बंदी मोचन हनुमान स्तोत्र’ एक अत्यंत प्रभावशाली और श्रद्धा से युक्त स्तोत्र है, जिसका पाठ विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए फलदायी माना गया है जो किसी न्यायिक संकट, झूठे आरोप, या जेल जैसी परिस्थिति में फँस गए हों। यह स्तोत्र देवी शक्ति के स्वरूप “बंदी देवी” की स्तुति है, जो लौह-बंधनों को काटने वाली, अपराध-मुक्ति देने वाली और भक्त को सम्मान सहित जीवन में पुनः स्थापित करने वाली मानी जाती हैं।
इस स्तोत्र का पाठ हनुमान जी की उपासना भावना से जुड़ा है, क्योंकि हनुमान जी स्वयं संकटमोचन और कारागार से छुड़ाने वाले देवता हैं। यह स्तोत्र केवल वही व्यक्ति प्रयोग करें जो सामाजिक और नैतिक दृष्टि से निर्दोष हों। दोषयुक्त व्यक्ति पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
बंदी मोचन हनुमान स्तोत्र पाठ (Bandi Mochan Hanuman Stotra in Hindi)
यदि कोई व्यक्ति न्यायिक प्रक्रिया में अनायास ही फंस गया हो, उस पर गलत आरोप लग गए हों, या वह निर्दोष होते हुए भी कारावास में बंद हो — तो यह दिव्य स्तोत्र एक प्रभावशाली साधन बन सकता है। यह प्रयोग न्यायसंगत और निष्कलंक लोगों के लिए विशेष रूप से फलदायी है। यदि आप वास्तव में निर्दोष हैं और सामाजिक व नैतिक दृष्टिकोण से सही स्थान पर हैं, तो यह स्तोत्र आपकी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। परंतु यदि आप दोषी हैं, तो यह प्रयोग कोई भी चमत्कार नहीं करेगा। केवल सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने वालों को ही इसका लाभ प्राप्त होता है।
“ॐ ह्रीं ह्रूं बन्दी देव्यै नमः”
इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जप करें तथा इस स्तोत्र का नित्य पाठ करें।
स्तोत्रम्
बन्दी देव्यै नमस्कृत्य वरदाभय शोभितम् ।
तदाज्ञांशरणं गच्छत् शीघ्रं मोचं ददातु मे ॥
बन्दी कमल पत्राक्षी लौह श्रृंखला भंजिनीम् ।
प्रसादं कुरू मे देवि! शीघ्रं मोचं ददातु मे ॥
त्वं बन्दी त्वं महा माया त्वं दुर्गा त्वं सरस्वती ।
त्वं देवी रजनी चैव शीघ्रं मोचं ददातु मे ॥
त्वं ह्रीं त्वमोश्वरी देवि ब्राम्हणी ब्रम्हा वादिनी ।
त्वं वै कल्पक्षयं कर्त्री शीघ्रं मोचं ददातु मे ॥
देवी धात्री धरित्री च धर्म शास्त्रार्थ भाषिणी ।
दुःश्वासाम्ब रागिणी देवी शीघ्रं मोचं ददातु मे ॥
नमोस्तुते महालक्ष्मी रत्न कुण्डल भूषिता ।
शिवस्यार्धाङ्गिनी चैव शीघ्रं मोचं ददातु मे ॥
नमस्कृत्य महा दुर्गा भयात्तु तारिणीं शिवां ।
महा दुःख हरां चैव शीघ्रं मोचं ददातु मे ॥
इदं स्तोत्रं महा पुण्यं यः पठेन्नित्यमेव च ।
सर्व बन्ध विनिर्मुक्तो मोक्षं च लभते क्षणात् ॥
यदि आप पूर्णतः निर्दोष हैं, तो निश्चित ही इस प्रयोग से कारागार (जेल) से मुक्त होंगे।
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बंदी मोचन हनुमान स्तोत्र (हिंदी अनुवाद सहित)
बन्दी देव्यै नमस्कृत्य वरदाभय शोभितम् । तदाज्ञांशरणं गच्छत् शीघ्रं मोचं ददातु मे ॥१॥
मैं बंदी देवी को नमस्कार करता हूँ, जो वर और अभय मुद्रा से शोभित हैं। उनकी आज्ञा की शरण में जाकर शीघ्र ही वह मुझे मुक्ति दें।॥१॥
बन्दी कमल पत्राक्षी लौह श्रृंखला भंजिनीम् । प्रसादं कुरु मे देवि! शीघ्रं मोचं ददातु मे ॥२॥
कमल जैसे नेत्रों वाली देवी, जो लोहे की जंजीरों को तोड़ने वाली हैं — हे देवी! कृपा कीजिए और मुझे शीघ्र मुक्ति दीजिए।॥२॥
त्वं बन्दी त्वं महा माया त्वं दुर्गा त्वं सरस्वती । त्वं देवी रजनी चैव शीघ्रं मोचं ददातु मे ॥३॥
आप ही बंदी देवी हैं, आप ही महा माया, दुर्गा और सरस्वती हैं। आप रजनी (रात्रि) देवी भी हैं — कृपा कर मुझे शीघ्र मुक्ति दें।॥३॥
त्वं ह्रीं त्वमोश्वरी देवि ब्राम्हणी ब्रम्हा वादिनी । त्वं वै कल्पक्षयं कर्त्री शीघ्रं मोचं ददातु मे ॥४॥
आप “ह्रीं” बीजमंत्र स्वरूपिणी, ईश्वरी देवी, ब्रह्माणी तथा ब्रह्मज्ञान की वक्ता हैं। आप ही कल्प का नाश करने वाली हैं — मुझे शीघ्र मुक्ति दें।॥४॥
देवी धात्री धरित्री च धर्म शास्त्रार्थ भाषिणी । दु:श्वासाम्ब रागिणी देवी शीघ्रं मोचं ददातु मे ॥५॥
हे देवी! आप ही धारण करने वाली, पृथ्वी स्वरूपा, धर्मशास्त्रों की व्याख्या करने वाली तथा सांसारिक इच्छाओं से रहित हैं — मुझे शीघ्र मुक्ति दें।॥५॥
नमोस्तुते महालक्ष्मी रत्न कुण्डल भूषिता । शिवस्यार्धाङ्गिनी चैव शीघ्रं मोचं ददातु मे ॥६॥
हे महालक्ष्मी! आपको नमस्कार है, आप रत्नों से जड़े कुंडलों से सुशोभित हैं, शिव की अर्धांगिनी हैं — कृपा कर मुझे शीघ्र मुक्ति दें।॥६॥
नमस्कृत्य महा-दुर्गा भयात्तु तारिणीं शिवां । महा दु:ख हरां चैव शीघ्रं मोचं ददातु मे ॥७॥
हे शिवा स्वरूपा महादुर्गा! मैं आपको नमस्कार करता हूँ। आप भय से तारने वाली हैं, महान दुःखों को हरने वाली हैं — कृपा करके मुझे शीघ्र मुक्त करें।॥७॥
इदं स्तोत्रं महा-पुण्यं य: पठेन्नित्यमेव च । सर्व बन्ध विनिर्मुक्तो मोक्षं च लभते क्षणात् ॥८॥
जो इस महान पुण्यदायक स्तोत्र का नित्य पाठ करता है, वह सभी प्रकार के बंधनों से मुक्त हो जाता है और क्षणमात्र में मोक्ष प्राप्त करता है।॥८॥
यदि आप पूर्णतः निर्दोष हैं, तो निश्चित ही इस प्रयोग से कारागार (जेल) से मुक्ति प्राप्त होगी।॥९॥
लाभ (Benefits):
- न्यायिक संकट से मुक्ति:
यदि कोई व्यक्ति झूठे मुकदमे, कोर्ट-कचहरी, या जेल की सज़ा में फंसा है, तो यह स्तोत्र उसे न्यायिक राहत दिलाने में सहायक होता है। - कारावास से छुटकारा:
यदि कोई निर्दोष व्यक्ति जेल में बंद है, तो इस स्तोत्र का पाठ उसे शीघ्र रिहाई की दिशा में मदद करता है। - सम्मान की पुनः प्राप्ति:
स्तोत्र के प्रभाव से व्यक्ति केवल मुक्त ही नहीं होता, बल्कि समाज में खोया हुआ सम्मान भी पुनः प्राप्त करता है। - आत्मिक बल और विश्वास में वृद्धि:
यह स्तोत्र मानसिक शांति और आत्मबल को भी बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत नहीं हारता। - हनुमान जी की विशेष कृपा:
हनुमान जी संकटों को हरने वाले देवता हैं, और यह स्तोत्र उनकी कृपा पाने का एक माध्यम है।
विधि (Puja Vidhi):
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- हनुमान जी या बंदी देवी के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं।
- कुशासन या ऊन के आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- सबसे पहले इस मंत्र का जाप करें:
👉 “ॐ ह्रीं ह्रूं बन्दी देव्यै नमः” — 108 बार जप करें। - इसके बाद ‘बंदी मोचन हनुमान स्तोत्र’ का पूर्ण श्रद्धा से पाठ करें।
- सप्ताह में मंगलवार और शनिवार को यह प्रयोग विशेष फलदायी होता है।
जप का उपयुक्त समय (Best Time):
- प्रातःकाल (सुबह 5 से 7 बजे के बीच): यह समय सबसे पवित्र और मन को स्थिर करने वाला होता है।
- संध्याकाल (शाम 6 से 8 बजे): यदि सुबह संभव न हो तो यह भी उपयुक्त समय है।
- जेल/कचहरी के दिन: कोर्ट की सुनवाई वाले दिन भी इसका पाठ अवश्य करें।
- विशेष दिन:
- मंगलवार और शनिवार को पाठ करना विशेष लाभकारी होता है।
- हनुमान जयंती जैसे पर्वों पर इसका पाठ अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।