“शिव पञ्चाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रम्” एक अत्यंत दिव्य और प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसमें भगवान शिव के पञ्चाक्षर मंत्र “नमः शिवाय” को आधार बनाकर उनकी महिमा का विस्तारपूर्वक गुणगान किया गया है। यह स्तोत्र भगवान शिव के विविध रूपों, लीलाओं, गुणों और कृपा शक्ति का वर्णन करता है, जो भक्तों के सभी पापों और कष्टों को हरने वाला है।
इस स्तोत्र में कुल 28 श्लोक हैं, जिनमें भगवान शिव के करुणामयी, संहारकारी, रक्षक, योगी, दाता, तेजस्वी और भव्य रूपों को काव्यात्मक शैली में अत्यंत सुंदरता से प्रस्तुत किया गया है। हर श्लोक की समाप्ति “नमः शिवाय” से होती है, जिससे इसका पञ्चाक्षरी स्वरूप और अधिक प्रभावशाली बनता है।
यह स्तोत्र न केवल भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत स्रोत है, बल्कि यह ध्यान, जप और आराधना के लिए एक श्रेष्ठ माध्यम भी है। इसे पढ़ने और मन से स्मरण करने से भक्त के जीवन से नकारात्मकता दूर होती है, सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यह स्तोत्र विशेष रूप से उन भक्तों के लिए अत्यंत उपयोगी है:
- जो शिव भक्ति में लीन होकर आत्मिक शांति की तलाश कर रहे हैं
- जिनके जीवन में दुख, पाप या भय छाया हुआ है
- जो अपने कर्मों के बंधनों से मुक्त होकर दिव्यता की ओर अग्रसर होना चाहते हैं
पाठ विधि:
सुबह स्नान आदि कर शुद्ध होकर शिवलिंग के समक्ष बैठकर श्रद्धा और भक्ति भाव से इस स्तोत्र का पाठ करें। यदि संभव हो तो रुद्राक्ष की माला और पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय” के जप के साथ इसका पाठ करें।
यह स्तोत्र, भक्त और भगवान शिव के बीच एक गूढ़ आध्यात्मिक सेतु के समान है, जो उन्हें अद्भुत दिव्यता, ऊर्जा और आंतरिक संतुलन प्रदान करता है।
शिव पञ्चाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रम्
श्रीमदात्मने गुणैकसिन्धवे नमः शिवाय
धामलेशधूतकोकबन्धवे नमः शिवाय ।
नामशेषितानमद्भवान्धवे नमः शिवाय
पामरेतरप्रधानबन्धवे नमः शिवाय ।। 1 ।।
कालभीतविप्रबालपाल ते नमः शिवाय
शूलभिन्नदुष्टदक्षफाल ते नमः शिवाय ।
मूलकारणाय कालकाल ते नमः शिवाय
पालयाधुना दयालवाल ते नमः शिवाय ।। 2 ।।
इष्टवस्तुमुख्यदानहेतवे नमः शिवाय
दुष्टदैत्यवंशधूमकेतवे नमः शिवाय ।
सृष्टिरक्षणाय धर्मसेतवे नमः शिवाय
अष्टमूर्तये वृषेन्द्रकेतवे नमः शिवाय ।। 3 ।।
आपदद्रिभेदटङ्कहस्त ते नमः शिवाय
पापहारिदिव्यसिन्धुमस्त ते नमः शिवाय ।
पापदारिणे लसन्नमस्तते नमः शिवाय
शापदोषखण्डनप्रशस्त ते नमः शिवाय ।। 4 ।।
व्योमकेश दिव्यभव्यरूप ते नमः शिवाय
हेममेदिनीधरेन्द्रचाप ते नमः शिवाय ।
नाममात्रदग्धसर्वपाप ते नमः शिवाय
कामनैकतानहृद्दुराप ते नमः शिवाय ।। 5 ।।
ब्रह्ममस्तकावलीनिबद्ध ते नमः शिवाय
जिह्मगेन्द्रकुण्डलप्रसिद्ध ते नमः शिवाय ।
ब्रह्मणे प्रणीतवेदपद्धते नमः शिवाय
जिंहकालदेहदत्तपद्धते नमः शिवाय ।। 6 ।।
कामनाशनाय शुद्धकर्मणे नमः शिवाय
सामगानजायमानशर्मणे नमः शिवाय ।
हेमकान्तिचाकचक्यवर्मणे नमः शिवाय
सामजासुराङ्गलब्धचर्मणे नमः शिवाय ।। 7 ।।
जन्ममृत्युघोरदुःखहारिणे नमः शिवाय
चिन्मयैकरूपदेहधारिणे नमः शिवाय ।
मन्मनोरथावपूर्तिकारिणे नमः शिवाय
सन्मनोगताय कामवैरिणे नमः शिवाय ।। 8 ।।
यक्षराजबन्धवे दयालवे नमः शिवाय
दक्षपाणिशोभिकाञ्चनालवे नमः शिवाय ।
पक्षिराजवाहहृच्छयालवे नमः शिवाय
अक्षिफाल वेदपूततालवे नमः शिवाय ।। 9 ।।
दक्षहस्तनिष्ठजातवेदसे नमः शिवाय
अक्षरात्मने नमद्बिडौजसे नमः शिवाय ।
दीक्षितप्रकाशितात्मतेजसे नमः शिवाय
उक्षराजवाह ते सतां गते नमः शिवाय ।। 10 ।।
राजताचलेन्द्रसानुवासिने नमः शिवाय
राजमाननित्यमन्दहासिने नमः शिवाय ।
राजकोरकावतंस भासिने नमः शिवाय
राजराजमित्रताप्रकाशिने नमः शिवाय ।। 11 ।।
दीनमानवालिकामधेनवे नमः शिवाय
सूनबाणदाहकृत्कृशानवे नमः शिवाय ।
स्वानुरागभक्तरत्नसानवे नमः शिवाय
दानवान्धकारचण्डभानवे नमः शिवाय ।। 12 ।।
सर्वमङ्गलाकुचाग्रशायिने नमः शिवाय
सर्वदेवतागणातिशायिने नमः शिवाय ।
पूर्वदेवनाशसंविधायिने नमः शिवाय
सर्वमन्मनोजभङ्गदायिने नमः शिवाय ।। 13 ।।
स्तोकभक्तितोऽपि भक्तपोषिणे नमः शिवाय
माकरन्दसारवर्षिभाषिणे नमः शिवाय ।
एकबिल्वदानतोऽपि तोषिणे नमः शिवाय
नैकजन्मपापजालशोषिणे नमः शिवाय ।। 14 ।।
सर्वजीवरक्षणैकशीलिने नमः शिवाय
पार्वतीप्रियाय भक्तपालिने नमः शिवाय ।
दुर्विदग्धदैत्यसैन्यदारिणे नमः शिवाय
शर्वरीशधारिणे कपालिने नमः शिवाय ।। 15 ।।
पाहि मामुमामनोज्ञदेह ते नमः शिवाय
देहि मे वरं सिताद्रिगेह ते नमः शिवाय ।
मोहितर्षिकामिनीसमूह ते नमः शिवाय
स्वेहितप्रसन्न कामदोह ते नमः शिवाय ।। 16 ।।
मङ्गलप्रदाय गोतुरङ्ग ते नमः शिवाय
गङ्गया तरङ्गितोत्तमाङ्ग ते नमः शिवाय ।
सङ्गरप्रवृत्तवैरिभङ्ग ते नमः शिवाय
अङ्गजारये करेकुरङ्ग ते नमः शिवाय ।। 17 ।।
ईहितक्षणप्रदानहेतवे नमः शिवाय
आहिताग्निपालकोक्षकेतवे नमः शिवाय ।
देहकान्तिधूतरौप्यधातवे नमः शिवाय
गेहदुःखपुञ्जधूमकेतवे नमः शिवाय ।। 18 ।।
त्र्यक्ष दीनसत्कृपाकटाक्ष ते नमः शिवाय
दक्षसप्ततन्तुनाशदक्ष ते नमः शिवाय ।
ऋक्षराजभानुपावकाक्ष ते नमः शिवाय
रक्ष मां प्रपन्नमात्ररक्ष ते नमः शिवाय ।। 19 ।।
न्यङ्कुपाणये शिवङ्कराय ते नमः शिवाय
सङ्कटाब्धितीर्णकिङ्कराय ते नमः शिवाय ।
कङ्कभीषिताभयङ्कराय ते नमः शिवाय
पङ्कजाननाय शङ्कराय ते नमः शिवाय ।। 20 ।।
कर्मपाशनाश नीलकण्ठ ते नमः शिवाय
शर्मदाय वर्यभस्मकण्ठ ते नमः शिवाय ।
निर्ममर्षिसेवितोपकण्ठ ते नमः शिवाय
कुर्महे नतीर्नमद्विकुण्ठ ते नमः शिवाय ।। 21 ।।
विष्टपाधिपाय नम्रविष्णवे नमः शिवाय
शिष्टविप्रहृद्गुहाचरिष्णवे नमः शिवाय ।
इष्टवस्तुनित्यतुष्टजिष्णवे नमः शिवाय
कष्टनाशनाय लोकजिष्णवे नमः शिवाय ।। 22 ।।
अप्रमेयदिव्यसुप्रभाव ते नमः शिवाय
सत्प्रपन्नरक्षणस्वभाव ते नमः शिवाय ।
स्वप्रकाश निस्तुलानुभाव ते नमः शिवाय
विप्रडिम्भदर्शितार्द्रभाव ते नमः शिवाय ।। 23 ।।
सेवकाय मे मृड प्रसीद ते नमः शिवाय
भावलभ्यतावकप्रसाद ते नमः शिवाय ।
पावकाक्ष देवपूज्यपाद ते नमः शिवाय
तावकाङ्घ्रिभक्तदत्तमोद ते नमः शिवाय ।। 24 ।।
भुक्तिमुक्तिदिव्यभोगदायिने नमः शिवाय
शक्तिकल्पितप्रपञ्चभागिने नमः शिवाय ।
भक्तसङ्कटापहारयोगिने नमः शिवाय
युक्तसन्मनःसरोजयोगिने नमः शिवाय ।। 25 ।।
अन्तकान्तकाय पापहारिणे नमः शिवाय
शन्तमाय दन्तिचर्मधारिणे नमः शिवाय ।
सन्तताश्रितव्यथाविदारिणे नमः शिवाय
जन्तुजातनित्यसौख्यकारिणे नमः शिवाय ।। 26 ।।
शूलिने नमो नमः कपालिने नमः शिवाय
पालिने विरिञ्चिमुण्डमालिने नमः शिवाय ।
लीलिने विशेषरुण्डमालिने नमः शिवाय
शीलिने नमः प्रपुण्यशालिने नमः शिवाय ।। 27 ।।
शिवपञ्चाक्षरमुद्राचतुष्पदोल्लासपद्यमणिघटिताम् ।
नक्षत्रमालिकामिह दधदुपकण्ठं नरो भवेत्सोमः ।। 28 ।।
।। इति शिव पञ्चाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ।।
“शिव पञ्चाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रम्” का हिंदी अनुवाद (Hindi translation of “Shiva Panchakshar Nakshatramala Stotram”)
1
हे आत्मस्वरूप, गुणों के सागर, आपको नमस्कार है
धाम के स्वामी, जो अंधकार को मिटाने वाले हैं, आपको नमस्कार है
जिनका नाम अहंकारियों के घमंड को हर लेता है, उन्हें नमस्कार है
जो पामर और श्रेष्ठ—दोनों के प्रिय हैं, ऐसे शिव को नमस्कार है
2
जो काल से भयभीत ब्राह्मणों और बालकों की रक्षा करते हैं, आपको नमस्कार है
जो शूल से दुष्ट दक्ष का मस्तक काटते हैं, आपको नमस्कार है
जो मूल कारण हैं और कालों के भी काल हैं, उन्हें नमस्कार है
दयालु बनकर हमें अब कृपा करें, ऐसे शिव को नमस्कार है
3
जो इच्छित वस्तुएँ देने वाले हैं, श्रेष्ठ दाता हैं, उन्हें नमस्कार है
जो दुष्ट दैत्य कुल के लिए विनाशकारी हैं, उन्हें नमस्कार है
जो सृष्टि की रक्षा करने वाले हैं, धर्म के रक्षक हैं, उन्हें नमस्कार है
आठ रूपों वाले, वृषभध्वजधारी, आपको नमस्कार है
4
जो संकटों को चूर्ण करने वाले हाथ से सज्जित हैं, उन्हें नमस्कार है
जो पापों को हरने वाले दिव्य सागर के समान हैं, उन्हें नमस्कार है
जो पापों को नष्ट करने वाले हैं, और जिनको नमस्कार करते ही वे चमकते हैं, उन्हें नमस्कार है
जो शाप और दोषों को समाप्त करने वाले हैं, उन्हें नमस्कार है
5
आप आकाश के केश धारण करते हैं, दिव्य और भव्य रूप में, आपको नमस्कार है
स्वर्णमयी पृथ्वी और पर्वतों के धनुषधारी, आपको नमस्कार है
जिनके नाम मात्र से पाप जल जाता है, आपको नमस्कार है
जिनकी प्राप्ति एकाग्र हृदय से भी कठिन है, उन्हें नमस्कार है
6
जिनके मस्तक पर ब्रह्मा की माला बंधी है, आपको नमस्कार है
टेढ़े नाग-कुण्डलों से प्रसिद्ध, आपको नमस्कार है
जिनसे वेदों की विधि स्थापित हुई, उन्हें नमस्कार है
काल रूप में जो शरीर धारण करते हैं, उन्हें नमस्कार है
7
जो इच्छाओं का नाश करने वाले हैं, शुद्ध कर्म के स्वामी, आपको नमस्कार है
जिनके जन्म में सामगान की ध्वनि होती है, उन्हें नमस्कार है
स्वर्ण जैसी आभा वाले, चक्रधारी, कवचधारी, उन्हें नमस्कार है
जो देवताओं की त्वचा से वस्त्र धारण करते हैं, उन्हें नमस्कार है
8
जन्म और मृत्यु के दुःखों को हरने वाले, आपको नमस्कार है
चेतना के एक रूप शरीरधारी, आपको नमस्कार है
मन के संकल्पों को पूरा करने वाले, आपको नमस्कार है
जो शुभ विचारों में वास करते हैं और कामनाओं के शत्रु हैं, उन्हें नमस्कार है
9
यक्षों के स्वामी, दयालु, आपको नमस्कार है
दक्ष के हाथ में शोभायमान कंचन, आपको नमस्कार है
गरुड़ पर आरूढ़, हृदय में रमण करने वाले, आपको नमस्कार है
जिनकी दृष्टि वेदों द्वारा पवित्र है, उन्हें नमस्कार है
10
जो दक्ष के हाथ से अग्नि में प्रकट हुए, उन्हें नमस्कार है
अक्षरस्वरूप, अद्वितीय तेजस्वी, आपको नमस्कार है
दीक्षा द्वारा प्रकट तेज वाले, आपको नमस्कार है
वृषभ की सवारी करने वाले, साधुजनों के मार्गदर्शक, आपको नमस्कार है
11
राजगिरि पर्वत की श्रृंखलाओं में निवास करने वाले, आपको नमस्कार है
शासन करने वाले, सदैव मंद मुस्कान वाले, आपको नमस्कार है
राजा के मुकुट के समान शोभायमान, आपको नमस्कार है
राजाओं के मित्र और प्रकाशस्वरूप, आपको नमस्कार है
12
गरीबों और अपमानितों के लिए कामधेनु जैसे, आपको नमस्कार है
सूर्य-बाण से जलाने वाले अग्निरूप, आपको नमस्कार है
भक्तों के लिए रत्न समान, अनुराग में लीन, आपको नमस्कार है
दानवों के अंधकार को चीरने वाले तेजस्वी सूर्य, आपको नमस्कार है
13
सब मंगल करने वाली देवी के वक्ष में विश्राम करने वाले, आपको नमस्कार है
सभी देवताओं से श्रेष्ठ, आपको नमस्कार है
पूर्वजों का अहंकार नष्ट करने वाले, आपको नमस्कार है
मन को मोहित करने वाले, कामनाओं को तोड़ने वाले, आपको नमस्कार है
14
थोड़ी भक्ति से भी भक्तों को पोषण देने वाले, आपको नमस्कार है
मधुर वाणी से अमृत वर्षा करने वाले, आपको नमस्कार है
केवल एक बिल्व पत्र से ही प्रसन्न हो जाने वाले, आपको नमस्कार है
कई जन्मों के पापों को सुखाने वाले, आपको नमस्कार है
15
सभी जीवों की रक्षा करने वाले, आपको नमस्कार है
पार्वती के प्रिय, भक्तों के रक्षक, आपको नमस्कार है
चतुर दैत्यों के सेनाओं को नष्ट करने वाले, आपको नमस्कार है
रात्रि के स्वामी, कपालधारी, आपको नमस्कार है
16
हे पार्वतीप्रिय! अपनी मधुर देह से मेरी रक्षा करो, आपको नमस्कार है
सिताचल में निवास करने वाले, मुझे वर प्रदान करो, आपको नमस्कार है
ऋषियों और अप्सराओं को मोह में डालने वाले, आपको नमस्कार है
अपनों के लिए इच्छाएं पूरी करने वाले, आपको नमस्कार है
17
मंगल प्रदान करने वाले, गो के समान रंग वाले, आपको नमस्कार है
गंगा की लहरें जिनके शीश पर हैं, उन्हें नमस्कार है
युद्ध में शत्रुओं का नाश करने वाले, आपको नमस्कार है
कामदेव को भस्म करने वाले, आपको नमस्कार है
18
क्षण मात्र में कार्य सिद्धि देने वाले, आपको नमस्कार है
अग्नि रक्षक, बलिदान के संरक्षक, आपको नमस्कार है
शरीर की कांती से चांदी को धूमिल करने वाले, आपको नमस्कार है
घर के दुःखों को धूम के समान उड़ा देने वाले, आपको नमस्कार है
19
तीन नेत्र वाले, करुणा की दृष्टि से दीनों की रक्षा करने वाले, आपको नमस्कार है
दक्ष की रचनाओं को समाप्त करने वाले, आपको नमस्कार है
नक्षत्रों, सूर्य और अग्नि के समान नेत्र वाले, आपको नमस्कार है
शरणागतों की रक्षा करने वाले, आपको नमस्कार है
20
नम्र हाथ वाले, कल्याणकारी शिव, आपको नमस्कार है
संकट के सागर से पार उतारने वाले सेवक, आपको नमस्कार है
भयानक संकटों में निर्भयता देने वाले, आपको नमस्कार है
कमल के समान मुख वाले, कल्याणकारी शंकर, आपको नमस्कार है
21
कर्मों के बंधनों को काटने वाले नीलकंठ, आपको नमस्कार है
शांति प्रदान करने वाले, भस्मधारी, आपको नमस्कार है
ऋषियों द्वारा पूजित, गरिमा से पूर्ण, आपको नमस्कार है
हम सिर झुकाकर, सच्चिदानंद शिव को प्रणाम करते हैं
22
तीनों लोकों के स्वामी, विष्णु के समान नत, आपको नमस्कार है
श्रेष्ठ ब्राह्मणों के हृदय में विचरण करने वाले, आपको नमस्कार है
इच्छित वस्तुओं से सदा संतुष्ट विजयी, आपको नमस्कार है
सभी दुःखों का नाश करने वाले, लोक विजयी, आपको नमस्कार है
23
आपका दिव्य तेज अनुपम है, आपको नमस्कार है
सच्चे भक्तों की रक्षा करना आपका स्वभाव है, आपको नमस्कार है
आपका प्रकाश स्वयंभू है, तुलनाहीन अनुभूति से युक्त, आपको नमस्कार है
ब्राह्मणों की पूजा से द्रवित हो जाने वाले शिव को नमस्कार है
24
अपने सेवकों पर कृपा करने वाले मृड, कृपा करें, आपको नमस्कार है
भावनात्मक रूप से सुलभ, प्रसाद देने वाले, आपको नमस्कार है
अग्नि नेत्र वाले, देवों द्वारा पूजित, आपको नमस्कार है
आपके चरणों की भक्ति से मोद पाने वाले को नमस्कार है
25
भोग और मोक्ष दोनों देने वाले, आपको नमस्कार है
शक्ति से निर्मित इस जगत के स्वामी, आपको नमस्कार है
भक्तों के संकटों को दूर करने वाले योगी, आपको नमस्कार है
शुद्ध मन में ध्यानस्थ योगी, आपको नमस्कार है
26
मृत्यु के भी संहारक, पापों को हरने वाले, आपको नमस्कार है
शांत और संयमित, गजचर्मधारी, आपको नमस्कार है
सदैव शरणागतों के दुःख हरने वाले, आपको नमस्कार है
सभी प्राणियों को सदा सुख देने वाले, आपको नमस्कार है
27
त्रिशूलधारी, कपालधारी, आपको बारम्बार नमस्कार है
ब्रह्मा का मस्तक धारण करने वाले, मुंडमालधारी, आपको नमस्कार है
लीला से विशेष मुण्डों की माला धारण करने वाले, आपको नमस्कार है
शीलवान, पुण्यशाली शिव को नमस्कार है
28
शिव के पञ्चाक्षर मंत्र से सुसज्जित यह नक्षत्रमाला स्तोत्र
जो इसे कंठ में धारण करता है, वह सोम (चंद्रमा) के समान तेजस्वी होता है
।। इस प्रकार शिव पञ्चाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रम् सम्पूर्ण हुआ ।।
लाभ (Benefits):
- पापों का नाश – यह स्तोत्र शिव के पञ्चाक्षरी मंत्र ‘नमः शिवाय’ से युक्त है, जिससे इसका पाठ करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं।
- कष्टों से मुक्ति – मानसिक, शारीरिक और सांसारिक कष्टों का अंत होता है, और शिव की कृपा प्राप्त होती है।
- शिव कृपा और आशीर्वाद – यह स्तोत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इसका पाठ करने से उनकी विशेष कृपा और रक्षा प्राप्त होती है।
- मन की शुद्धि और आत्मबल – नियमित पाठ से चित्त स्थिर होता है, मन में सात्त्विकता और संतुलन आता है।
- भय, बाधाएं और रोग निवारण – भूत-प्रेत, ग्रह दोष, नकारात्मक ऊर्जा और रोगों से सुरक्षा मिलती है।
- मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर – यह स्तोत्र शिव तत्व को आत्मसात कराने वाला है, जिससे जीव मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ता है।
पाठ विधि (Method of Recitation):
- शुद्धता और एकाग्रता:
स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। शांत स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। - शिवलिंग या शिव चित्र के समक्ष दीपक और धूप जलाएं।
चाहें तो सफेद या नीले फूल चढ़ाएं, बेलपत्र अर्पित करें। - आरंभ में शिव पंचाक्षर मंत्र का 11 बार जाप करें:
ॐ नमः शिवाय
- फिर शिव पञ्चाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्रम् का श्रद्धा पूर्वक पाठ करें।
यदि संभव हो तो संस्कृत पाठ के साथ उसका भावार्थ (हिंदी अर्थ) भी पढ़ें। - अंत में भगवान शिव से प्रार्थना करें और प्रसाद चढ़ाएं (यदि हो सके तो)।
- पाठ के बाद शांत भाव से कुछ क्षण ध्यान करें।
जप का समय (Best Time to Recite):
समय | लाभ |
---|---|
प्रातःकाल (सुबह 4 से 6 बजे) | यह समय ब्रह्ममुहूर्त कहलाता है, जब पाठ करने से मानसिक शुद्धि और आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है। |
संध्या समय (शाम को सूर्यास्त से पहले) | शिव की उपासना का श्रेष्ठ समय है; इससे सांसारिक सुख और शांति मिलती है। |
सोमवार, प्रदोष व्रत, महाशिवरात्रि पर विशेष फलदायी। |
नोट: यदि आप रोज़ पाठ नहीं कर सकते, तो प्रति सोमवार या प्रदोष के दिन इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।