएँ निश्चय ही नष्ट हो जाती हैं। ।।7।।
।। इति श्री अंगारक स्तोत्र सम्पूर्णम् ।।
श्री अंगारक स्तोत्र के लाभ (Benefits of Shri Angarak Stotra)
- ऋण मुक्ति और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
- दुर्भाग्य और दरिद्रता का नाश होता है।
- सुंदर और योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति में सहायता करता है।
- वंश वृद्धि और योग्य संतान प्राप्त होती है।
- ग्रहों विशेषकर मंगल से उत्पन्न समस्त कष्टों का शमन होता है।
- पारिवारिक कलह, क्रोध, दुर्घटनाएं और रक्त से जुड़ी बीमारियों से राहत मिलती है।
पाठ विधि (Lesson method)
- मंगलवार के दिन प्रातः स्नान कर लाल वस्त्र धारण करें।
- श्री गणेश और मंगल देव की पूजा करें।
- लाल फूल, गुड़, मसूर की दाल आदि अर्पित करें।
- शुद्ध स्थान पर बैठकर “श्री अंगारक स्तोत्र” का श्रद्धा से पाठ करें।
- अंत में मंगल देव से कष्टों की शांति हेतु प्रार्थना करें।
जप का समय (Chanting Time)
- शुभ समय: मंगलवार को सूर्योदय से पूर्व या मंगल होरा में।
- आप चाहें तो प्रतिदिन एक बार पाठ कर सकते हैं, परंतु मंगलवार को विशेष रूप से करें।