माँ काली — आदिशक्ति का वह दिव्य और उग्र रूप हैं, जो सृष्टि, स्थिति और संहार तीनों का प्रतिनिधित्व करती हैं। वह केवल अज्ञान और अधर्म का नाश करने वाली नहीं, अपितु अपने भक्तों को अभय देने वाली, सच्चिदानंद स्वरूपिणी भी हैं। उनके स्वरूप की गूढ़ता इतनी अद्भुत है कि देवता तक उनके वास्तविक रूप को नहीं जान पाते।
महाकाली स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली और रहस्यमयी स्तोत्र है, जो माँ काली के अलौकिक स्वरूप, शक्ति, करुणा, और उनके तांत्रिक रहस्य को प्रकट करता है। इस स्तोत्र में बार-बार यह उल्लेख आता है कि माँ का स्वरूप इतना गुप्त, दिव्य और व्यापक है कि देवता भी उसे पूरी तरह नहीं समझ सके।
जो साधक श्रद्धा और भक्ति से इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसे आठों सिद्धियाँ, समस्त भौतिक सुख, और अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है। शत्रु भय, रोग, तंत्र बाधा, दरिद्रता या मानसिक संकट — कोई भी बाधा इस स्तोत्र के प्रभाव से टिक नहीं सकती। यह स्तोत्र न केवल रक्षक है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का अमोघ साधन भी है।
इसलिए, जो भी साधक माँ काली के दिव्य आश्रय में जाना चाहता है, उसके लिए महाकाली स्तोत्र एक महान साधना-पथ का आरंभ है।
महाकाली स्तोत्र (Mahakali Stotra)
अनादिं सुरादिं मखादिं भवादिं, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः।
जगन्मोहिनीयं तु वाग्वादिनीयं, सुहृदपोषिणी शत्रुसंहारणीयं।। (1)
वचस्तम्भनीयं किमुच्चाटनीयं, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः।
इयं स्वर्गदात्री पुनः कल्पवल्ली, मनोजास्तु कामान्यथार्थ प्रकुर्यात।। (2)
तथा ते कृतार्था भवन्तीति नित्यं, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः।
सुरापानमत्ता सुभक्तानुरक्ता, लसत्पूतचित्ते सदाविर्भवस्ते।। (3)
जपध्यानपुजासुधाधौतपंका, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः।
चिदानन्दकन्द हसन्मन्दमन्द, शरच्चन्द्रकोटिप्रभापुंजबिम्बं।। (4)
मुनिनां कवीनां हृदि द्योतयन्तं, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः।
महामेघकाली सुरक्तापि शुभ्रा, कदाचिद्विचित्रा कृतिर्योगमाया।। (5)
न बाला न वृद्धा न कामातुरापि, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः।
क्षमास्वापराधं महागुप्तभावं, मय लोकमध्ये प्रकाशीकृतं यत्।। (6)
तव ध्यानपूतेन चापल्यभावात्, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः।
यदि ध्यानयुक्तं पठेद्यो मनुष्यः, स्तदा सर्वलोके विशालो भवेच्च।। (7)
गृहे चाष्टसिद्धिर्मृते चापि मुक्ति, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः।। (8)
॥ इति महाकाली स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥
महाकाली स्तोत्र – हिंदी अनुवाद
आप आदि हैं, देवताओं की भी आदि हैं, यज्ञों की जननी हैं, और संसार के उद्भव की मूल हैं,
आपका वास्तविक स्वरूप देवताओं के लिए भी अज्ञेय है।
आप संपूर्ण जगत को मोहित करने वाली, श्रेष्ठ वाणी की प्रेरणा देने वाली,
मित्रों का पोषण करने वाली और शत्रुओं का नाश करने वाली हैं। (1)
आपका वाणी को स्तम्भित करने वाला स्वरूप, उच्चाटन करने वाला प्रभावशाली तेज –
देवता भी नहीं जान सकते।
आप स्वर्ग प्रदान करने वाली कल्पवृक्ष के समान हैं,
आप मन के कामनाओं को वास्तविकता में बदल सकती हैं। (2)
जो व्यक्ति आपकी शरण में आता है, वह सिद्धि को प्राप्त करता है,
फिर भी देवता आपके स्वरूप को नहीं समझ पाते।
आप मदिरा से मत्त प्रतीत होती हैं, लेकिन भक्तों से अत्यंत स्नेह रखती हैं,
पवित्र हृदय वाले भक्तों में आप सदा प्रकट रहती हैं। (3)
जप, ध्यान और पूजा रूपी अमृत से भी धुले हुए ह्रदय
आपके स्वरूप को नहीं जान सकते।
आप चेतना और आनंद की मूल हैं, मंद मंद मुस्कान वाली,
और करोड़ों शरद पूर्णिमा के चंद्रमा जैसे प्रकाश से दीप्त हैं। (4)
आप मुनियों और कवियों के हृदय में ज्योति के रूप में प्रकाशित होती हैं,
फिर भी देवगण आपके स्वरूप को नहीं जान पाते।
कभी आप महाकाली के रूप में अति काले रंग में,
तो कभी अत्यंत रक्तवर्णा या अत्यंत शुभ्र रूप में योगमाया के रूप में प्रकट होती हैं। (5)
न आप बालिका हैं, न वृद्धा, न ही काम-लोलुप नारी;
देवता भी आपके स्वरूप को नहीं जान सकते।
मेरे द्वारा लोक में जो आपकी गुप्त महाशक्ति का प्रकाश किया गया है,
यदि उसमें कोई अपराध हो गया हो तो कृपया क्षमा करें। (6)
यदि कोई व्यक्ति चंचल मन से भी आपका ध्यान कर ले,
तो भी देवता आपके स्वरूप को नहीं जान सकते।
लेकिन जो व्यक्ति एकाग्रचित्त होकर ध्यानयुक्त होकर आपका पाठ करता है,
वह संसार में महान और सम्माननीय बनता है। (7)
ऐसे व्यक्ति के घर में आठों सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं,
और मृत्यु के पश्चात उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
फिर भी देवता आपके वास्तविक स्वरूप को नहीं जान सकते। (8)
॥ इति महाकाली स्तोत्र हिन्दी अनुवाद सहित सम्पूर्णम् ॥
महाकाली स्तोत्र के लाभ:
- काल, मृत्यु और भय पर विजय प्राप्त होती है।
- तांत्रिक बाधाएं जैसे मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण आदि से रक्षा होती है।
- भूत-प्रेत बाधा, नजर दोष, ग्रह बाधा और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
- शत्रुओं पर विजय, कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता मिलती है।
- भौतिक सुखों की प्राप्ति के साथ-साथ आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- कष्टप्रद रोगों (कैंसर, त्वचा रोग, मानसिक विकार आदि) से राहत मिलती है।
- ईडी, सीबीआई, पुलिस केस या अन्य सरकारी संकट में भी यह स्तोत्र सुरक्षा कवच का कार्य करता है।
- जो साधक इसे नित्य पाठ करता है, उसे अष्ट सिद्धियाँ और मोक्ष दोनों प्राप्त होते हैं।
🙏 महाकाली स्तोत्र पाठ विधि (Vidhi):
- स्थान चयन: शांत, पवित्र और स्वच्छ स्थान चुनें। मंदिर या पूजा कक्ष सर्वोत्तम है।
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें (काले या लाल वस्त्र शुभ माने जाते हैं)।
- पूजा स्थल पर माँ काली की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- दीपक जलाएं (घी या तिल के तेल का दीपक)।
- माँ को काले तिल, गुड़, नींबू, लौंग, सिंदूर, और लाल पुष्प अर्पित करें।
- “ॐ क्रीं कालिकायै नमः” बीज मंत्र से ध्यान करें।
- फिर महाकाली स्तोत्र का श्रद्धा पूर्वक पाठ करें।
- अंत में माँ से अपनी प्रार्थना करें और आभार व्यक्त करें।
- स्तोत्र के बाद आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
जप और पाठ का उत्तम समय:
समय | महत्व |
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रात्रि काल (10 PM से 4 AM) | विशेष रूप से प्रभावी, तांत्रिक शक्ति जागरण हेतु |
अमावस्या की रात | सिद्धियों और तंत्र शुद्धि के लिए श्रेष्ठ |
मंगलवार / शनिवार | माँ काली की उपासना के प्रमुख दिन |
नित्य सुबह या रात | घर में नकारात्मकता मिटाने हेतु |