शिव रक्षा स्तोत्र उन भक्तों के लिए एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव से सुरक्षा, समृद्धि और विजय प्राप्त करना चाहते हैं। इसकी रचना महर्षि याज्ञवल्क्य ने की थी, जिन्हें यह स्तोत्र भगवान नारायण (विष्णु) ने स्वप्न में बताया था।
यह स्तोत्र भगवान शिव के विभिन्न पावन नामों का उच्चारण करते हुए शरीर के हर अंग की रक्षा की प्रार्थना करता है। यह स्तोत्र राम रक्षा स्तोत्र और देवी कवच की तरह एक शक्तिशाली कवच के रूप में कार्य करता है।
नियमित श्रद्धा, एकाग्रता और भक्ति से इसका पाठ करने पर भगवान शिव की कृपा से साधक भय, रोग, दुर्भाग्य, शत्रु और बाधाओं से मुक्त होता है और उसे जीवन में विजय, सुख, आयु और मोक्ष प्राप्त होता है।
शिव रक्षा स्तोत्र (Shiv Raksha Stotra)
॥ विनियोग ॥
॥ श्री गणेशाय नमः ॥
अस्य श्री शिवरक्षा स्तोत्र मन्त्रस्य याज्ञवल्क्य ऋषिः ।
श्री सदाशिवो देवता । अनुष्टुप् छन्दः ।
श्रीसदाशिवप्रीत्यर्थं शिवरक्षा स्तोत्र जपे विनियोगः ।
॥ स्तोत्र पाठ ॥
चरितं देवदेवस्य महादेवस्य पावनम् ।
अपारं परमोदारं चतुर्वर्गस्य साधनम् ॥ 1 ॥
गौरीविनायकोपेतं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रकम् ।
शिवं ध्यात्वा दशभुजं शिवरक्षां पठेन्नरः ॥ 2 ॥
गंगाधरः शिरः पातु भालं अर्धेन्दुशेखरः ।
नयने मदनध्वंसी कर्णौ सर्पविभूषणः ॥ 3 ॥
घ्राणं पातु पुरारातिः मुखं पातु जगत्पतिः ।
जिह्वां वागीश्वरः पातु कंधरां शितिकंधरः ॥ 4 ॥
श्रीकण्ठः पातु मे कण्ठं स्कन्धौ विश्वधुरन्धरः ।
भुजौ भूभारसंहर्ता करौ पातु पिनाकधृक् ॥ 5 ॥
हृदयं शंकरः पातु जठरं गिरिजापतिः ।
नाभिं मृत्युञ्जयः पातु कटी व्याघ्राजिनाम्बरः ॥ 6 ॥
सक्थिनी पातु दीनार्तशरणागतवत्सलः ।
उरू महेश्वरः पातु जानुनी जगदीश्वरः ॥ 7 ॥
जङ्घे पातु जगत्कर्ता गुल्फौ पातु गणाधिपः ।
चरणौ करुणासिंधुः सर्वाङ्गानि सदाशिवः ॥ 8 ॥
एतां शिवबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत् ।
स भुक्त्वा सकलान्कामान् शिवसायुज्यमाप्नुयात् ॥ 9 ॥
ग्रहभूतपिशाचाद्यास्त्रैलोक्ये विचरन्ति ये ।
दूरादाशु पलायन्ते शिवनामाभिरक्षणात् ॥ 10 ॥
अभयङ्करनामेदं कवचं पार्वतीपतेः ।
भक्त्या बिभर्ति यः कण्ठे तस्य वश्यं जगत्त्रयम् ॥ 11 ॥
इमां नारायणः स्वप्ने शिवरक्षां यथाऽऽदिशत् ।
प्रातरुत्थाय योगीन्द्रो याज्ञवल्क्यः तथाऽलिखत ॥ 12 ॥
॥ इति शिवरक्षा स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥
शिव रक्षा स्तोत्र – हिंदी अनुवाद (Shiv Raksha Stotra – Hindi Translation)
॥ विनियोग ॥
इस शिवरक्षा स्तोत्र के ऋषि हैं याज्ञवल्क्य, देवता हैं श्री सदाशिव, छंद है अनुष्टुप, और यह स्तोत्र श्री सदाशिव की कृपा प्राप्ति के लिए जपने योग्य है।
- महादेव जी का चरित्र अत्यंत पावन है।
वह अपार, अत्यंत उदार और धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष — चारों पुरुषार्थों की सिद्धि का साधन है। ॥1॥ - जो मनुष्य माता गौरी और गणेश जी के साथ पंचमुखी, त्रिनेत्रधारी, दस भुजाओं वाले शिव का ध्यान करके यह स्तोत्र पढ़ता है,
वह शिव की सुरक्षा प्राप्त करता है। ॥2॥ - गंगा को धारण करने वाले शिव मेरे सिर की रक्षा करें,
और अर्धचंद्रधारी शिव मेरी ललाट की रक्षा करें।
कामदेव का नाश करने वाले मेरी आँखों की,
और साँपों को आभूषण रूप में धारण करने वाले मेरी कानों की रक्षा करें। ॥3॥ - त्रिपुरासुर का वध करने वाले मेरी नाक की रक्षा करें,
समस्त जगत के स्वामी मेरे मुख की रक्षा करें,
वाणी के अधिपति मेरी जीभ की,
और नीले कंठ वाले शिव मेरी गर्दन की रक्षा करें। ॥4॥ - नीलकंठ मेरी गला,
विश्व का भार उठाने वाले मेरी दोनों कंधों की,
पृथ्वी का भार हल्का करने वाले मेरी भुजाओं की,
और पिनाकधारी शिव मेरे दोनों हाथों की रक्षा करें। ॥5॥ - शंकर मेरे हृदय की,
पार्वतीपति मेरे पेट की,
मृत्यु को जीतने वाले मेरी नाभि की,
और व्याघ्र चर्म धारण करने वाले मेरी कमर की रक्षा करें। ॥6॥ - दीनों और दुखियों पर कृपा करने वाले मेरी दोनों जांघों की,
महेश्वर मेरे घुटनों की,
और जगत के स्वामी मेरी जानु (घुटनों) की रक्षा करें। ॥7॥ - संसार के रचयिता मेरी पिंडलियों की,
गणों के अधिपति मेरे टखनों की,
करुणा के सागर मेरे चरणों की
और सदाशिव मेरे समस्त अंगों की रक्षा करें। ॥8॥ - जो पुण्यात्मा यह शिवबलयुक्त रक्षा स्तोत्र पढ़ता है,
वह सभी इच्छाओं को पूर्ण कर शिव के सायुज्य (एकत्व) को प्राप्त करता है। ॥9॥ - जो ग्रह, भूत, पिशाच आदि तीनों लोकों में विचरण करते हैं,
वे शिव के नाम की रक्षा से दूर भाग जाते हैं। ॥10॥ - यह पार्वतीपति शिव का कवच भय को दूर करने वाला है।
जो भक्त इसे श्रद्धा से गले में धारण करता है,
उसके अधीन तीनों लोक हो जाते हैं। ॥11॥ - यह शिव रक्षा स्तोत्र भगवान नारायण ने स्वप्न में बताया था,
जिसे योगियों में श्रेष्ठ याज्ञवल्क्य ने प्रातःकाल उठकर लिखा। ॥12॥
॥ इति शिवरक्षा स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥
शिव रक्षा स्तोत्र के लाभ (Benefits of Shiv Raksha Stotra):
- यह स्तोत्र शारीरिक व मानसिक रोग, नकारात्मक शक्तियाँ, भूत-प्रेत बाधा, दुर्भाग्य, शत्रु भय आदि से रक्षा करता है।
- जो भक्त इसे प्रतिदिन श्रद्धापूर्वक पढ़ते हैं, उन्हें दीर्घायु, सुख-शांति, समृद्धि और मनोकामना सिद्धि प्राप्त होती है।
- यह स्तोत्र तीनों लोकों (स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल) में सुरक्षा प्रदान करता है और साधक को अद्भुत आत्मबल व आत्मविश्वास देता है।
- शिव रक्षा स्तोत्र के पाठ से परमपिता महादेव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
किसे इसका पाठ करना चाहिए (Who should recite it):
- जो व्यक्ति बीमारियों, नकारात्मक ऊर्जा, भय, शत्रु बाधा, या अशुभ प्रभावों से पीड़ित हो।
- जो जीवन में सफलता, सुरक्षा, मानसिक शांति, और ईश्वर की कृपा प्राप्त करना चाहते हों।
- जो साधक शिव भक्ति में रत हैं और अपनी साधना को मजबूत बनाना चाहते हैं।
पाठ विधि व समय (Lesson method and time):
- सुबह स्नान करके पवित्र होकर शांत स्थान पर बैठें।
- भगवान शिव का ध्यान करें और स्तोत्र का पाठ करें।
- इसे दैनिक रूप से या विशेष रूप से सोमवार, प्रदोष या शिवरात्रि पर करें।
- पाठ के बाद भगवान शिव को जल, बेलपत्र, धूप और दीप अर्पित करें।