“शिवप्रातःस्मरणस्तोत्रम्” भगवान शिव की महिमा का एक अत्यंत पावन और प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसका पाठ विशेष रूप से प्रातःकाल (सुबह उठते ही) करने की परंपरा है। यह स्तोत्र भगवान शिव के तीन स्वरूपों का ध्यान कर उन्हें नमन करता है और अंत में उनकी कृपा से जन्मों-जन्मों के पापों और दुखों के नाश की बात करता है।
इस स्तोत्र की रचना इस भावना के साथ की गई है कि जब कोई साधक दिन की शुरुआत प्रभु शिव के ध्यान और स्मरण से करता है, तो उसे न केवल मानसिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि उसका जीवन भी दुखों से मुक्त हो जाता है और वह मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।
शिवप्रातःस्मरणस्तोत्रम् का प्रत्येक श्लोक भगवान शिव के एक विशेष रूप और गुण का ध्यान करता है – जैसे कि वे भय का नाश करने वाले हैं, सृष्टि-स्थिति-विनाश के कर्ता हैं, वे वेदांत से जानने योग्य परम पुरुष हैं। यह स्तोत्र भक्त को संसार रूपी रोग से मुक्ति दिलाने वाली एक दिव्य “औषधि” की तरह कार्य करता है।
जो भक्त इस स्तोत्र को श्रद्धा और नियमपूर्वक पढ़ते हैं, उन्हें शिव जी की कृपा प्राप्त होती है और वे अंत में भगवान शंभु के चरणों की शरण को प्राप्त करते हैं।
शिवप्रातःस्मरणस्तोत्रम्
Shiva Pratah Smaran Stotram
प्रातः स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं
गङ्गाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम् ।
खट्वाङ्गशूलवरदाभयहस्तमीशं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥ १ ॥
प्रातर्नमामि गिरिशं गिरिजार्धदेहं
सर्गस्थितिप्रलयकारणमादिदेवम् ।
विश्वेश्वरं विजितविश्वमनोभिरामं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥ २ ॥
प्रातर्भजामि शिवमेकमनन्तमाद्यं
वेदान्तवेद्यमनघं पुरुषं महान्तम् ।
नामादिभेदरहितं षड्भावशून्यं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥ ३ ॥
प्रातः समुत्थाय शिवं विचिन्त्य
श्लोकत्रयं येनुदिनं पठन्ति ।
ते दुःखजातं बहुजन्मसंचितं
हित्वा पदं यान्ति तदेव शम्भो: ॥
॥ इति शिवप्रातःस्मरणस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥
शिवप्रातःस्मरणस्तोत्रम् का हिंदी अनुवाद
(प्रातःकाल में स्मरण करने योग्य शिव स्तोत्र)
१.
मैं प्रातःकाल उस प्रभु शिव का स्मरण करता हूँ,
जो भव (संसार) के भय को हरने वाले हैं, जो देवों के स्वामी हैं,
जिनके सिर पर गंगा विराजती है, जो वृषभ (बैल) पर सवार रहते हैं,
जो अम्बिका (पार्वती) के स्वामी हैं, जिनके हाथों में खट्वांग (एक प्रकार का गदा), त्रिशूल, वरदान देने वाला और अभय (डर से रक्षा करने वाला) मुद्रा है।
वे संसार रूपी रोग का नाश करने वाली अद्वितीय औषधि हैं।
२.
मैं प्रातःकाल गिरिश (पर्वतराज) के उस पुत्र का वंदन करता हूँ,
जिनका आधा शरीर गिरिजा (पार्वती) का है,
जो सृष्टि, स्थिति और प्रलय के कारण हैं, आदिदेव हैं,
जो सम्पूर्ण जगत के स्वामी हैं, जिन्होंने सम्पूर्ण जगत के मनों को जीत लिया है,
वे संसार रूपी रोग का नाश करने वाली अद्वितीय औषधि हैं।
३.
मैं प्रातःकाल उस एकमात्र शिव का भजन करता हूँ,
जो अनन्त हैं, आदि हैं, वेदांत द्वारा जाने जाते हैं, पवित्र हैं,
जो महान पुरुष हैं, नाम और रूप से रहित हैं,
जो षड्भाव (जन्म, अस्तित्व, वृद्धि, परिवर्तन, ह्रास, नाश) से रहित हैं,
वे संसार रूपी रोग का नाश करने वाली अद्वितीय औषधि हैं।
४.
जो व्यक्ति प्रातःकाल उठकर शिव का चिंतन करता है
और इस स्तोत्र के तीनों श्लोकों का प्रतिदिन पाठ करता है,
वह अपने अनेक जन्मों से संचित सभी दुखों को त्यागकर
शिव के परम पद को प्राप्त करता है।
॥ शिवप्रातःस्मरणस्तोत्रम् सम्पूर्ण ॥
शिवप्रातःस्मरणस्तोत्रम् के लाभ (Benefits)
- मानसिक शांति और स्थिरता – इसका नियमित पाठ चित्त को शांत करता है और तनाव कम करता है।
- पापों का क्षय – यह जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करता है।
- मोक्ष की प्राप्ति – भगवान शंभु की कृपा से साधक जीवन-मरण के चक्र से मुक्त हो सकता है।
- दैनिक जीवन में सफलता – दिन की शुरुआत शिव स्मरण से करने पर दिन शुभ और सफल रहता है।
- संसाररूपी रोग से मुक्ति – यह स्तोत्र स्वयं को “औषध” कहता है जो संसार की व्याधियों का नाश करता है।
- ईश्वर-साक्षात्कार की ओर अग्रसर – यह भक्त को निर्गुण, निर्विकार, परम शिव से जोड़ता है।
पाठ की विधि (Vidhi / Method of Recitation)
- प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठें (सुबह 4 से 6 बजे के बीच)।
- स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- शिवलिंग या शिव चित्र/प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं और गंगाजल अर्पित करें।
- आसन पर बैठकर ध्यानपूर्वक इस स्तोत्र के 3 श्लोक और एक फलश्रुति का पाठ करें।
- पाठ के अंत में भगवान शिव को नमस्कार करें और अपने कल्याण की प्रार्थना करें।
- यदि संभव हो तो सोमवार को विशेष रूप से यह स्तोत्र ज़रूर पढ़ें।
जप / पाठ का समय (Recommended Time for Recitation)
- प्रमुख समय: प्रतिदिन प्रातःकाल (सुबह उठते ही)।
- विशेष दिन: सोमवार, शिवरात्रि, प्रदोष व्रत, सावन मास के दिन, या किसी संकट काल में।
- केवल 5–7 मिनट का यह पाठ पूरे दिन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।